सार
इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सैमसंग, शाओमी, हुवावे और रियलमी, लिनेजOS और e/OS के भेजे गए डाटा का इस्तेमाल किया गया है। जिन एप्स पर जासूसी का आरोप है उनमें गूगल, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट एप्स के नाम शामिल हैं।
जैसे-जैसे स्मार्टफोन का बाजार बढ़ रहा है, वैसे-वैसे फोन के रंग-रूप और फीचर्स भी बदल रहे हैं। छोटी मोबाइल कंपनियां तो ब्लॉटवेयर (पहले से इंस्टॉल एप) के लिए बदनाम हैं ही, लेकिन जब 80-90 हजार रुपये वाले प्रीमियम स्मार्टफोन में भी पहले से थोक में एप इंस्टॉल मिलते हैं तो बड़ी दिक्कत होती है। एपल को छोड़कर सभी कंपनियों के स्मार्टफोन में पहले से ही कई सारे एप इंस्टॉल आ रहे हैं, लेकिन ये आप आपके लिए बहुत ही खतरनाक हैं। फोन में पहले से इंस्टॉल एप आपकी जासूसी कर सकते हैं और आपका निजी डाटा चोरी कर सकते हैं। एक रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है। आइए जानते हैं इससे बचने के बारे में….
डबलिन के ट्रिनिटी कॉलेज में की गई रिसर्ट के मुताबिक तमाम कंपनियों के फोन में पहले से इंस्टॉल्ड एप चुपके से यूजर्स का डाटा अपने सर्वर पर स्टोर कर रहे हैं। ये एप्स स्क्रीन, वेब एक्टिविटी, फोन कॉल, डिवाइस आईडेंटिफायर जैसी जानकारी को स्टोर करते हैं। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सैमसंग, शाओमी, हुवावे और रियलमी, लिनेजOS और e/OS के भेजे गए डाटा का इस्तेमाल किया गया है। जिन एप्स पर जासूसी का आरोप है उनमें गूगल, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट एप्स के नाम शामिल हैं। इस रिपोर्ट को ‘एंड्रॉयड मोबाइल OS स्नूपिंग बाय सैमसंग, शाओमी, हुवावे और रियलमी हेड सेट’ के नाम से प्रकाशित किया गया है।
फोन में पहले से इंस्टॉल आने वाले कुछ एप्स को तो आप अनइंस्टॉल कर सकते हैं लेकिन कुछ एप्स ऐसे भी होते हैं जिन्हें आप ना डिलीट कर सकते हैं और ना ही अनइंस्टॉल कर सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शाओमी के फोन में आने वाले सभी प्री-इंस्टॉल एप, एप स्क्रीन की डिटेल्स शाओमी को भेजता है, जिसमें प्रत्येक एप पर बिताए गए समय की जानकारी होती है। रिपोर्ट का दावा है कि इस डाटा को सिंगापुर और यूरोप के बाहर भी भेजा जाता है। इसी तरह की जानकारी सैमसंग और अन्य कंपनियां भी स्टोर करती हैं, हालांकि रिसर्च में यह भी कहा गया है कि यह एक तरह का ईकोसिस्टम भी हो सकता है जिसमें फोन से डाटा को अलग-अलग कंपनियों को भेजा जाता है, ताकि डाटा का इस्तेमाल भविष्य में आने वाले किसी फीचर के लिए हो सके।
आजकल प्रीमियम स्मार्टफोन में भी फेसबुक, गूगल, अमेजन, व्हाट्सएप, स्पॉटिफाई जैसे एप्स प्री-इंस्टॉल आ रहे हैं। ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि फोन में पहले से इंस्टॉल आने वाले एप का आप इस्तेमाल ना करें। जिसे एप को इस्तेमाल करना है, पहले उसे डिलीट या अनइंस्टॉल करें और फिर से गूगल प्ले-स्टोर से उस एप को डाउनलोड करें, उसके बाद ही उसमें लॉगिन करके उसे इस्तेमाल करें।
विस्तार
जैसे-जैसे स्मार्टफोन का बाजार बढ़ रहा है, वैसे-वैसे फोन के रंग-रूप और फीचर्स भी बदल रहे हैं। छोटी मोबाइल कंपनियां तो ब्लॉटवेयर (पहले से इंस्टॉल एप) के लिए बदनाम हैं ही, लेकिन जब 80-90 हजार रुपये वाले प्रीमियम स्मार्टफोन में भी पहले से थोक में एप इंस्टॉल मिलते हैं तो बड़ी दिक्कत होती है। एपल को छोड़कर सभी कंपनियों के स्मार्टफोन में पहले से ही कई सारे एप इंस्टॉल आ रहे हैं, लेकिन ये आप आपके लिए बहुत ही खतरनाक हैं। फोन में पहले से इंस्टॉल एप आपकी जासूसी कर सकते हैं और आपका निजी डाटा चोरी कर सकते हैं। एक रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है। आइए जानते हैं इससे बचने के बारे में….
