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अफगान धन की जब्ती : अफगानियों में अमेरिका के प्रति दुर्भावना बढ़ने के संकेत, कहा- ये गरीब देश के धन की चोरी

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल
Published by: रोमा रागिनी
Updated Sun, 13 Feb 2022 01:31 PM IST

सार

अफगानिस्तान का अमेरिका के बैंकों में जमा पैसे को जब्त करने से तालिबान में गुस्सा है। वहीं अफगानी समाजिक कार्यकर्ताओं का ये राशि अफगान की जनता का है, जो अकाल और भूखमरी से जूझ रही है । 

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राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान का अमेरिका में जमा धन जब्त कर लेने का फैसला किया है। इस फैसले से अफगानिस्तान में तालिबान भड़क गया है। वहीं यहां मानवीय सहायता पहुंचाने की उम्मीद में बैठे सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी मायूसी हुई है। तालिबान का दावा है कि अमेरिका का वो धन ना देने की वजह से वह मानवीय त्रासदी के बीच फंसी अपनी जनता को मदद नहीं पहुंचा पा रहा है।

बाइडन प्रशासन ने अमेरिकी बैंकों में जमा अफगानिस्तान के धन के आधे हिस्से को स्थायी तौर पर जब्त कर लिया है। उसने कहा है कि इस रकम से 9/11 (2001 में अमेरिका में हुए आतंकवादी हमलों) के शिकार बने लोगों और उनके परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा। अमेरिका में अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक की 7.1 बिलियन डॉलर की रकम जमा है। बाइडन प्रशासन के ताजा आदेश के मुताबिक इस रकम को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। उनमें से आधी रकम अफगानिस्तान में मानवीय सहायता के लिए रखी जाएगी, जबकि बाकी आधी रकम मुआवजा देने के लिए रख ली जाएगी। मुआवजे के वितरण के बारे में फैसला अमेरिकी अदालतें करेंगी।

सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा-ये गरीब देश के धन की चोरी
ये खबर आने के बाद अमेरिका में रहने वाले अफगान कार्यकर्ता बिलाल अस्करयार ने कहा- ‘अफगानिस्तान के लोगों का 9/11 से कोई संबंध नहीं था। इसलिए 9/11 के शिकार लोगों के परिजनों के नाम पर बाइडन प्रशासन ने जो प्रस्तावित किया है, वह एक गरीब देश के धन की चोरी है। जबकि वह देश वहां से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से अकाल और भुखमरी झेल रहा है।’ अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज पिछले साल अगस्त में लौटी थी। तभी तालिबान ने काबुल पर कब्जा जमा लिया था।

धन अफगानिस्तान की जनता का है
तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के पहले अमेरिका इस संगठन के साथ बातचीत कर रहा था। लेकिन जब उसके काबुल पर काबिज होते ही अमेरिका ने अफगान धन को निकालने पर रोक लगा दी। अब उसे जब्त कर लिया गया है। इस पर अफगान जनता की भलाई के लिए काम कर रही संस्थाओं के कार्यकर्ता भी नाराज हुए हैँ। ऐसी ही एक अमेरिका स्थित संस्था बेटर टुमौरो की सह-संस्थापक हेलेमा वली ने कहा कि ये धन अफगानिस्तान की जनता का है, जो मानवीय त्रासदी की शिकार है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने अफगानिस्तान में दो करोड़ 30 लाख लोगों के भुखमरी का शिकार होने की बात कही है।

आलोचकों ने की निंदा
आलोचकों ने कहा है कि बाइडन प्रशासन का ये फैसला अफगानिस्तान में स्थिरता कायम करने में सहायक नहीं होगा। इससे अफगानिस्तान में अमेरिका विरोधी भावनाएं और ज्यादा भड़क सकती हैं। जबकि अमेरिका सरकार का कहना है कि उसके ताजा फैसले के कारण 3.5 बिलियन डॉलर की रकम अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक को मिल जाएगी। लेकिन विश्लेषकों के मुताबिक यह साफ नहीं है कि ये रकम अफगान बैंक को कब मिलेगी। इस बारे में भी फैसला अमेरिकी अदालतें ही करेंगी।

