अमर उजाला रिसर्च डेस्क, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 21 Jan 2022 06:35 AM IST
सार
अमेरिका में बुधवार को 5जी नेटवर्क सेवाएं शुरू होने के साथ ही कई देशों की विमानन कंपनियों ने उड़ानें रद्द करनी शुरू कर दी। अंदेशा जताया कि 5जी से विमानों की लैंडिंग में दिक्कतें आ सकती हैं। तत्काल समाधान के लिए दूरसंचार कंपनियों ने एयरपोर्ट के पास बफर जोन बनाने, सेवाएं रोकने का निर्णय ले लिया। 5जी और उड़ानों में क्या संबंध हैं, कैसे खतरे हैं, जानें…
मोबाइल नेटवर्क की पांचवीं पीढ़ी यानी 5जी को 4जी से बहुत तेज बताया गया है। इसमें इंटरनेट की गति 10 गुना ज्यादा मिलेगी जबकि लेटेंसी 10 गुना घट कर एक मिली सेकंड (1 सेकंड का 1000वां हिस्सा) रह जाएगी। लेटेंसी मतलब किसी डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक डाटा भेजने में लगे समय की वजह से हुई देरी। नए जमाने की तकनीकों जैसे वर्चुअल रियलिटी, खुद चलने वाली कारों, सामान डिलीवर करने वाले ड्रोन, रोबोटिक सर्जरी और टेलीमेडिसिन आदि के लिए 5जी रीढ़ की तरह है। इसके बिना भविष्य की कल्पना संभव नहीं है।
बताए गए खतरे को ऐसे समझें
- अमेरिका में 5जी इंटरनेट सेवाओं के लिए सी-बैंड की 3.70 से 3.98 गीगाहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल हो रहा है।
- 4.20 से 4.40 गीगाहर्ट्ज यानी इसी फ्रीक्वेंसी के आसपास विमानन कंपनियों के कई उपकरणों की संचार व्यवस्था काम करती है। कंपनियों को अंदेशा है कि दोनों फ्रीक्वेंसी एक-दूसरे को प्रभावित कर सकती हैं।
- कंपनियों ने 5जी की वजह से विमानों के अल्टीमीटरों, अन्य संवेदनशील उपकरणों और विजिबिलिटी पर असर का अंदेशा जताया है।
- उनका कहना है कि उड़ानों की ऊंचाई, अल्टीमीटर की रीडिंग, ऑटोमेटिक लैंडिंग, हवा के बहाव व खतरे आदि पहचानने में उन्हें मुश्किल हो सकती है।
- धुंध, खराब मौसम और घने बादल होने पर मुश्किलें और बढ़ेंगी।
40 देशों में 5जी पर वहां ऐसा क्यों नहीं?
अमेरिकी दूरसंचार कंपनियों एटीएंडटी व वेरिजॉन ने चिंताओं को नकार दिया है। कहा, 40 देशों 5जी सेवाएं हैं। वहां ऐसी समस्याएं नहीं आईं। जवाब में विमानन कंपनियों ने इन देशों में 5जी व विमानों की संचार फ्रीक्वेंसी में अंतर को ज्यादा बताया। यह तर्क को दूरसंचार कंपनियों ने नकार दिया। मामला इतना बढ़ गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन को हस्तक्षेप के लिए कहा जा रहा है।
समाधान निकलने में लग जाएंगे कुछ महीने
विमानन कंपनियों ने अमेरिकी सरकार को 50 ऐसे एयरपोर्ट की सूची दी है, जिन्हें वे खतरनाक मान रही हैं। इनके निकट दूरसंचार कंपनियों ने 5जी फिलहाल रोका हुआ है। इससे विमान सेवाएं बहाल करने व समाधान तलाशने के लिए कुछ समय मिला है। अमेरिकी सरकार के साथ वहां के कई विभाग, दूरसंचार और विमानन कंपनियां समाधान निकालने को लेकर बातचीत कर रही हैं। हालांकि, समझौता होने में कुछ महीने भी लग सकते हैं।
भारत में असर और हालात
भारत में 15 से अधिक शहरों में 5जी नेटवर्क शुरू करने की योजना है। हालांकि, स्पेक्ट्रम नीलामी नहीं हुई है। अमेरिका में स्पेक्ट्रम 6 लाख करोड़ रुपये का बिका था। ऐसे में सरकार पूरा वित्तीय उपयोग करना चाहती है। 5जी के अमेरिका जैसे खतरे पर किसी विमानन कंपनी ने चिंता नहीं जताई है। 3जी व 4जी के समय में सेना व प्रसार भारती ने आपत्तियां की थीं, ट्राई व दूरसंचार विभाग ने मतभेद दूर कराए। 5जी में भी आपत्ति आती हैं तो समाधान निकाले जाएंगे।
5जी से नहीं होगा उड़ानों पर असर : ट्राई
- दूरसंचार नियामक ने कहा, भारत में 5जी सेवा शुरू होने से विमानों के संचालन पर असर नहीं होगा।
