एजेंसी, कोलंबो
Published by: Amit Mandal
Updated Tue, 08 Feb 2022 01:32 AM IST
सार
एक अदालत ने श्रीलंकाई नौसेना द्वारा दिसंबर में हिरासत में लिए गए 56 मछुआरों को रिहा करने का 25 जनवरी को आदेश दिया था।
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विस्तार
कारागार अधीक्षक एवं प्रवक्ता चंदना एकनायके ने कहा, भारतीय मछुआरों ने 25 जनवरी को अपनी रिहाई के बाद उत्तरी प्रांत के इयाक्काच्ची में जेल द्वारा संचालित कोविड-19 पृथकवास केंद्र में अपनी अवधि पूरी कर ली है। उनमें में कुछ मछुआरे संक्रमित पाए गए थे। अब उन्हें कोलंबो में एक आव्रजन हिरासत केंद्र में ले जाया जाएगा। एक अदालत ने श्रीलंकाई नौसेना द्वारा दिसंबर में हिरासत में लिए गए 56 मछुआरों को रिहा करने का 25 जनवरी को आदेश दिया था।
ईस्टर विस्फोटों के सिलसिले में बंद मानवाधिकार वकील को जमानत
श्रीलंका की एक अदालत ने सोमवार को प्रतिष्ठित मानवाधिकार वकील एवं कार्यकर्ता हिजाज हिज्बुल्ला को जमानत दे दी है। उन्हें 2019 के ईस्टर हमलों के संदिग्ध संबंध के लिए एक कठोर कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था। इन धमाकों में 11 भारतीयों सहित 270 लोग मारे गए थे।
हिज्बुल्ला को श्रीलंकाई सुरक्षा बलों ने 14 अप्रैल, 2020 को आतंकवाद निरोधक अधिनियम के तहत ईस्टर आत्मघाती बम धमाकों में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया था। उन्हें बिना किसी आरोप के गिरफ्तार किया गया था। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि जमानत आदेश महत्वपूर्ण है क्योंकि श्रीलंकाई अधिकारी मंगलवार को मानवाधिकार पर यूरोपीय संघ की उप समिति से मिलने वाले हैं।
ब्रिटेन ने अफगानिस्तान की लापता महिला कार्यकर्ताओं पर जताई चिंता
ब्रिटेन ने अफगानिस्तान में महिला कार्यकर्ताओं के लापता होने पर चिंता जताई है। अफगानिस्तान में ब्रिटिश मिशन के प्रभारी ह्यूगो शार्टर ने कहा, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि डेबोरा लियोन को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की गहरी चिंता है। इसलिए उन्हें गायब हुई महिला कार्यकर्ताओं के बारे में भी जवाब मांगने का पूरा हक है।
उन्होंने कहा, लियोन ने यह संदेश अफगानिस्तान में देश के राजनीतिक मामलों के कार्यवाहक उपप्रधानमंत्री अब्दुल कबीर को दिया है। उन्होंने लापता हुई अफगान महिला कार्यकर्ताओं के बारे में कार्यवाहक उपप्रधानमंत्री अब्दुल कबीर से इस मसले पर जवाब मांगा और कहा, सभी अफगानों के सम्मान के बिना अफगानिस्तान को विश्व का समर्थन मिलना मुश्किल है। वहीं, यूरोपीय संघ के विशेष दूत थॉमस निकोलसन ने तालिबान को फटकारा कि, नागरिकों की मनमानी बंदी मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए संगठनों की घोषित प्रतिबद्धताओं के विपरीत है।
