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RBL Bad Loan: 300 करोड़ का लोन दिया और सात महीने में उसे बट्टे में डाला, उजागर हुई आरबीएल बैंक की कारस्तानी

RBL Bad Loan: 300 करोड़ का लोन दिया और सात महीने में उसे बट्टे में डाला, उजागर हुई आरबीएल बैंक की कारस्तानी

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Thu, 30 Dec 2021 02:42 PM IST

सार

RBL Bank 300 Crores Loan : एक रिपोर्ट में आरबीएल बैंक की कारस्तानी उजागर की गई है, जिस वजह से इसके सीईओ को लंबी छुट्टी पर भेजा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, आरबीएल ने एक कंपनी को 300 करोड़ रुपये का लोन दिया था और सात महीने के भीतर ही उसे बैड लोन में बदलकर बट्टे खाते में डाल दिया।

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आरबीएल बैंक इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां एक ओर इसके शेयर 52 हफ्ते के निचले स्तर तक आ गए हैं तो वहीं दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक की सख्ती ने बैंक के ग्राहकों को डरा दिया है। इस बीच अब आई एक रिपोर्ट में बैंक की कारस्तानी उजागर की गई है, जिस वजह से इसके सीईओ की छुट्टी तक कर दी गई। 

आरबीआई ने किए ये बड़े बदलाव
रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय बैंक ने बीते 25 दिसंबर को इस निजी बैंक में दो बड़े बदलावों को अंजाम दिया था। इसके तहत आरबीआई के चीफ जनरल मैनेजर योगेश दयाल को बैंक के बोर्ड में अतिरिक्त निदेशक नियुक्त किया गया था, जबकि बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ रहे विश्ववीर आहूजा को तत्काल लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया था। आरबीआई की इस बड़ी कार्रवाई के बाद बैंक के शेयरों में भारी गिरावट आई और ये 20 फीसदी तक टूट गए। गुरुवार को भी शेयरों में गिरावट का दौर जारी है।  

इस वजह से की की गई कार्रवाई
इस हालिया जारी एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि आखिर, आरबीएल बैंक के खिलाफ आरबीआई ने इस बड़ी कार्रवाई को क्यों अंजाम दिया। रिपोर्ट के अनुसार, आरबीएल ने 300 करोड़ रुपये का लोन दिया और सात महीने में ही उसे बैड लोन में बदलकर बट्टे खाते में डाल दिया। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि यह लोग आरबीएल बैंक ने साल 2018 में एक कंपनी को कंसोर्टियम के रूप में दिया था। बता दें कि आरबीआई काफी अर्से से बैंक के रिस्क डिपार्टमेंट से लोन पोर्टफोलियो डिटेल मांग रहा था। 

कंपनी के नाम का खुलासा नहीं
हालांकि, इस रिपोर्ट में यह साफ नहीं किया गया है कि आरबीएल बैंक द्वारा यह 300 करोड़ रुपये का बड़ा लोग आखिर किस कंपनी को दिया गया था। इसमें कहा गया है कि आरबीआई ने किसी खास लेन-देन को लेकर आपत्ति जाहिर नहीं की थी, बल्कि बोर्ड के सदस्यों को कुछ गड़बड़ होने का एहसास हुआ था। उन्होंने इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक से संपर्क किया, लेकिन केंद्रीय बैंक की योजना और इस मामले में उठाए गए कदम की उन्हें भनक तक नहीं लगी। 

बैंक के एनपीए में भारी इजाफा
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौर में आरबीएल बैंक के रिटेल लोन सेंगमेंट और माइक्रो फाइनैंस लेंडिंग समेत क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में एनपीए बढ़ा है। इससे बैंक के बैंलेंसशीट को लेकर चिंता जताई जा रही है। इस सब दिक्कतों के चलते निवेशक डरे हुए हैं और यही कारण है कि आरबीएल का शेयर 52 हफ्ते के निचले स्तर तक आ गया। 

