बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: डिंपल अलावाधी
Updated Wed, 18 Aug 2021 12:47 PM IST
सार
‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ विषय पर आरबीआई ने एक लेख में कहा कि, वर्ष 2021 आईपीओ वर्ष बन सकता है।
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विस्तार
‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ विषय पर आरबीआई ने एक लेख में कहा कि, ‘वित्तीय बाजारों में नई ऊर्जा है। ऐसे में वर्ष 2021 भारत में आईपीओ वर्ष बन सकता है। केंद्र बैंक ने कहा कि लेख में विचार लेखकों के हैं। यह जरूरी नहीं है कि वे रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हों।
लेख में जोमैटो और पेटीएम के आईपीओ का भी जिक्र
अपने लेख में आरबीआई ने डिलीवरी के अलावा अपने प्लेटफॉर्म पर विभिन्न रेस्टोरेंट के मेन्यू उपलब्ध कराने वाली कंपनी जोमैटो का भी जिक्र किया। जोमैटो के आईपीओ को तीसरे और अंतिम दिन 38 गुना ज्यादा बोलियां प्राप्त हुई थीं। भारतीय यूनिकॉर्न गैर-सूचीबद्ध स्टार्टअप द्वारा आईपीओ की पहली पेशकश जोमैटो ने ही की थी। इसके साथ ही डिजिटल भुगतान और वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी पेटीएम का भी जिक्र किया गया। लेख में कहा गया कि पेटीएम द्वारा 2.2 अरब डॉलर जुटाने के लिए प्रस्तावित आईपीओ, भारत के डिजिटलीकरण और ई-कॉमर्स को लेकर निवेशकों के उत्साह को दिखाता है।
मालूम हो कि जिन कंपनियों का बाजार मूल्यांकन एक अरब डॉलर का हो जाता है, उन स्टार्ट-अप को यूनिकॉर्न कहा जाता है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में 100 यूनिकॉर्न हैं।
क्या है आईपीओ?
जब भी कोई कंपनी या सरकार पहली बार आम लोगों के सामने कुछ शेयर बेचने का प्रस्ताव रखती है तो इस प्रक्रिया को प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) कहा जाता है। आईपीओ में पैसा लगाकर निवेशक अच्छे पैसे कमा सकते हैं। पिछले साल कंपनियों ने प्राइमरी मार्केट से 31,000 करोड़ रुपये जुटाए। कुल 16 आईपीओ लॉन्च हुए, जिनमें से 15 की लॉन्चिंग दूसरी छमाही में हुई थी। 2019 के पूरे साल में 16 आईपीओ के जरिए 12,362 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। 2018 में 24 कंपनियों ने आईपीओ से 30,959 करोड़ रुपये जुटाए थे। दरअसल, कोरोना वायरस महामारी घरेलू शेयर बाजार उबरने लगे हैं। इसे देखते हुए कंपनियां लगातार आईपीओ लॉन्च कर रही हैं।