लिस्ट में फेसबुक और गूगल जैसे एप्स का भी नाम
डबलिन के ट्रिनिटी कॉलेज में की गई रिसर्ट के मुताबिक तमाम कंपनियों के फोन में पहले से इंस्टॉल्ड एप चुपके से यूजर्स का डाटा अपने सर्वर पर स्टोर कर रहे हैं। ये एप्स स्क्रीन, वेब एक्टिविटी, फोन कॉल, डिवाइस आईडेंटिफायर जैसी जानकारी को स्टोर करते हैं। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सैमसंग, शाओमी, हुवावे और रियलमी, लिनेजOS और e/OS के भेजे गए डाटा का इस्तेमाल किया गया है। जिन एप्स पर जासूसी का आरोप है उनमें गूगल, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट एप्स के नाम शामिल हैं। इस रिपोर्ट को ‘एंड्रॉयड मोबाइल OS स्नूपिंग बाय सैमसंग, शाओमी, हुवावे और रियलमी हेड सेट’ के नाम से प्रकाशित किया गया है।
सभी एप्स को नहीं किया जा सकता अनइंस्टॉल
फोन में पहले से इंस्टॉल आने वाले कुछ एप्स को तो आप अनइंस्टॉल कर सकते हैं लेकिन कुछ एप्स ऐसे भी होते हैं जिन्हें आप ना डिलीट कर सकते हैं और ना ही अनइंस्टॉल कर सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शाओमी के फोन में आने वाले सभी प्री-इंस्टॉल एप, एप स्क्रीन की डिटेल्स शाओमी को भेजता है, जिसमें प्रत्येक एप पर बिताए गए समय की जानकारी होती है। रिपोर्ट का दावा है कि इस डाटा को सिंगापुर और यूरोप के बाहर भी भेजा जाता है। इसी तरह की जानकारी सैमसंग और अन्य कंपनियां भी स्टोर करती हैं, हालांकि रिसर्च में यह भी कहा गया है कि यह एक तरह का ईकोसिस्टम भी हो सकता है जिसमें फोन से डाटा को अलग-अलग कंपनियों को भेजा जाता है, ताकि डाटा का इस्तेमाल भविष्य में आने वाले किसी फीचर के लिए हो सके।
फिलहाल बचने का तरीका क्या है?
आजकल प्रीमियम स्मार्टफोन में भी फेसबुक, गूगल, अमेजन, व्हाट्सएप, स्पॉटिफाई जैसे एप्स प्री-इंस्टॉल आ रहे हैं। ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि फोन में पहले से इंस्टॉल आने वाले एप का आप इस्तेमाल ना करें। जिसे एप को इस्तेमाल करना है, पहले उसे डिलीट या अनइंस्टॉल करें और फिर से गूगल प्ले-स्टोर से उस एप को डाउनलोड करें, उसके बाद ही उसमें लॉगिन करके उसे इस्तेमाल करें।
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