Sports

Tokyo Paralympics: रजत जीतने के बाद भावुक हुए निशाद, कहा- मां ने बनाया खिलाड़ी उन्हीं के गले में डालूंगा पदक

Posted on

{“_id”:”612c7f2c88863962f500a397″,”slug”:”tokyo-paralympics-2021-nishad-kumar-became-emotional-after-winning-silver-medal-said-mother-made-a-player-i-will-put-medal-around-her-neck”,”type”:”feature-story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Tokyo Paralympics: u0930u091cu0924 u091cu0940u0924u0928u0947 u0915u0947 u092cu093eu0926 u092du093eu0935u0941u0915 u0939u0941u090f u0928u093fu0936u093eu0926, u0915u0939u093e- u092eu093eu0902 u0928u0947 u092cu0928u093eu092fu093e u0916u093fu0932u093eu0921u093cu0940 u0909u0928u094du0939u0940u0902 u0915u0947 u0917u0932u0947 u092eu0947u0902 u0921u093eu0932u0942u0902u0917u093e u092au0926u0915″,”category”:{“title”:”Other Sports”,”title_hn”:”u0905u0928u094du092f u0916u0947u0932″,”slug”:”other-sports”}}

हेमंत रस्तोगी, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ओम. प्रकाश
Updated Mon, 30 Aug 2021 12:18 PM IST

सार

टोक्यो पैरालंपिक में ऊंची कूद में रजत पदक जीतने वाले निशाद कुमार ने कहा कि मां ने उन्हें खिलाड़ी  बनाया और उन्ही के गले में पदक डालूंगा। निशाद ने 29 अगस्त को पैरालंपिक में इतिहास रचते हुए सिल्वर मेडल जीता था। 

टोक्यो पैरालंपिक 2021 एथलीट निशाद कुमार
– फोटो : सोशल मीडिया

ख़बर सुनें

ख़बर सुनें

निशाद बमुश्किल अपनी भावनाओं पर काबू रख पा रहे थे। रजत जीतने के बाद सबसे पहला धन्यवाद उन्होंने अपनी मां पुष्पा देवी को दिया। 2007 में घास काटने वाली मशीन से उनका हाथ कट गया था, लेकिन यह मां थीं जिन्होंने निशाद को कभी खेलने से नहीं रोका। निशाद टोक्यो से अमर उजाला से कहा कि यह पदक मां के गले में डाल देंगे। राष्ट्रीय खेल दिवस पर जीता यह पदक उनको और सभी देशवासियों को समर्पित है। मां ने हाथ कटा होने के बावजूद कभी उन्हें अहसास नहीं होने दिया कि वह दिव्यांग हैं। वह उन्हें खेलने के लिए प्रेरित करती थीं। उनके मन से यह डर भी निकाल दिया था कि उन्हें खेलने से चोट लगेगी। वह मां की वजह से ही खिलाड़ी बनें।
माता-पिता ने कर्ज लेकर कराई ट्रेनिंग 

हिमाचल प्रदेश के अंब के बदाऊं कस्बे के छह फुट चार इंच लंबे निशाद को याद है जब स्कूल में उनकी लंबाई की वजह से अध्यापक ने  ऊंची कूूद अपनाने को कहा। जब वह 2017 में अच्छी ट्रेनिंग के लिए पंचकूला जा रहे थे तो खेतों में मजदूरी करने वाली उनके माता-पिता ने सिर्फ 2500 रुपये देकर उन्हें भेजा था। उन्हें बाद में पता लगा कि उनकी तैयारियों के लिए माता-पिता ने लोगों से और बैंक से कर्ज लिया। उन्हें कभी इस बारे में नहीं बताया। बाईस वर्षीय निशाद चाहते हैं कि इस पदक के बाद उनकी सरकारी नौकरी लग जाए। वह मां को सरकारी नौकरी का तोहफा देना चाहते हैं। फिलहाल वह जालंधर के नजदीक लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं।

मरियप्पन के स्वर्ण से पैरा एथलेटिक्स का पता लगा

निशाद को 2016 तक पैरा खेलों के बारे में पता तक नहीं था। वह 2018 तक आम एथलीटों के साथ स्पर्धा में शिरकत करते रहे। रियो पैरालंपिक में जब टी मरियप्पन और वरुण भाटी ने ऊंची कूद में पदक जीते तो गांववालों ने उनसे कहा कि वह भी इसमें किस्मत आजमा सकते हैं। इसके बाद ही उन्होंने पैरा एथलेटिक्स को अपनाया। वह आम एथलीटों के स्कूल नेशनल में 10वें स्थान पर रहे थे। 

विस्तार

निशाद बमुश्किल अपनी भावनाओं पर काबू रख पा रहे थे। रजत जीतने के बाद सबसे पहला धन्यवाद उन्होंने अपनी मां पुष्पा देवी को दिया। 2007 में घास काटने वाली मशीन से उनका हाथ कट गया था, लेकिन यह मां थीं जिन्होंने निशाद को कभी खेलने से नहीं रोका। निशाद टोक्यो से अमर उजाला से कहा कि यह पदक मां के गले में डाल देंगे। राष्ट्रीय खेल दिवस पर जीता यह पदक उनको और सभी देशवासियों को समर्पित है। मां ने हाथ कटा होने के बावजूद कभी उन्हें अहसास नहीं होने दिया कि वह दिव्यांग हैं। वह उन्हें खेलने के लिए प्रेरित करती थीं। उनके मन से यह डर भी निकाल दिया था कि उन्हें खेलने से चोट लगेगी। वह मां की वजह से ही खिलाड़ी बनें।

Source link

Click to comment

Most Popular