एक अमेरिकी अधिकारी ने टीवी चैनल अल-जजीरा से कहा- ‘हमें यहां न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसमें कई महीने लगेंगे, तभी हम ये रकम अफगानिस्तान भेज पाएंगे।’ इस घटनाक्रम पर तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने ट्विटर पर कहा- ‘अफगान जनता के धन की जब्ती और चोरी यह दिखता है कि एक देश मानवीय और नैतिक मानदंडों पर कितना नीचे गिर सकता है।’

विस्तार

राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान का अमेरिका में जमा धन जब्त कर लेने का फैसला किया है। इस फैसले से अफगानिस्तान में तालिबान भड़क गया है। वहीं यहां मानवीय सहायता पहुंचाने की उम्मीद में बैठे सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी मायूसी हुई है। तालिबान का दावा है कि अमेरिका का वो धन ना देने की वजह से वह मानवीय त्रासदी के बीच फंसी अपनी जनता को मदद नहीं पहुंचा पा रहा है।

बाइडन प्रशासन ने अमेरिकी बैंकों में जमा अफगानिस्तान के धन के आधे हिस्से को स्थायी तौर पर जब्त कर लिया है। उसने कहा है कि इस रकम से 9/11 (2001 में अमेरिका में हुए आतंकवादी हमलों) के शिकार बने लोगों और उनके परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा। अमेरिका में अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक की 7.1 बिलियन डॉलर की रकम जमा है। बाइडन प्रशासन के ताजा आदेश के मुताबिक इस रकम को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। उनमें से आधी रकम अफगानिस्तान में मानवीय सहायता के लिए रखी जाएगी, जबकि बाकी आधी रकम मुआवजा देने के लिए रख ली जाएगी। मुआवजे के वितरण के बारे में फैसला अमेरिकी अदालतें करेंगी।

सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा-ये गरीब देश के धन की चोरी

ये खबर आने के बाद अमेरिका में रहने वाले अफगान कार्यकर्ता बिलाल अस्करयार ने कहा- ‘अफगानिस्तान के लोगों का 9/11 से कोई संबंध नहीं था। इसलिए 9/11 के शिकार लोगों के परिजनों के नाम पर बाइडन प्रशासन ने जो प्रस्तावित किया है, वह एक गरीब देश के धन की चोरी है। जबकि वह देश वहां से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से अकाल और भुखमरी झेल रहा है।’ अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज पिछले साल अगस्त में लौटी थी। तभी तालिबान ने काबुल पर कब्जा जमा लिया था।

धन अफगानिस्तान की जनता का है

तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के पहले अमेरिका इस संगठन के साथ बातचीत कर रहा था। लेकिन जब उसके काबुल पर काबिज होते ही अमेरिका ने अफगान धन को निकालने पर रोक लगा दी। अब उसे जब्त कर लिया गया है। इस पर अफगान जनता की भलाई के लिए काम कर रही संस्थाओं के कार्यकर्ता भी नाराज हुए हैँ। ऐसी ही एक अमेरिका स्थित संस्था बेटर टुमौरो की सह-संस्थापक हेलेमा वली ने कहा कि ये धन अफगानिस्तान की जनता का है, जो मानवीय त्रासदी की शिकार है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने अफगानिस्तान में दो करोड़ 30 लाख लोगों के भुखमरी का शिकार होने की बात कही है।

आलोचकों ने की निंदा

आलोचकों ने कहा है कि बाइडन प्रशासन का ये फैसला अफगानिस्तान में स्थिरता कायम करने में सहायक नहीं होगा। इससे अफगानिस्तान में अमेरिका विरोधी भावनाएं और ज्यादा भड़क सकती हैं। जबकि अमेरिका सरकार का कहना है कि उसके ताजा फैसले के कारण 3.5 बिलियन डॉलर की रकम अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक को मिल जाएगी। लेकिन विश्लेषकों के मुताबिक यह साफ नहीं है कि ये रकम अफगान बैंक को कब मिलेगी। इस बारे में भी फैसला अमेरिकी अदालतें ही करेंगी।

एक अमेरिकी अधिकारी ने टीवी चैनल अल-जजीरा से कहा- ‘हमें यहां न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसमें कई महीने लगेंगे, तभी हम ये रकम अफगानिस्तान भेज पाएंगे।’ इस घटनाक्रम पर तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने ट्विटर पर कहा- ‘अफगान जनता के धन की जब्ती और चोरी यह दिखता है कि एक देश मानवीय और नैतिक मानदंडों पर कितना नीचे गिर सकता है।’

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