लेकिन जानकारों की निगाह मुख्य रूप से अमेरिका और चीन के बीच बढ़ रही होड़ पर टिकी है। थिंक टैंक ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट में अंतरिक्ष विशेषज्ञ मैल्कम डेविस के मुताबिक इस होड़ में चीन अभी तक अमेरिका के करीब नहीं पहुंचा है। लेकिन आगे अगर अमेरिका पिछड़ा और चीन ने अपनी रफ्तार बढ़ाई तो पूरी सूरत बदल जाएगी। डेविस ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘अगर चंद्र अभियान में चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया, तो यह उसके लिए बड़ी प्रतिष्ठा की बात होगी।’
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इस वर्ष मानव रहित ओरियन यान को चांद की कक्षा में स्थापित करने की तैयारी में है। इसे एक बहुत बड़ा अभियान बताया जा रहा है। यह अमेरिका सरकार और वहां के अंतरिक्ष में दिलचस्पी रखने वाले अरबपतियों का साझा अभियान होगा। इस अभियान से टेस्ला कंपनी के प्रमुख एलन मस्क भी जुड़े हुए हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक आर्टमिस-3 नामक इस अभियान के तहत 1972 के बाद पहली बार मनुष्य को चांद पर भेजा जाएगा। पहले ऐसा 2024 में करने की योजना थी। लेकिन अब इसके एक साल बाद होने की संभावना है। पहले इस अभियान पर 86 बिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान था। लेकिन अब देर की वजह से 93 बिलियन डॉलर खर्च होने का अंदाजा है।
उधर चीन अभी इस वर्ष चांद की निम्न कक्षा में अपने तियांगोन्ग अंतरिक्ष स्टेशन को स्थापित करने के काम को पूरा करने में जुटा हुआ है। उसकी योजना के मुताबिक वह 2030 में मानव युक्त यान चांद पर भेजेगा। उसके पहले चीन की योजना तीन मानव रहित यान चांद पर भेजने की है।
जापान के अंतरिक्ष विज्ञान विशेषज्ञ जुन्या तेराजोनों के मुताबिक चीन अंतरिक्ष अभियानों के मामले में आत्म-निर्भर होने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए उसने रोबोटिक्स और अंतरिक्ष उपकरणों के उत्पादन पर अपना ध्यान केंद्रित कर रखा है। तेरोजोनो ने कहा- ‘स्पष्टतः चीन का इरादा इस मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ने का है।’
मैल्कम डेविस ने चेतावनी दी है कि अमेरिका जिस तरह राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है, उससे उसके लिए सुसंगत अंतरिक्ष रणनीति अपनाना मुश्किल साबित हो सकता है। इसके बीच अगर अमेरिका ने अपनी प्राथमिकताएं बदलीं, तो चीन और रूस दोनों अंतरिक्ष के क्षेत्र में अग्रणी देश बन सकते हैँ।
विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि चांद पर मौजूद वाटर आइस वहां मानव गतिविधियों को जारी रखने के लिए पर्याप्त साबित हो सकती है। पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विखंडित कर उनका इस्तेमाल रॉकेट ईंधन के रूप में किया जा सकता है। इससे चांद से मंगल और दूसरे ग्रहों पर यान भेजने में मदद मिल सकती है। चांद पर हिलियम-3 भी काफी मात्रा में है, जिसका उपयोग न्यूक्लीयर फ्यूजन के लिए किया जा सकता है। जानकारों के मुताबिक इसीलिए अंतरिक्ष के लिए बढ़ती होड़ में सारी दुनिया की दिलचस्पी पैदा हो गई है।
