वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Sat, 11 Dec 2021 07:50 AM IST
सार
अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख ने कहा कि अफगानिस्तान में धीरे-धीरे अलकायदा के आतंकी प्रवेश कर रहे हैं, लेकिन अमेरिका के लिए उनकी संख्या को ट्रैक करना मुश्किल हो गया है।
अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद से अफगानिस्तान में आतंकवाद फिर से बढ़ गया है। अब एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अगस्त के बाद से अफगानिस्तान में आतंकी संगठन अलकायदा फिर से खड़ा होना शुरू हो गया है। इतना ही नहीं तालिबान के नेता भी इस आतंकी संगठन को लेकर दो धड़ों में बंट गए हैं। 2020 में किए गए वादे के अनुसार तालिबान अलकायदा से हर तरह से रिश्ते तोड़ना चाहता था, लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख मरीन जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने एक मीडिया हाउस को बताया कि अमेरिकी सेनाओं और खुफिया एजेंसियों के अफगानिस्तान से पूरी तरह से अलग होने के बाद वहां पर अलकायदा की गतिविधियों को ट्रैक करना काफी मुश्किल हो चुका है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में हमारी क्षमताएं लगभग एक से दो प्रतिशत ही रह गई हैं। मैकेंजी ने कहा कि अलकायदा अफगानिस्तान के अंदर अपनी उपस्थिति को फिर से बढ़ा रहा है। यहीं से इस आतंकी संगठन ने अमेरिका पर हमला किया था। उन्होंने आगे कहा कि अलकायदा के कई आतंकी अफगानिस्तान की सीमा के अंदर आ रहे हैं, लेकिन अमेरिका के लिए उनकी संख्या को ट्रैक करना काफी मुश्किल हो चुका है।
विशेषज्ञों ने पहले ही किया था आगाह
अफगानिस्तान से पूरी तरह अमेरिकी सेनाओं की वापसी से पहले विशेषज्ञों ने आगाह किया था। मैंकेंजी समेत अन्य रक्षा विशेषज्ञों ने कहा था कि यह फैसला अलकायदा पर लगाए गए अंकुश को फिर से कमजोर करेगा क्योंकि सैन्य वापसी के बाद जमीन पर खुफिया एजेंसियां अनुपस्थित होंगी और उनकी जानकारी भी सीमित होगी।
तालिबान का रुख भांपना जरूरी
तालिबान के शासन के बाद से आतंकी संगठन आईएसआईएस भी अफगानिस्तान में काफी सक्रिय हो गया है और वह तालिबान पर ही हमले कर रहा है। ऐसे में अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि अब तालिबान का रुख कैसा होगा।
विस्तार
अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद से अफगानिस्तान में आतंकवाद फिर से बढ़ गया है। अब एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अगस्त के बाद से अफगानिस्तान में आतंकी संगठन अलकायदा फिर से खड़ा होना शुरू हो गया है। इतना ही नहीं तालिबान के नेता भी इस आतंकी संगठन को लेकर दो धड़ों में बंट गए हैं। 2020 में किए गए वादे के अनुसार तालिबान अलकायदा से हर तरह से रिश्ते तोड़ना चाहता था, लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख मरीन जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने एक मीडिया हाउस को बताया कि अमेरिकी सेनाओं और खुफिया एजेंसियों के अफगानिस्तान से पूरी तरह से अलग होने के बाद वहां पर अलकायदा की गतिविधियों को ट्रैक करना काफी मुश्किल हो चुका है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में हमारी क्षमताएं लगभग एक से दो प्रतिशत ही रह गई हैं। मैकेंजी ने कहा कि अलकायदा अफगानिस्तान के अंदर अपनी उपस्थिति को फिर से बढ़ा रहा है। यहीं से इस आतंकी संगठन ने अमेरिका पर हमला किया था। उन्होंने आगे कहा कि अलकायदा के कई आतंकी अफगानिस्तान की सीमा के अंदर आ रहे हैं, लेकिन अमेरिका के लिए उनकी संख्या को ट्रैक करना काफी मुश्किल हो चुका है।
विशेषज्ञों ने पहले ही किया था आगाह
अफगानिस्तान से पूरी तरह अमेरिकी सेनाओं की वापसी से पहले विशेषज्ञों ने आगाह किया था। मैंकेंजी समेत अन्य रक्षा विशेषज्ञों ने कहा था कि यह फैसला अलकायदा पर लगाए गए अंकुश को फिर से कमजोर करेगा क्योंकि सैन्य वापसी के बाद जमीन पर खुफिया एजेंसियां अनुपस्थित होंगी और उनकी जानकारी भी सीमित होगी।
तालिबान का रुख भांपना जरूरी
तालिबान के शासन के बाद से आतंकी संगठन आईएसआईएस भी अफगानिस्तान में काफी सक्रिय हो गया है और वह तालिबान पर ही हमले कर रहा है। ऐसे में अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि अब तालिबान का रुख कैसा होगा।
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