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S-400 Missile Systems: रूस ने कहा- पश्चिमी प्रतिबंधों का भारत की एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति पर नहीं पड़ेगा असर

पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 03 Mar 2022 03:08 AM IST

सार

रूस के नामित राजदूत डेनिस अलीपोव ने राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए एक द्विपक्षीय तंत्र का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि एस-400 सौदे के संबंध में हम आश्वस्त कर दें कि इस पर किसी भी तरीके से असर नहीं पड़ेगा। यह 100 फीसदी निश्चित है।

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रूस द्वारा यूक्रेन पर सैन्य हमले के बाद पिछले कुछ दिनों में पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। वहीं इन प्रतिबंधों से रूस द्वारा भारत को एस-400 मिसाइल डिफेंस प्रणाली की आपूर्ति को लेकर मंडरा रहे खतरों के बीच रूस ने स्पष्ट किया है कि आपूर्ति पर पश्चिमी देशों द्वारा उस पर लगाए गए प्रतिबंधों का कोई असर नहीं पड़ेगा।

रूस ने बुधवार को कहा कि भारत को एस-400 मिसाइल डिफेंस प्रणाली की आपूर्ति पर पश्चिमी देशों द्वारा उस पर लगाए गए प्रतिबंधों से कोई असर नहीं पड़ेगा। एक मीडिया ब्रीफिंग में रूस के नामित राजदूत डेनिस अलीपोव ने राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए एक द्विपक्षीय तंत्र का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि एस-400 सौदे के संबंध में हम आश्वस्त कर दें कि इस पर किसी भी तरीके से असर नहीं पड़ेगा। यह 100 फीसदी निश्चित है। अलीपोव ने कहा कि जहां तक संपूर्ण व्यापार और आर्थिक सहयोग का संबंध है, तो हम देखेंगे कि जो कठोर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, उनका आखिरकार क्या असर पड़ेगा।

गौरतलब है कि अक्तूबर 2018 में ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बावजूद भारत ने रूस के साथ यह रक्षा सौदा किया था, जबकि ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि अनुबंध के साथ आगे बढ़ने पर अमेरिकी प्रतिबंधों को लागू किया जा सकता है। भारत ने एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब अमरीकी डालर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। रूस ने मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति पहले ही शुरू कर दी है।

द्विपक्षीय व्यापार पर प्रतिबंधों के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर अलीपोव ने कहा कि यह हद तक ‘भारतीय साझेदारों’’ के भागीदारी जारी रखने की तत्परता पर निर्भर करेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिमी प्रतिबंधों और यूक्रेन में संघर्ष का भारत को अहम रक्षा उपकरण की आपूर्ति करने पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, “हमारे पास राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए द्विपक्षीय तंत्र और साधन हैं। बहुत कुछ भारतीय भागीदारों की व्यापार को जारी रखने की तत्परता पर निर्भर करेगा क्योंकि उनमें से कुछ अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में अपने जोखिम के संबंध में अधिक सतर्क हैं।” 

इस सवाल के जवाब में कि क्या पश्चिमी प्रतिबंधों और यूक्रेन में संघर्ष से भारत को प्रमुख रक्षा उपकरणों की आपूर्ति प्रभावित होगी, अलीपोव ने कहा कि प्रतिबंधों के प्रभाव को दूर करने के लिए तंत्र मौजूद हैं। उन्होंने कहा, ‘‘रूस हमेशा राख से उठा है। यह एक बार फिर से उठेगा। इसमें कोई शक नहीं है। हमने अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं। हमारी अर्थव्यवस्था स्थिर है और मुझे विश्वास है कि हम उस दबाव का सामना करेंगे जो हम अनुभव कर रहे हैं या भविष्य में अनुभव करेंगे।” उन्होंने कहा, “जहां तक रक्षा में द्विपक्षीय व्यापार का संबंध है, तो हमारे पास पश्चिमी तंत्र से स्वतंत्र सहयोग और लेनदेन का तंत्र है।”

विस्तार

रूस द्वारा यूक्रेन पर सैन्य हमले के बाद पिछले कुछ दिनों में पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। वहीं इन प्रतिबंधों से रूस द्वारा भारत को एस-400 मिसाइल डिफेंस प्रणाली की आपूर्ति को लेकर मंडरा रहे खतरों के बीच रूस ने स्पष्ट किया है कि आपूर्ति पर पश्चिमी देशों द्वारा उस पर लगाए गए प्रतिबंधों का कोई असर नहीं पड़ेगा।

रूस ने बुधवार को कहा कि भारत को एस-400 मिसाइल डिफेंस प्रणाली की आपूर्ति पर पश्चिमी देशों द्वारा उस पर लगाए गए प्रतिबंधों से कोई असर नहीं पड़ेगा। एक मीडिया ब्रीफिंग में रूस के नामित राजदूत डेनिस अलीपोव ने राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए एक द्विपक्षीय तंत्र का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि एस-400 सौदे के संबंध में हम आश्वस्त कर दें कि इस पर किसी भी तरीके से असर नहीं पड़ेगा। यह 100 फीसदी निश्चित है। अलीपोव ने कहा कि जहां तक संपूर्ण व्यापार और आर्थिक सहयोग का संबंध है, तो हम देखेंगे कि जो कठोर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, उनका आखिरकार क्या असर पड़ेगा।

गौरतलब है कि अक्तूबर 2018 में ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बावजूद भारत ने रूस के साथ यह रक्षा सौदा किया था, जबकि ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि अनुबंध के साथ आगे बढ़ने पर अमेरिकी प्रतिबंधों को लागू किया जा सकता है। भारत ने एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब अमरीकी डालर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। रूस ने मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति पहले ही शुरू कर दी है।

द्विपक्षीय व्यापार पर प्रतिबंधों के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर अलीपोव ने कहा कि यह हद तक ‘भारतीय साझेदारों’’ के भागीदारी जारी रखने की तत्परता पर निर्भर करेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या पश्चिमी प्रतिबंधों और यूक्रेन में संघर्ष का भारत को अहम रक्षा उपकरण की आपूर्ति करने पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, “हमारे पास राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए द्विपक्षीय तंत्र और साधन हैं। बहुत कुछ भारतीय भागीदारों की व्यापार को जारी रखने की तत्परता पर निर्भर करेगा क्योंकि उनमें से कुछ अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में अपने जोखिम के संबंध में अधिक सतर्क हैं।” 

इस सवाल के जवाब में कि क्या पश्चिमी प्रतिबंधों और यूक्रेन में संघर्ष से भारत को प्रमुख रक्षा उपकरणों की आपूर्ति प्रभावित होगी, अलीपोव ने कहा कि प्रतिबंधों के प्रभाव को दूर करने के लिए तंत्र मौजूद हैं। उन्होंने कहा, ‘‘रूस हमेशा राख से उठा है। यह एक बार फिर से उठेगा। इसमें कोई शक नहीं है। हमने अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं। हमारी अर्थव्यवस्था स्थिर है और मुझे विश्वास है कि हम उस दबाव का सामना करेंगे जो हम अनुभव कर रहे हैं या भविष्य में अनुभव करेंगे।” उन्होंने कहा, “जहां तक रक्षा में द्विपक्षीय व्यापार का संबंध है, तो हमारे पास पश्चिमी तंत्र से स्वतंत्र सहयोग और लेनदेन का तंत्र है।”

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