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UP Assembly Election 2022: पीएम मोदी की छवि पर टिकी है भाजपा की जीत की उम्मीद, जानें क्या है ग्राउंड रिपोर्ट

शशिधर पाठक, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रशांत कुमार झा
Updated Tue, 21 Dec 2021 12:29 PM IST

सार

भाजपा की अंदरुनी रिपोर्ट में बहुत कुछ किए जाने की बात सामने आई है। किया भी जा रहा है और समय रहते सब ठीक हो जाएगा। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जातिगत समीकरण की तरफ बढ़ रहे चुनाव को साधने की है। दूसरी बड़ी चुनौती विधायकों के बीच में टिकट बंटवारा और कटौती को लेकर फैल रही अफवाह है। वहीं, सपा का कहना है भाजपा की जमीन नीचे से खसक रही है। 

पीएम मोदी और सीएम योगी
– फोटो : अमर उजाला

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विस्तार

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि उ.प्र. में सरकार विरोधी लहर का मुकाबला कर रही है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह सरकार विरोधी लहर को ध्वस्त करने की रणनीति बनाने में लगे हैं। लखनऊ के सूत्र बताते हैं कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह अपने सहयोगी और पार्टी के संगठन मंत्री सुनील बंसल के साथ कड़ी मेहनत कर रहे हैं और सभी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के बूते 2022 में सरकार बना लेने का पूरा भरोसा है। मिल रहे संकेतों से साफ है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगे-आगे और मुख्यमंत्री योगी पीछे-पीछे चलकर चुनाव में सफलता का मंत्र गढ़ेंगे। भाजपा का उ.प्र. का चेहरा मुख्यमंत्री योगी ही रहेंगे।

प्रयागराज से भाजपा के नेता और उससे सटे जिले की विधानसभा सीट के प्रभारी ज्ञानेश्वर शुक्ला कहते हैं कि 2022 में पार्टी सरकार बनाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और योगी की जोड़ी भाजपा को 300 से अधिक सीटें दिलाएगा। शुक्ला का दावा अपनी जगह। यही दावा केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी लगातार कर रहे हैं। लेकिन एक बड़ी एजेंसी के लिए सर्वे कर रहे अमित सिंह का कहना है कि जमीनी बदलाव काफी हुआ है। अमित बहुत खुलासा नहीं करना चाहते। वह केवल इतना कहते हैं कि 2017 की तुलना में सामाजिक समीकरण बदले हैं और जनता अभी हर चुनाव की तरह चुप है। ईवीएम में अपना जोर दिखाएगी। अमित के मुताबिक 2022 का चुनाव नतीजा सभी को चौंकाएगा।

फिर भाजपा इतनी बेचैन क्यों हैं?

आखिर भाजपा में इतनी बेचैनी क्यों है? और क्यों उसके ही विधायक और नेता पार्टी छोड़ रहे हैं? इस सवाल पर ज्ञानेश्वर शुक्ला चुप हो जाते हैं। लखनऊ के सूत्र बताते हैं कि कुछ गड़बड़ तो है। भाजपा की अंदरुनी रिपोर्ट में बहुत कुछ किए जाने की बात सामने आई है। किया भी जा रहा है और समय रहते सब ठीक हो जाएगा। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जातिगत समीकरण की तरफ बढ़ रहे चुनाव को साधने की है। दूसरी बड़ी चुनौती विधायकों के बीच में टिकट बंटवारा और कटौती को लेकर फैल रही अफवाह है। तीसरा कारण जनता के बीच में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को बताया जा रहा है। वह कहते हैं कि बनारस में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य औऱ दिनेश शर्मा दोनों सही समय से उपस्थित थे। सब ठीक चल रहा था। पार्टी के रणनीतिकारों को उम्मीद थी कि जगह-जगह विकास को लोकर की जा रही घोषणाओं से भी वातावरण बदलेगा। लेकिन राजनीतिक नब्ज समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार श्याम नारायण पांडे का कहना है कि प्रदेश की जनता इसे चुनाव नजदीक देखकर भाजपा का राजनीतिक प्रयास मान ले रही है। बनारस के संजय सिंह कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बनारस को बहुत कुछ दिया है। बनारस की जनता को पता है कि उनका जिला वीवीआईपी हो चुका है, लोग प्रधानमंत्री में भरोसा रखते हैं, लेकिन आगे कुछ नहीं कहना चाहता।

