वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Sun, 06 Feb 2022 09:41 AM IST
सार
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि तालिबान ने अफगानिस्तान में विदेशी आतंकियों की गतिविधियों पर काबू के कोई कदम उठाए हैं। इसके उलट वहां आतंकी गुटों को और ज्यादा छूट मिल गई है।
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विस्तार
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि तालिबान ने अफगानिस्तान में विदेशी आतंकियों की गतिविधियों पर काबू के कोई कदम उठाए हैं। इसके उलट वहां आतंकी गुटों को और ज्यादा छूट मिल गई है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पाबंदी नियंत्रण समिति की 29 वीं रिपोर्ट इसी सप्ताह जारी की गई है। संयुक्त राष्ट्र साल में दो बार इस तरह की रिपोर्ट तैयार करता है, ताकि इस्लामिक स्टेट व अलकायदा जैसे संगठनों के आतंकियों पर पाबंदियों को और सख्त किया जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि अलकायदा के सरगना रहे ओसामा बिन लादेन के बेटे ने अक्तूबर में अफगानिस्तान जाकर तालिबान के नेताओं से मुलाकात की थी।
अमेरिका ने आतंक के खिलाफ 20 साल लंबी जंग के बाद बीते वर्ष अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुला ली है। इसके बाद तालिबान वहां फिर से सत्ता पर काबिज हो गया है। अमेरिका व तालिबान के बीच हुए समझौतों की कई शर्तों को उसने पूरा नहीं किया है। इसीलिए तालिबान सरकार को चीन व पाकिस्तान के अलावा अन्य देशों ने मान्यता नहीं दी है।
अलकायदा व तालिबान के रिश्ते जगजाहिर
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद वहां और पड़ोसी देशों में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अल-कायदा और तालिबान के बीच संबंध जगजाहिर हैं। इसका ताजा संकेत इस बात से मिलता है कि अमीन मुहम्मद उल-हक सैम खान, जो ओसामा बिन लादेन की सुरक्षा का समन्वय करता था, अगस्त के अंत में ही अफगानिस्तान स्थित घर लौट आया था।
तालिबान पर अलकायदा की रणनीतिक चुप्पी
अलकायदा ने तालिबान पर एक रणनीतिक चुप्पी बनाए रखी है। शायद तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मान्यता की कोशिश में बाधा नहीं आए, इसलिए वह अगस्त में तालिबान को बधाई देने के बाद से मौन है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अलकायदा के पास फिलहाल दूसरे देशों में हाई-प्रोफाइल हमले करने की क्षमता नहीं है।