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अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की मुखालफत: क्या म्यांमार के सैनिक शासन को हथियार बेचने की तैयारी में है ईरान?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, यंगून
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 21 Jan 2022 04:01 PM IST

सार

पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि ईरान के रूस और चीन के साथ संबंध लगातार गहरे हो रहे हैं। हाल में तीनों देशों की सेनाओं के साझा अभ्यास के कार्यक्रम की भी घोषणा हुई थी। वैसे कुछ समय पहले तक ईरान म्यांमार के प्रति आलोचनात्मक रुख अपनाए हुए था। म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम आबादी पर हुई ज्यादतियों की उसने खुल कर आलोचना की थी…

म्यांमार जनरल मिन आंग हलिंग
– फोटो : Agency (File Photo)

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क्या म्यांमार के सैनिक शासकों को ईरान से सैनिक मदद मिल रही है? ईरान के विमानों के यहां उतरने की खबर से इस बारे में गंभीर कयास लगाए जा रहे हैं। ईरानी विमानों के म्यांमार आने की खबर वेबसाइट एशिया टाइम्स ने कूटनीतिक सूत्रों के हवाले से दी है। उस खबर के मुताबिक ईरान का एक प्रतिनिधिमंडल 13 जनवरी को म्यांमार पहुंचा। सूत्रों ने कहा है कि पिछले साल एक फरवरी को हुए सैनिक तख्ता पलट के बाद एक से अधिक बार ईरानी विमानों को म्यांमार में उतरते देखा गया है।

ईरान पर आरोप है कि वह कई ऐसे देशों को सैनिक उपकरण और हथियार बेच रहा है, जिन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं। ईरानी हथियारों के सीरिया और यमन के गृह युद्धों में इस्तेमाल होने की खबर भी मिल रही है। लेकिन इसके पहले म्यांमार के साथ ईरान के किसी सैनिक रिश्तों की खबर नहीं थी। अब तक म्यांमार हथियारों के लिए रूस और चीन पर निर्भर रहा है।

रूस और चीन से गहरे हो रहे संबंध

इस सिलसिले में पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि ईरान के रूस और चीन के साथ संबंध लगातार गहरे हो रहे हैं। हाल में तीनों देशों की सेनाओं के साझा अभ्यास के कार्यक्रम की भी घोषणा हुई थी। वैसे कुछ समय पहले तक ईरान म्यांमार के प्रति आलोचनात्मक रुख अपनाए हुए था। म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम आबादी पर हुई ज्यादतियों की उसने खुल कर आलोचना की थी। लेकिन अब ईरान की नीति में बदलाव के संकेत हैं।

वेबसाइट एशिया टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में फ्लाइटरडार-24 के डाटा के हवाले से बताया है कि एक ईरानी कार्गो एयरलाइन का विमान 13 जनवरी को यंगून पहुंचा। 14 जनवरी को वह वापस ईरान चला गया। म्यांमार में सैनिक शासन विरोधी गुटों की तरफ से बनाए गए नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी) के विदेश मंत्री जिन मार आंग ने एशिया टाइम्स से कहा- ‘यह दूसरा मौका है, जब मैंने ईरानी विमान को देखा है। समझा जाता है कि ये विमान सैनिक टेक्नोलॉजी के बारे में बातचीत के सिलसिले में यहां आया।’

बेच सकता है गाइडेड मिसाइलें

एशिया टाइम्स ने कहा है कि उसे ईरानी मीडिया में किसी ईरानी प्रतिनिधिमंडल के म्यांमार जाने से जुड़ी कोई खबर देखने को नहीं मिली है। न ही ईरान सरकार के किसी प्रतिनिधि ने पिछले हफ्ते ईरानी विमान के यंगून जाने के मकसद के बारे में कोई जानकारी दी है। लेकिन एक ईरानी विश्लेषक ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर इस वेबसाइट से कहा कि म्यांमार गए लोगों में संभवतया कुछ ऐसे हैं, जिनका संबंध ईरानी सेना से है।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक यह साफ नहीं है कि ईरान किस प्रकार के हथियार म्यांमार को दे सकता है। लेकिन सैनिक शासन के खिलाफ तेज हो रहे हथियारबंद विद्रोह के कारण सैनिक शासकों को नए हथियारों की जरूरत है, इस पर तमाम पर्यवेक्षक सहमत हैं। हथियारबंद गुटों ने पीपुल्स डिफेंस फोर्स नाम से एक यूनिट बनाई है, जो लगातार सैनिक ठिकानों पर हमले कर रही है। ऐसे में अनुमान लगाया गया है कि ईरान म्यांमार को गाइडेड मिसाइलें बेच सकता है।

विस्तार

क्या म्यांमार के सैनिक शासकों को ईरान से सैनिक मदद मिल रही है? ईरान के विमानों के यहां उतरने की खबर से इस बारे में गंभीर कयास लगाए जा रहे हैं। ईरानी विमानों के म्यांमार आने की खबर वेबसाइट एशिया टाइम्स ने कूटनीतिक सूत्रों के हवाले से दी है। उस खबर के मुताबिक ईरान का एक प्रतिनिधिमंडल 13 जनवरी को म्यांमार पहुंचा। सूत्रों ने कहा है कि पिछले साल एक फरवरी को हुए सैनिक तख्ता पलट के बाद एक से अधिक बार ईरानी विमानों को म्यांमार में उतरते देखा गया है।

ईरान पर आरोप है कि वह कई ऐसे देशों को सैनिक उपकरण और हथियार बेच रहा है, जिन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं। ईरानी हथियारों के सीरिया और यमन के गृह युद्धों में इस्तेमाल होने की खबर भी मिल रही है। लेकिन इसके पहले म्यांमार के साथ ईरान के किसी सैनिक रिश्तों की खबर नहीं थी। अब तक म्यांमार हथियारों के लिए रूस और चीन पर निर्भर रहा है।

रूस और चीन से गहरे हो रहे संबंध

इस सिलसिले में पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि ईरान के रूस और चीन के साथ संबंध लगातार गहरे हो रहे हैं। हाल में तीनों देशों की सेनाओं के साझा अभ्यास के कार्यक्रम की भी घोषणा हुई थी। वैसे कुछ समय पहले तक ईरान म्यांमार के प्रति आलोचनात्मक रुख अपनाए हुए था। म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम आबादी पर हुई ज्यादतियों की उसने खुल कर आलोचना की थी। लेकिन अब ईरान की नीति में बदलाव के संकेत हैं।

वेबसाइट एशिया टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में फ्लाइटरडार-24 के डाटा के हवाले से बताया है कि एक ईरानी कार्गो एयरलाइन का विमान 13 जनवरी को यंगून पहुंचा। 14 जनवरी को वह वापस ईरान चला गया। म्यांमार में सैनिक शासन विरोधी गुटों की तरफ से बनाए गए नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी) के विदेश मंत्री जिन मार आंग ने एशिया टाइम्स से कहा- ‘यह दूसरा मौका है, जब मैंने ईरानी विमान को देखा है। समझा जाता है कि ये विमान सैनिक टेक्नोलॉजी के बारे में बातचीत के सिलसिले में यहां आया।’

बेच सकता है गाइडेड मिसाइलें

एशिया टाइम्स ने कहा है कि उसे ईरानी मीडिया में किसी ईरानी प्रतिनिधिमंडल के म्यांमार जाने से जुड़ी कोई खबर देखने को नहीं मिली है। न ही ईरान सरकार के किसी प्रतिनिधि ने पिछले हफ्ते ईरानी विमान के यंगून जाने के मकसद के बारे में कोई जानकारी दी है। लेकिन एक ईरानी विश्लेषक ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर इस वेबसाइट से कहा कि म्यांमार गए लोगों में संभवतया कुछ ऐसे हैं, जिनका संबंध ईरानी सेना से है।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक यह साफ नहीं है कि ईरान किस प्रकार के हथियार म्यांमार को दे सकता है। लेकिन सैनिक शासन के खिलाफ तेज हो रहे हथियारबंद विद्रोह के कारण सैनिक शासकों को नए हथियारों की जरूरत है, इस पर तमाम पर्यवेक्षक सहमत हैं। हथियारबंद गुटों ने पीपुल्स डिफेंस फोर्स नाम से एक यूनिट बनाई है, जो लगातार सैनिक ठिकानों पर हमले कर रही है। ऐसे में अनुमान लगाया गया है कि ईरान म्यांमार को गाइडेड मिसाइलें बेच सकता है।

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