वित्तीय स्थिति को बताया संतोषजनक
इससे पहले बीते सोमवार को आरबीआई ने कहा ग्राहकों को भरोसा दिलाया था कि आरबीएल बैंक अच्छी तरह से पूंजीकृत है और इसकी वित्तीय स्थिति संतोषजनक बनी हुई है। केंद्रीय बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बैंक की वित्तीय स्थिति को लेकर हालिया जारी रिपोर्टों पर जमाकर्ताओं और अन्य हितधारकों की प्रतिक्रिया की कोई आवश्यकता नहीं है। बैंक की वित्तीय स्थिति स्थिर बनी हुई है।

विस्तार

आरबीएल बैंक इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां एक ओर इसके शेयर 52 हफ्ते के निचले स्तर तक आ गए हैं तो वहीं दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक की सख्ती ने बैंक के ग्राहकों को डरा दिया है। इस बीच अब आई एक रिपोर्ट में बैंक की कारस्तानी उजागर की गई है, जिस वजह से इसके सीईओ की छुट्टी तक कर दी गई। 

आरबीआई ने किए ये बड़े बदलाव

रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय बैंक ने बीते 25 दिसंबर को इस निजी बैंक में दो बड़े बदलावों को अंजाम दिया था। इसके तहत आरबीआई के चीफ जनरल मैनेजर योगेश दयाल को बैंक के बोर्ड में अतिरिक्त निदेशक नियुक्त किया गया था, जबकि बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ रहे विश्ववीर आहूजा को तत्काल लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया था। आरबीआई की इस बड़ी कार्रवाई के बाद बैंक के शेयरों में भारी गिरावट आई और ये 20 फीसदी तक टूट गए। गुरुवार को भी शेयरों में गिरावट का दौर जारी है।  

इस वजह से की की गई कार्रवाई

इस हालिया जारी एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि आखिर, आरबीएल बैंक के खिलाफ आरबीआई ने इस बड़ी कार्रवाई को क्यों अंजाम दिया। रिपोर्ट के अनुसार, आरबीएल ने 300 करोड़ रुपये का लोन दिया और सात महीने में ही उसे बैड लोन में बदलकर बट्टे खाते में डाल दिया। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि यह लोग आरबीएल बैंक ने साल 2018 में एक कंपनी को कंसोर्टियम के रूप में दिया था। बता दें कि आरबीआई काफी अर्से से बैंक के रिस्क डिपार्टमेंट से लोन पोर्टफोलियो डिटेल मांग रहा था। 

कंपनी के नाम का खुलासा नहीं

हालांकि, इस रिपोर्ट में यह साफ नहीं किया गया है कि आरबीएल बैंक द्वारा यह 300 करोड़ रुपये का बड़ा लोग आखिर किस कंपनी को दिया गया था। इसमें कहा गया है कि आरबीआई ने किसी खास लेन-देन को लेकर आपत्ति जाहिर नहीं की थी, बल्कि बोर्ड के सदस्यों को कुछ गड़बड़ होने का एहसास हुआ था। उन्होंने इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक से संपर्क किया, लेकिन केंद्रीय बैंक की योजना और इस मामले में उठाए गए कदम की उन्हें भनक तक नहीं लगी। 

बैंक के एनपीए में भारी इजाफा

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौर में आरबीएल बैंक के रिटेल लोन सेंगमेंट और माइक्रो फाइनैंस लेंडिंग समेत क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में एनपीए बढ़ा है। इससे बैंक के बैंलेंसशीट को लेकर चिंता जताई जा रही है। इस सब दिक्कतों के चलते निवेशक डरे हुए हैं और यही कारण है कि आरबीएल का शेयर 52 हफ्ते के निचले स्तर तक आ गया। 

वित्तीय स्थिति को बताया संतोषजनक

इससे पहले बीते सोमवार को आरबीआई ने कहा ग्राहकों को भरोसा दिलाया था कि आरबीएल बैंक अच्छी तरह से पूंजीकृत है और इसकी वित्तीय स्थिति संतोषजनक बनी हुई है। केंद्रीय बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बैंक की वित्तीय स्थिति को लेकर हालिया जारी रिपोर्टों पर जमाकर्ताओं और अन्य हितधारकों की प्रतिक्रिया की कोई आवश्यकता नहीं है। बैंक की वित्तीय स्थिति स्थिर बनी हुई है।

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