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Shattila Ekadashi 2022: षटतिला एकादशी व्रत के दौरान भूलकर भी न तोड़ें ये नियम, वरना नहीं मिल पाएगा शुभ फल

Shattila Ekadashi 2022

ज्योतिष डेस्क, अमरउजाला, नई दिल्ली
Published by: श्वेता सिंह
Updated Sun, 23 Jan 2022 09:24 PM IST

सार

Shattila Ekadashi 2022: षटतिला एकादशी व्रत 28 जनवरी दिन शुक्रवार को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा पूरे विधि विधान से  की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तिल का प्रयोग करना जरूरी होता है। षटतिला एकादशी व्रत करने के लिए कुछ नियम हैं, आइए जानते हैं कि षटतिला एकादशी व्रत के नियमों के बारे में जिनके अनुसार शुभ फल प्राप्त होता है। 
 

Shattila Ekadashi 2022

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विस्तार

Shattila Ekadashi 2022: हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी कहते हैं। षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। भगवान विष्णु को तिल का भोग लगाया जाता है। षटतिला एकादशी व्रत में तिल का छ: रूप में उपयोग करना उत्तम फलदाई माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, षटतिला एकादशी के दिन तिल का दान करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और जो जितना तिल दान करता है, उतने हजार वर्ष तक स्वर्ग में स्थान पाता है। षटतिला एकादशी व्रत 28 जनवरी दिन शुक्रवार को है।  इस दिन भगवान विष्णु की पूजा पूरे विधि विधान से  की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तिल का प्रयोग करना जरूरी होता है। षटतिला एकादशी व्रत करने के लिए कुछ नियम हैं, आइए जानते हैं कि षटतिला एकादशी व्रत के उन नियमों के बारे में जिनके अनुसार यदि श्रद्धालु व्रत रखेंगे तो उन्हें शुभ फल प्राप्त होगा। 

षटतिला एकादशी व्रत के नियम

  • षटतिला एकादशी का व्रत करने से एक दिन पूर्व से मांसाहार और तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। 
  • एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को बैगन और चावल नहीं खाना चाहिए। 
  • षटतिला एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को व्रत वाले दिन तिल का उबटन लगाना चाहिए, साथ ही पानी में तिल डालकर स्नान करना चाहिए। 
  • षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा में तिल का प्रयोग करें। उनको तिल का भोग लगाएं। 
  • जो व्रत रखते हैं, उनको फलाहार में तिल से बने खाद्य पदार्थ एवं तिल मिला हुआ जल ग्रहण करना चाहिए। 
  • षटतिला एकादशी के दिन तिल का हवन और तिल का दान करने का विधान है। 
  • एकादशी व्रत के दिन पूजा के समय षटतिला एकादशी व्रत कथा का श्रवण जरूर करें। 
  •  व्रत का श्रवण करने से उसका महत्व पता चलता है और व्रत का पुण्य मिलता है। 

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