बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: डिंपल अलावाधी
Updated Fri, 06 Aug 2021 12:50 PM IST
सार
आरबीआई ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी की वृद्धि दर 9.5 फीसदी रह सकती है। इस दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 5.7 फीसदी रह सकती है।
GDP और महंगाई पर आरबीआई का अनुमान
– फोटो : pixabay
आज मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर अनुमान जताया। शक्तिकांत दास ने कहा कि टीकाकरण से अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलने की उम्मीद है। टीकाकरण बढ़ने से आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं। जून के मुकाबले जुलाई में आर्थिक सुधार बेहतर रहा। लेकिन कोरोना की तीसरी लहर के प्रति चौकन्ना रहने की जरूरत है।
इतनी रह सकती है जीडीपी की वृद्धि दर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए RBI द्वारा अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 9.5 फीसदी है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 21.4 फीसदी होगी, दूसरी तिमाही में 7.3 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.3 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.1 फीसदी। शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में देश की वास्तविक जीडीपी 17.2 फीसदी रह सकती है।
वित्त वर्ष 2020-21 में आई थी 7.3 फीसदी की गिरावट
पहले रिजर्व बैंक ने 2021-22 के दौरान आर्थिक वृद्धि को 10.5 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया था। मालूम हो कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में पिछले वित्त वर्ष यानी 2020-21 में 7.3 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले वित्त वर्ष की शुरुआत जहां भारी गिरावट के साथ हुई थी, वहीं चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था वृद्धि की राह पर लौटी और जनवरी-मार्च 2021 तिमाही में 1.6 फीसदी वृद्धि हासिल की गई।
चालू वर्ष में कितनी रह सकती है महंगाई?
केंद्रीय बैंक ने आपूर्ति पक्ष की बाधाओं, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और कच्चा माल महंगा होने की वजह से चलते चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ा दिया है। वित्त वर्ष 2021-2022 में (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) पर आधारित मुद्रास्फीति 5.7 फीसदी रह सकती है। जबकि जून में हुई आरबीआई की पिछली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने इस वर्ष के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति के 5.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में महंगाई दर 5.9 फीसदी रह सकती है, तीसरी तिमाही में 5.3 और चौथी तिमाही में यह 5.8 फीसदी हो सकती है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-2023 की पहली तिमाही में सीपीआई 5.1 फीसदी रह सकती है।
विस्तार
आज मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर अनुमान जताया। शक्तिकांत दास ने कहा कि टीकाकरण से अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलने की उम्मीद है। टीकाकरण बढ़ने से आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं। जून के मुकाबले जुलाई में आर्थिक सुधार बेहतर रहा। लेकिन कोरोना की तीसरी लहर के प्रति चौकन्ना रहने की जरूरत है।
इतनी रह सकती है जीडीपी की वृद्धि दर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए RBI द्वारा अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 9.5 फीसदी है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 21.4 फीसदी होगी, दूसरी तिमाही में 7.3 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.3 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.1 फीसदी। शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में देश की वास्तविक जीडीपी 17.2 फीसदी रह सकती है।
वित्त वर्ष 2020-21 में आई थी 7.3 फीसदी की गिरावट
पहले रिजर्व बैंक ने 2021-22 के दौरान आर्थिक वृद्धि को 10.5 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया था। मालूम हो कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में पिछले वित्त वर्ष यानी 2020-21 में 7.3 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले वित्त वर्ष की शुरुआत जहां भारी गिरावट के साथ हुई थी, वहीं चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था वृद्धि की राह पर लौटी और जनवरी-मार्च 2021 तिमाही में 1.6 फीसदी वृद्धि हासिल की गई।
चालू वर्ष में कितनी रह सकती है महंगाई?
केंद्रीय बैंक ने आपूर्ति पक्ष की बाधाओं, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और कच्चा माल महंगा होने की वजह से चलते चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ा दिया है। वित्त वर्ष 2021-2022 में (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) पर आधारित मुद्रास्फीति 5.7 फीसदी रह सकती है। जबकि जून में हुई आरबीआई की पिछली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने इस वर्ष के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति के 5.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में महंगाई दर 5.9 फीसदी रह सकती है, तीसरी तिमाही में 5.3 और चौथी तिमाही में यह 5.8 फीसदी हो सकती है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-2023 की पहली तिमाही में सीपीआई 5.1 फीसदी रह सकती है।
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