Cryptocurrency News: बिटक्वाइन की तरह एक और क्रिप्टो प्लेटफार्म काफी चर्चा में है और इसका नाम है इथेरियम। यह भी ब्लॉकचेन पर काम करता है। कुछ विशेषज्ञों का तो यह भी कहना है कि आने वाले वर्षों में यह बिटक्वाइन से भी आगे निकल सकता है।
बात क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन की हो तो हर कोई सबसे पहले बिटक्वाइन का नाम लेता है। इस बीच एक और क्वाइन काफी तेजी से चर्चा में आया है, जिसे क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य कहा जाता है। इसकी कीमतों में भी काफी तेजी से उछाल आया है, लेकिन सवाल उठता है कि इथेरियम को बिटक्वाइन से अलग क्यों कहा जा रहा है? क्यों इसे क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य माना जाता है? बिटक्वाइन की तरह ब्लॉकचेन नेटवर्क पर काम करने के बावजूद इसकी लोकप्रियता इतनी तेजी से क्यों बढ़ रही है? अमर उजाला की खास सीरीज ‘कहानी क्रिप्टो की’ की तीसरी कड़ी में हम आपको इथेरियम के चलन में आने, लोकप्रिय होने और इसके भविष्य से जुड़े तमाम सवालों से रूबरू करा रहे हैं।
क्रिप्टोकरेंसी इस वक्त काफी चर्चा में है। इसे भविष्य की करेंसी तक करार दिया जा चुका है। टीवी और एफएम पर आ रहे तमाम विज्ञापनों में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश बेहद सुरक्षित बताया जा रहा है। आलम यह है कि भले ही कोई ब्लॉकचेन से रूबरू न हुआ हो, लेकिन आज की तारीख वह बिटक्वाइन, क्रिप्टोकरेंसी और पेमेंट में होने वाले इसके इस्तेमाल के बारे में बखूबी जानता है। बिटक्वाइन की तरह एक और क्रिप्टो प्लेटफार्म काफी चर्चा में है और इसका नाम है इथेरियम। यह भी ब्लॉकचेन पर काम करता है। कुछ विशेषज्ञों का तो यह भी कहना है कि आने वाले वर्षों में यह बिटक्वाइन से भी आगे निकल सकता है।
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इथेरियम एक ओपन सोर्स सार्वजनिक सेवा है, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करता है और बिना किसी थर्ड पार्टी की मदद के क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेंडिंग करने की आजादी देता है। इथेरियम के माध्यम से दो तरह के अकाउंट मौजूद हैं। पहला अकाउंट बाहरी स्वामित्व या एक्सटर्नली ओन्ड होता है, जो ह्यूमन यूजर्स द्वारा नियंत्रित प्राइवेट की के माध्यम से प्रभावित होता है। वहीं, दूसरा कॉन्ट्रैक्ट अकाउंट होता है। इथेरियम से डिवेलपर्स को डिसेंट्रलाइज्ड ऐप्स पर काम करने की छूट मिलती है। वैसे तो इस काम के लिए बिटक्वाइन पसंदीदा क्रिप्टोकरेंसी है, लेकिन इथेरियम की तेजी को देखते हुए माना जा रहा है कि भविष्य में यह बिटक्वाइन को पीछे छोड़ सकता है।
ब्लॉकचेन सिस्टम पर काम करने वाली बिटक्वाइन और इथेरियम क्रिप्टोकरेंसी में काफी समानताएं हैं, लेकिन दोनों में कई बड़े अंतर भी हैं। पहला और सबसे बड़ा अंतर यह है कि बिटक्वाइन सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी में ही ट्रेड करती है, जबकि इथेरियम क्रिप्टोकरेंसी के अलावा एक्सचेंज के कई तरीकों में काम आती है। साथ ही, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स और इथेरियम वर्चुअल मशीन पर भी इथेरियम को इस्तेमाल किया जा सकता है। बिटक्वाइन और इथेरियम अलग-अलग सिक्योरिटी प्रोटोकॉल पर आधारित हैं। बिटक्वाइन ‘प्रूफ ऑफ वर्क’ सिस्टम पर काम करती है, जबकि इथेरियम ‘प्रूफ ऑफ स्टेक’ सिस्टम पर काम करती है।