- 5जी के लिए 3.3 से 3.6 गीगाहर्ट्ज के बैंड निर्धारित किए गए हैं। दोनों ही बैंड एयरलाइंस अल्टीमीटर्स की ओर से इस्तेमाल किए जा रहे 4.2 गीगाहर्ट्ज से काफी नीचे है। दोनों बैंड में पर्याप्त दूरी की वजह से उड़ानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
विस्तार
मोबाइल नेटवर्क की पांचवीं पीढ़ी यानी 5जी को 4जी से बहुत तेज बताया गया है। इसमें इंटरनेट की गति 10 गुना ज्यादा मिलेगी जबकि लेटेंसी 10 गुना घट कर एक मिली सेकंड (1 सेकंड का 1000वां हिस्सा) रह जाएगी। लेटेंसी मतलब किसी डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक डाटा भेजने में लगे समय की वजह से हुई देरी। नए जमाने की तकनीकों जैसे वर्चुअल रियलिटी, खुद चलने वाली कारों, सामान डिलीवर करने वाले ड्रोन, रोबोटिक सर्जरी और टेलीमेडिसिन आदि के लिए 5जी रीढ़ की तरह है। इसके बिना भविष्य की कल्पना संभव नहीं है।
बताए गए खतरे को ऐसे समझें
- अमेरिका में 5जी इंटरनेट सेवाओं के लिए सी-बैंड की 3.70 से 3.98 गीगाहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल हो रहा है।
- 4.20 से 4.40 गीगाहर्ट्ज यानी इसी फ्रीक्वेंसी के आसपास विमानन कंपनियों के कई उपकरणों की संचार व्यवस्था काम करती है। कंपनियों को अंदेशा है कि दोनों फ्रीक्वेंसी एक-दूसरे को प्रभावित कर सकती हैं।
- कंपनियों ने 5जी की वजह से विमानों के अल्टीमीटरों, अन्य संवेदनशील उपकरणों और विजिबिलिटी पर असर का अंदेशा जताया है।
- उनका कहना है कि उड़ानों की ऊंचाई, अल्टीमीटर की रीडिंग, ऑटोमेटिक लैंडिंग, हवा के बहाव व खतरे आदि पहचानने में उन्हें मुश्किल हो सकती है।
- धुंध, खराब मौसम और घने बादल होने पर मुश्किलें और बढ़ेंगी।
40 देशों में 5जी पर वहां ऐसा क्यों नहीं?
अमेरिकी दूरसंचार कंपनियों एटीएंडटी व वेरिजॉन ने चिंताओं को नकार दिया है। कहा, 40 देशों 5जी सेवाएं हैं। वहां ऐसी समस्याएं नहीं आईं। जवाब में विमानन कंपनियों ने इन देशों में 5जी व विमानों की संचार फ्रीक्वेंसी में अंतर को ज्यादा बताया। यह तर्क को दूरसंचार कंपनियों ने नकार दिया। मामला इतना बढ़ गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन को हस्तक्षेप के लिए कहा जा रहा है।
समाधान निकलने में लग जाएंगे कुछ महीने
विमानन कंपनियों ने अमेरिकी सरकार को 50 ऐसे एयरपोर्ट की सूची दी है, जिन्हें वे खतरनाक मान रही हैं। इनके निकट दूरसंचार कंपनियों ने 5जी फिलहाल रोका हुआ है। इससे विमान सेवाएं बहाल करने व समाधान तलाशने के लिए कुछ समय मिला है। अमेरिकी सरकार के साथ वहां के कई विभाग, दूरसंचार और विमानन कंपनियां समाधान निकालने को लेकर बातचीत कर रही हैं। हालांकि, समझौता होने में कुछ महीने भी लग सकते हैं।
भारत में असर और हालात
भारत में 15 से अधिक शहरों में 5जी नेटवर्क शुरू करने की योजना है। हालांकि, स्पेक्ट्रम नीलामी नहीं हुई है। अमेरिका में स्पेक्ट्रम 6 लाख करोड़ रुपये का बिका था। ऐसे में सरकार पूरा वित्तीय उपयोग करना चाहती है। 5जी के अमेरिका जैसे खतरे पर किसी विमानन कंपनी ने चिंता नहीं जताई है। 3जी व 4जी के समय में सेना व प्रसार भारती ने आपत्तियां की थीं, ट्राई व दूरसंचार विभाग ने मतभेद दूर कराए। 5जी में भी आपत्ति आती हैं तो समाधान निकाले जाएंगे।
5जी से नहीं होगा उड़ानों पर असर : ट्राई
- दूरसंचार नियामक ने कहा, भारत में 5जी सेवा शुरू होने से विमानों के संचालन पर असर नहीं होगा।
- 5जी के लिए 3.3 से 3.6 गीगाहर्ट्ज के बैंड निर्धारित किए गए हैं। दोनों ही बैंड एयरलाइंस अल्टीमीटर्स की ओर से इस्तेमाल किए जा रहे 4.2 गीगाहर्ट्ज से काफी नीचे है। दोनों बैंड में पर्याप्त दूरी की वजह से उड़ानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
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