बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Tue, 12 Apr 2022 02:47 PM IST
सार
S Jaishankar On Russian Oil Deal: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते जहां दोनों देशों का नुकसान हो रहा है। इस बीच रूसी तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने भारत पर कई टिप्पणियां की हैं। इस पर पलटवार करते हुए भारतीय विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत रूस से जितना तेल एक महीने में खरीदता है, यूरोप उससे ज्यादा आयात महज एक दोपहर तक कर डालता है।
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विस्तार
अमेरिका पर इस तरह साधा निशाना
विदेश मंत्री ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर आप रूस से ईंधन खरीदने को लेकर भारत पर सवाल खड़े कर रहे हैं, तो मैं आपसे यूरोप पर फोकस करने के लिए कहूंगा। उन्होंने कहा कि हम बस अपनी जरूरत का ईंधन खरीदते हैं, जो हमारी ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन यूरोप इतने बड़े सौदे सिर्फ एक दोपहर में ही कर लेता है।
अमेरिका ने की थी यह टिप्पणी
सूत्रों ने कहा कि रूसी तेल/गैस विभिन्न देशों, विशेषकर यूरोप द्वारा प्राप्त किया जा रहा है। रूस के कुल प्राकृतिक गैस निर्यात का 75 फीसदी ओईसीडी यूरोप को है। यूरोपीय देश (जैसे नीदरलैंड, इटली, पोलैंड, फिनलैंड, लिथुआनिया, रोमानिया) भी रूसी कच्चे तेल के बड़े आयातक हैं। गौरतलब है कि किफायती रूसी तेल समझौते पर प्रतिक्रिया देते हुए, अमेरिका ने मंगलवार को कहा था कि भले ही भारत अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं करेगा, लेकिन यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को इतिहास के गलत पक्ष में डाल देगा।
ऊर्जा लेन-देन का न हो राजनीतिकरण
गौरतलब है कि बीते दिनों अमेरिका की टिप्पणियों पर जवाब देते हुए भारत ने कहा था कि वैध ऊर्जा लेन-देन का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। सूत्रों के हवाले से जारी इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत सरकार की ओर साफ कर दिया गया है कि तेल आत्मनिर्भरता वाले देश या जो स्वयं रूस से आयात करते हैं, वे विश्वसनीय रूप से प्रतिबंधात्मक व्यापार की वकालत बिल्कुल भी नहीं कर सकते। भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भर है। कच्चे तेल की आवश्यकता का लगभग 85 फीसदी (प्रति दिन 5 मिलियन बैरल) आयात करना पड़ता है।
ऐेसे प्रस्तावों का हमेशा स्वागत
रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत कच्चे तेल का अधिकांश आयात पश्चिम एशिया (इराक 23 फीसदी, सऊदी अरब 18 फीसदी, संयुक्त अरब अमीरात 11 फीसदी) से होते हैं। इसमें कहा गया कि भारत को प्रतिस्पर्धी ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करते रहना होगा। हम सभी निर्माताओं के ऐसे प्रस्तावों का स्वागत करते हैं। भारतीय व्यापारी भी सर्वोत्तम विकल्प तलाशने के लिए वैश्विक ऊर्जा बाजारों में काम करते हैं। अमेरिका भी अब भारत (7.3 फीसदी) के साथ कच्चे तेल का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है। चालू वर्ष में अमेरिका से आयात में काफी वृद्धि होने की संभावना है।
