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अफगानिस्तान: आतंक की सरकार चाहता है पाक! बरादर पर गोली चलना और आईएसआई चीफ की काबुल यात्रा का क्या है कनेक्शन

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Sun, 05 Sep 2021 12:10 PM IST

सार

तालिबानी नेता अब्दुल गनी बरादर, मुल्ला याकूब और हक्कानी नेटवर्क के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर विवाद इतना बढ़ गया है कि हक्कानी नेटवर्क ने तालिबान के नंबर दो के नेता अब्दुल गनी बरादर पर गोली चला दी। 
 

अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने से पहले काबुल पहुंचे आईएसआई चीफ।
– फोटो : Amar Ujala

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तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच झड़प… अब्दुल गनी बरादर पर गोली चलना… और आईएसआई चीफ की अफगानिस्तान यात्रा…ये सब महज इत्तेफाक नहीं है। दरअसल, पाकिस्तान अफगानिस्तान में आतंक की सरकार बनाना चाहता है। इसके लिए उसने पैंरते भी चलने शुरू कर दिए हैं। 

सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान की सत्ता को तालिबान के हाथ से छीन कर हक्कानी नेटवर्क को सौंपना चाहता है। शायद इसीलिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ऐसे समय पर अफगानिस्तान पहुंचे हैं जब तालिबान पर सरकार गठन को लेकर दबाव बढ़ता ही जा रहा है। 

पूर्व सांसद ने खोली पाक की पोल
आईएसआई चीफ की पाकिस्तान यात्रा पर अफगानिस्तान के पूर्व सांसद मरियम सोलाइमनखिल ने आरोप लगाया है कि आईएसआई चीफ काबुल इसलिए पहुंचे हैं ताकि वे आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क को सत्ता सौंप सकें। वह हक्कानी नेटवर्क के नेता को तालिबानी सरकार का प्रमुख बनना चाहते हैं। अब्दुल गनी बरादर और तालिबान के बीच बहुत सारी असहमतियां बन चुकी हैं। इसीलिए बरादर ने पंजशीर की लड़ाई से अपने लोगों को दूर कर लिया है। 

तालिबान के बड़े नेताओं से मुलाकात करेंगे आईएसआई चीफ
पाकिस्तान के अखबार ऑब्जर्वर का दावा है क आईएसआई चीफ फैज हमीद अपनी काबुल यात्रा के दौरान तालिबान के कई बड़े नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे और अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन पर चर्चा करेंगे। ऐसे में उनकी इस यात्रा और पूर्व सांसद मरियम के बयान के बाद कई सवाल खड़े होने लगे हैं। 

दोहा दफ्तर की टीम से भी मुल्ला याकूब खफा
तालिबान के राजनीतिक नेतृत्व ने हक्कानी नेटवर्क को सरकार में कुछ अहम पद देने की हामी भरी थी। अनस हक्कानी को काबुल पर कब्जे के तुरंत बाद राजधानी की सुरक्षा का प्रभार भी सौंपा गया था। इस फैसले से मुल्ला याकूब काफी नाराज है। याकूब ने कहा है कि दोहा में विलासिता का जीवन जीने वाले नेता जमीन पर लड़ने में शामिल लोगों पर शर्तें नहीं थोप सकते हैं।

पत्रकारों के सवाल से हुए असहज
काबुल यात्रा के दौरान आईएसआई चीफ पत्रकारों के सवालों से भी असहज दिखे। एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि अब अफगानिस्तान में क्या होने वाला है। इस पर वह काबुल में पाकिस्तानी राजदूर मंसूर खान की ओर देखने लगे। बाद में बोलें चिंता न करें, सब ठीक हो जाएगा। 

सरकार गठन के एलान के बाद हुई झड़प
एक दिन पहले ही तालिबान की ओर से आधिकारिक बयान आया था। इसके तहत तालिबान का कहना था कि दो से तीन दिन के अंदर सरकार गठन का एलान किया जाएगा। इसके एक दिन बाद ही खबर सामने आई कि हक्कानी नेटवर्क और तालिबानी नेता अब्दुल गनी बरादर के बीच झड़प हो गई। इसमें हक्कानी नेटवर्क की ओर से गोलीबारी की गई, जिसमें बरादर घायल हो गए। सूत्रों की मानें तो हक्कानी नेटवर्क सरकार में बड़ी हिस्सेदारी और रक्षामंत्री का पद मांग रहा है, जबकि तालिबान इतना कुछ देने को तैयार नहीं है। इसी वजह से तालिबान सरकार का एलान नहीं कर सका है।

