न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Wed, 22 Dec 2021 09:17 PM IST
सार
याचिकाकर्ता ने मामले में गृह राज्य मंत्री को आरोपी बनाने की मांग करते हुए कहा है कि मंत्री ने पीड़ितों को घटना से कुछ दिन पहले धमकी दी थी
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विस्तार
याचिकाकर्ता ने मामले में गृह राज्य मंत्री को आरोपी बनाने की मांग करते हुए कहा है कि मंत्री ने पीड़ितों को घटना से कुछ दिन पहले धमकी दी थी। याचिका में दावा किया गया है कि मंत्री ने कहा था कि आप भी किसान हैं। यहां आंदोलन क्यों नहीं फैला? ये 10-15 लोग हैं। अगर मैं कार से नीचे उतर जाता तो उनके पास बचने का कोई रास्ता नहीं होता। 10-15 लोग पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं और शोर मचा रहे हैं। अगर कृषि कानून खराब थे तो आंदोलन पूरे देश में फैल जाना चाहिए था। यह क्यों नहीं फैला? मैं ऐसे लोगों को सुधरने के लिए कहता हूं। अन्यथा हम आपको सही करेंगे। केवल दो मिनट लगेंगे।
इसके अलावा याचिका में आईपीसी की धारा- 149 (गैरकानूनी सभा का प्रत्येक सदस्य समान उद्देश्य के लिए किए गए अपराध का दोषी) का हवाला देते हुए कहा गया है कि केंद्रीय मंत्री मिश्रा, पूर्व नियोजित तरीके से हुई किसानों और पत्रकारों की हत्या में शामिल थे, इसलिए एसआईटी को मामले में मिश्रा को आरोपी बनाना चाहिए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि गृह राज्य मंत्री ने योजना के क्रियान्वयन के लिए अपने बेटे को भेजा था।
दरअसल, तीन अक्टूबर को कई किसान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तब चार किसान एक एसयूवी द्वारा कुचले जाने के बाद मारे गए थे। वह एसयूवी कथित तौर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के काफिले का हिस्सा थी। हाल ही में लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना की जांच कर रहे उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने लखीमपुर की स्थानीय अदालत के समक्ष कहा था कि घटना के दौरान मौजूद लोगों को मारने की साजिश रची गई थी।
इसके अलावा एसआईटी ने केंद्रीय राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोपों को संशोधित करने के लिए अदालत के समक्ष प्रार्थना की है। मालूम हो कि याचिकाकर्ता तेज बहादुर यादव ने इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर वर्ष 2019 में वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन को चुनौती दी थी, हालांकि कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी।