वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Thu, 09 Sep 2021 07:41 PM IST
सार
अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को मान्यता देने के मामले में अमेरिकी किसी जल्दबाजी के मूड में नहीं है। व्हाइट हाउस के अधिकारी ने बताया कि अमेरिका वहां फंसे अमेरिकी नागरिकों को वापस लाने के लिए तालिबान के संपर्क में है।
काबुल एयरपोर्ट
– फोटो : twitter.com/BarzanSadiq
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विस्तार
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां फंसे विदेशी नागरिकों के एयरलिफ्ट को लेकर अच्छी खबर आई है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अमेरिकी नागरिकों समेत 200 विदेशी जल्द ही काबुल से उड़ान भरेंगे। यह अफगानिस्तान पर तालिबान के संपूर्ण कब्जे और अमेरिका सेना की वापसी के बाद पहला एयरलिफ्ट अभियान होगा। इस बीच बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को मान्यता देने के मामले में अमेरिकी किसी जल्दबाजी के मूड में नहीं है।
व्हाइट हाउस के अधिकारी ने बताया कि अमेरिका फैसला लेने में जल्दबाजी नहीं करेगा, लेकिन हम वहां फंसे अमेरिकी नागरिकों को वापस लाने के लिए उनके संपर्क में हैं, जो अब अफगानिस्तान को चला रहे हैं और उस पर काबू कर रहे हैं। बता दें कि तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था और बीते मंगलवार को तालिबान ने मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के नेतृत्व में कैबिनेट का एलान किया था।
तालिबान की सरकार से जुड़े सवाल के जवाब में व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन पास्की ने बताया कि काबुल में नई सरकार को मान्यता देने के लिए अमेरिका जल्दबाजी में नहीं है। उन्होंने कहा कि इस प्रशासन में कोई भी, न राष्ट्रपति और न ही राष्ट्रीय सुरक्षा दल में कोई भी यह सुझाव देगा कि तालिबान वैश्विक समुदाय का सम्मानित और मूल्यवान सदस्य है। उन्होंने इसे किसी भी तरह से अर्जित नहीं किया है और हमने कभी भी इसका अंदाजा भी नहीं लगाया है। यह एक कार्यवाहक कैबिनेट है जिसमें कभी कैद किए गए चार पूर्व तालिबान लड़ाके भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि हमने यह नहीं बताया है कि हम उन्हें मान्यता देने जा रहे हैं और न ही हम मान्यता के लिए जल्दबाजी कर रहे हैं। इससे पहले उन्हें बहुत कुछ करना है। हमें अमेरिकी नागरिकों, कानूनी स्थायी निवासियों, विशेष आव्रजन वीजा (एसपीवी) के आवेदकों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने के लिए हम उनसे संपर्क कर रहे हैं। हमें उनके साथ जुड़ना पड़ रहा है क्योंकि वे अभी अफगानिस्तान की देखरेख कर रहे है और देश उनके नियंत्रण में है।