विस्तार

तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच झड़प… अब्दुल गनी बरादर पर गोली चलना… और आईएसआई चीफ की अफगानिस्तान यात्रा…ये सब महज इत्तेफाक नहीं है। दरअसल, पाकिस्तान अफगानिस्तान में आतंक की सरकार बनाना चाहता है। इसके लिए उसने पैंरते भी चलने शुरू कर दिए हैं। 

सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान की सत्ता को तालिबान के हाथ से छीन कर हक्कानी नेटवर्क को सौंपना चाहता है। शायद इसीलिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ऐसे समय पर अफगानिस्तान पहुंचे हैं जब तालिबान पर सरकार गठन को लेकर दबाव बढ़ता ही जा रहा है। 

पूर्व सांसद ने खोली पाक की पोल

आईएसआई चीफ की पाकिस्तान यात्रा पर अफगानिस्तान के पूर्व सांसद मरियम सोलाइमनखिल ने आरोप लगाया है कि आईएसआई चीफ काबुल इसलिए पहुंचे हैं ताकि वे आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क को सत्ता सौंप सकें। वह हक्कानी नेटवर्क के नेता को तालिबानी सरकार का प्रमुख बनना चाहते हैं। अब्दुल गनी बरादर और तालिबान के बीच बहुत सारी असहमतियां बन चुकी हैं। इसीलिए बरादर ने पंजशीर की लड़ाई से अपने लोगों को दूर कर लिया है। 

तालिबान के बड़े नेताओं से मुलाकात करेंगे आईएसआई चीफ

पाकिस्तान के अखबार ऑब्जर्वर का दावा है क आईएसआई चीफ फैज हमीद अपनी काबुल यात्रा के दौरान तालिबान के कई बड़े नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे और अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन पर चर्चा करेंगे। ऐसे में उनकी इस यात्रा और पूर्व सांसद मरियम के बयान के बाद कई सवाल खड़े होने लगे हैं। 

दोहा दफ्तर की टीम से भी मुल्ला याकूब खफा

तालिबान के राजनीतिक नेतृत्व ने हक्कानी नेटवर्क को सरकार में कुछ अहम पद देने की हामी भरी थी। अनस हक्कानी को काबुल पर कब्जे के तुरंत बाद राजधानी की सुरक्षा का प्रभार भी सौंपा गया था। इस फैसले से मुल्ला याकूब काफी नाराज है। याकूब ने कहा है कि दोहा में विलासिता का जीवन जीने वाले नेता जमीन पर लड़ने में शामिल लोगों पर शर्तें नहीं थोप सकते हैं।

पत्रकारों के सवाल से हुए असहज

काबुल यात्रा के दौरान आईएसआई चीफ पत्रकारों के सवालों से भी असहज दिखे। एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि अब अफगानिस्तान में क्या होने वाला है। इस पर वह काबुल में पाकिस्तानी राजदूर मंसूर खान की ओर देखने लगे। बाद में बोलें चिंता न करें, सब ठीक हो जाएगा। 

सरकार गठन के एलान के बाद हुई झड़प

एक दिन पहले ही तालिबान की ओर से आधिकारिक बयान आया था। इसके तहत तालिबान का कहना था कि दो से तीन दिन के अंदर सरकार गठन का एलान किया जाएगा। इसके एक दिन बाद ही खबर सामने आई कि हक्कानी नेटवर्क और तालिबानी नेता अब्दुल गनी बरादर के बीच झड़प हो गई। इसमें हक्कानी नेटवर्क की ओर से गोलीबारी की गई, जिसमें बरादर घायल हो गए। सूत्रों की मानें तो हक्कानी नेटवर्क सरकार में बड़ी हिस्सेदारी और रक्षामंत्री का पद मांग रहा है, जबकि तालिबान इतना कुछ देने को तैयार नहीं है। इसी वजह से तालिबान सरकार का एलान नहीं कर सका है।

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