गौर करने वाली बात यह है कि इथेरियम में बड़ी-बड़ी कंपनियां भी निवेश कर रही हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जेपी मोर्गन चेज, इनटेल और माइक्रोसॉफ्ट आदि कंपनियों ने इथेरियम में निवेश किया है। बिटक्वाइन से तुलना करें तो 2021 तक इथेरियम के 50 फीसदी क्वाइन माइन हो चुके हैं, जिनकी संख्या करीब 90 मिलियन आंकी जा रही है। वहीं, बिटक्वाइन पूरी तरह माइन हो चुका है और इसकी संख्या 21 मिलियन है। इसके अलावा इथेरियम व्यक्तिगत तौर पर और कंपनियों को फंड ट्रांसफर करने में मदद करता है। मार्केट कैप की बात करें तो मार्केट में बिटक्वाइन की सर्कुलेटिंग सप्लाई दो करोड़ बिटक्वाइन है। वहीं, इथेरियम की सर्कुलेटिंग सप्लाई 12 करोड़ इथेरियम तक पहुंच चुकी है।
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जब भी इथेरियम की बात होती है तो बिटक्वाइन का जिक्र होना लाजिमी है। दरअसल, इथेरियम को लॉन्च करने वाली पहले बिटक्वाइन के लिए ही काम करती थी। इथेरियम के को-फाउंडर वितालिक बुतेरिन बताते हैं कि बिटक्वाइन कम्युनिटी में समस्या का समाधान सही तरीके से नहीं निकल रहा था। इससे निपटने के लिए उन्होंने नया रास्ता खोजना शुरू कर दिया। बुतेरिन 2011 में जब बतौर प्रोग्रामर बिटक्वाइन से जुड़े तब वह महज 17 साल के थे और बिटक्वाइन मैग्जीन के सह-संस्थापक बने। उन्होंने एक ऐसे मंच की कल्पना शुरू कर दी, जो बिटकॉइन द्वारा अनुमत वित्तीय उपयोग के मामलों से आगे हो। ऐसे में उन्होंने 2013 में इथेरियम के संबंध में श्वेत पत्र जारी किया।
साल 2014 में बुतेरिन और अन्य को-फाउंडर्स ने इथेरियम को लेकर कैंपेनिंग शुरू कर दी। इस दौरान उन्होंने ईथर बेचे और 18 मिलियन डॉलर से ज्यादा जुटाए। 2015 में इथेरियम को आधिकारिक तौर पर लॉन्च कर दिया गया। इसके बाद से इथेरियम की कीमत लगातार बढ़ रही है और इससे अब तक सैकड़ों डिवेलपर्स जुड़ चुके हैं। बुतेरिन का मानना है कि ब्लॉकचेन से जुड़ी हर समस्या का समाधान इथेरियम में मौजूद है।
बता दें कि अप्रैल 2015 में जब इथेरियम लॉन्च हुआ, तब इसकी कीमत महज 1.25 डॉलर थी। शुरुआती दौर में इसके दाम में 50 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई और सितंबर 2015 में यह सिर्फ 0.66 डॉलर का रह गया। हालांकि, इसके बाद इथेरियम के दाम में तेजी आने लगी और एक साल बाद यानी अप्रैल 2016 में इसकी कीमत 7.65 डॉलर हो गई। इसके बाद 2018 तक इथेरियम की कीमतों में तेजी आई, लेकिन 2019 और 2020 के दौरान इसकी दाम में गिरावट दर्ज की गई। साल 2021 इथेरियम का गोल्डन पीरियड साबित हुआ और यह क्रिप्टोकरेंसी नवंबर 2021 तक 4700 डॉलर के स्तर को पार कर गई।
साल |
कीमत |
अप्रैल 2015 |
1.25 डॉलर |
अप्रैल 2016 |
7.65 डॉलर |
अप्रैल 2017 |
75.04 डॉलर |
अप्रैल 2018 |
687.26 डॉलर |
अप्रैल 2019 |
153.68 डॉलर |
अप्रैल 2020 |
215.2 डॉलर |
अप्रैल 2021 |
2760.33 डॉलर |
नवंबर 2021 |
4766.35 डॉलर |
विस्तार
बात क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन की हो तो हर कोई सबसे पहले बिटक्वाइन का नाम लेता है। इस बीच एक और क्वाइन काफी तेजी से चर्चा में आया है, जिसे क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य कहा जाता है। इसकी कीमतों में भी काफी तेजी से उछाल आया है, लेकिन सवाल उठता है कि इथेरियम को बिटक्वाइन से अलग क्यों कहा जा रहा है? क्यों इसे क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य माना जाता है? बिटक्वाइन की तरह ब्लॉकचेन नेटवर्क पर काम करने के बावजूद इसकी लोकप्रियता इतनी तेजी से क्यों बढ़ रही है? अमर उजाला की खास सीरीज ‘कहानी क्रिप्टो की’ की तीसरी कड़ी में हम आपको इथेरियम के चलन में आने, लोकप्रिय होने और इसके भविष्य से जुड़े तमाम सवालों से रूबरू करा रहे हैं।
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