किसान और टेनी प्रकरण कर रहा है नुकसान

गोरखपुर से लेकर गाजियाबाद तक एक संदेश भाजपा को परेशान कर रहा है। भाजपा के एक नेता का कहना है कि तीनों कृषि कानूनों पर प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद पढ़े लिखे लोगों और किसानों में गलत संदेश चला गया। यह भ्रम विपक्ष ने फैलाया है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि जब तीनों कानून सही थे तो वापस क्यों लिए गए? जरूर कुछ गड़बड़ थी। पश्चिमी उ.प्र. के कई जिलों में यह धारणा कुछ ज्यादा ही बन रही है। भाकियू के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक और उनकी टीम भी आग में घी डालने का काम रही है। वह गांव-गांव लोगों के बीच में जाकर इस सवाल को उठा रहे हैं।

दूसरा बड़ा सवाल अजय मिश्र टेनी प्रकरण को लेकर है। केन्द्र सरकार भी इस मुद्दे पर संवेदनशील हो जाती है। भाजपा के नेता भी नाम न छापने की शर्त पर मानते हैं कि टेनी को राहत देने से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ रहा है। लोग सवाल तो पूछते ही हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की टीम के एक सदस्य का कहना है कि एसआईटी रिपोर्ट आने और पत्रकार पर अजय मिश्र के हमले ने इस मुद्दे को कुछ ज्यादा हवा दे दी है। वह भी मानते हैं कि इसे सरकार की किसान विरोधी छवि के रूप में देखा जा रहा है। जबकि पिछले पांच साल में उ.प्र. की सरकार ने किसानों के लिए ऐतिहासिक काम किए हैं। केन्द्र सरकार का योगदान भुलाना मुश्किल है।

भाजपा के नीचे से जमीन खिसक रही – सपा

अखिलेश यादव की रथयात्रा के रणनीतिकार संजय लाठर कहते हैं कि भाजपा के पैर के नीचे से जमीन खिसक रही है। लाठर इसके लिए तीन प्रमाण देते हैं। वह कहते हैं कि पिछले तीन महीने में भाजपा, बसपा को पढ़े लिखे लोगों से लेकर किसानों के बीच में गलत संदेश चला गया। भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले विधायकों, नेताओं  की संख्या देख लीजिए। लाठर कहते हैं कि राजनीति करने वाले जमीन पर बदल रही हवा को भांपकर ही अपना पाला भी बदलते हैं।

उ.प्र. सरकार के एक और पूर्व मंत्री कहते हैं कि चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना तो घोषित होने दीजिए। आपको सब साफ दिखाई देने लगेगा। समाजवादी पार्टी के नेता सुशील दूबे का कहना है कि भाजपा की बेचैनी तो लोगों को दिखाई भी देने लगी है।अखिलेश के करीबी 4 लोगों के यहां आयकर का छापा, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ पुराने मामले को अब खोले जाने का आखिर क्या मतलब है? श्याम नारायण पांडे कहते हैंं कि विपक्षी दलों की जनसभा में इतनी भीड़ का आना लोगों की नाराजगी को ही दर्शाता है। कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी और बसपा की भी जनसभा देख लीजिए। मायावती की जनसभा में तो भीड़ होती थी, लेकिन कांग्रेस की नेता की जनसभा में भी लोग बड़ी संख्या में जुट रहे हैं। पांडे का कहना है कि दिल्ली में बैठकर भले न दिखाई दे, लेकिन उ.प्र. के लोग कहीं न कहीं महसूस कर रहे हैं कि राज्य सरकार उनकी उम्मीदों से काफी परे है। हालांकि श्याम नारायण का कहना है कि राजनीतिक रूप से उ.प्र. के मतदाताओं में सबसे मजबूत दल अभी भी भाजपा ही है।

जन विश्वास यात्रा से बदलेगा माहौल?

उ.प्र. 2022 फतह के लिए भाजपा ने सूबे के छह क्षेत्रों से छह रूट निर्धारित करके जन विश्वास यात्रा की शुरूआत की है। यह यात्रा 19 दिसंबर को मथुरा से निकलकर आज अलीगढ़ भी पहुंची है। इसके माध्यम से उ.प्र. की 403 विधान सीटों को साध लेने का उद्देश्य है। इसे भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह अपनी ऊर्जा दे रहे हैं। यात्रा का समापन लखनऊ में कराने की योजना है और इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संबोधित करेंगे। भाजपा के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि यह 2017 में विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की गई परिवर्तन यात्रा जैसा माहौल बनाएगी। जन विश्वास यात्रा में भाजपा ने प्रदेश की जनता तक उ.प्र. सरकार के कामकाज, केन्द्र सरकार की प्रदेश को सौगात और डबल इंजन की सरकार के कारण फलते-फूलते उ.प्र. का संदेश देने की योजना बनाई है।

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