बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Fri, 14 Jan 2022 12:07 PM IST
सार
UN Forecast For 2022: कोविड-19 के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट ने एक बार फिर से दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। भारत में भी ओमिक्रॉन के बढ़ते मामले चिंता का सबब बने हुए है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने अपनी रिपोर्ट में आगाह किया है कि भारत के आर्थिक सुधार की राह में ओमिक्रॉन वैरिएंट बड़ा रोड़ा बन सकता है और इसे बाधित कर सकता है।
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विस्तार
डेल्टा वैरिएंट ने बिगाड़ी थी अर्थव्यवस्था
यूएन ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस से एक बार फिर से तबाही मच सकती है। रिपोर्ट में कहा गया कि डेल्टा वैरिएंट के चलते अप्रैल और जून 2021 के बीच जो तबाही मची थी, वही हालात फिर से पैदा होने की संभावना है। गौरतलब है कि कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट की घातक लहर में 2,40,000 लोगों की मौत हो गई थी और आर्थिक सुधार बुरी तरह से बाधित हो गया था। भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक पूर्वानुमान में देश में लगातार तेजी से बढ़ रहे ओमिक्रॉन संक्रमण के मामलों की बढ़ती संख्या के बीच यह बड़ी चिंता जाहिर की गई है।
जीडीपी 6.7 फीसदी रहने का अनुमान
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, तेजी से टीकाकरण की प्रगति, कम कड़े प्रतिबंधों और अभी भी सहायक राजकोषीय और मौद्रिक रुख के बीच, भारत में आर्थिक सुधार एक ठोस रास्ते पर अग्रसर है। लेकिन जिस तरह से ओमिक्रॉन कहर बरपा रहा है उसके चलते 2021 में 9 फीसदी के विस्तार के मुकाबले 2022 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 6.7 फीसदी का विस्तार होने का अनुमान लगाया गया है। इसमें संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया है कि मजबूत निर्यात वृद्धि और सार्वजनिक निवेश अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेंगे। लेकिन, तेल की ऊंची कीमतों और कोयले की कमी से निकट भविष्य में आर्थिक गतिविधियों पर ब्रेक लग सकता है।
रिपोर्ट जारी कर यूएन ने दिए ये सुझाव
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में आर्थिक सुधार से परे समावेशी विकास का समर्थन करने के लिए निजी निवेश को प्रोत्साहित करना आवश्यक होगा। संयुक्त राष्ट्र के एक बयान में कोरोना काल में भारत की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना करने हुए कहा गया है कि भारत ने 2030 तक अक्षय स्रोतों से आने वाले अपने ऊर्जा मिश्रण का 50 फीसदी और 2070 तक शुद्ध-उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हालांकि, रोजगार वृद्धि को पुनर्जीवित करना गरीबी और असमानता से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है।
