एएनआई, ह्यूस्टन
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 31 Dec 2021 04:29 AM IST
सार
प्रोफेसर पीटर होटेज ने भारत में कॉर्बेवैक्स के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी मिलने पर कहा कि कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट के तेजी से बढ़ते मामले को देखते हुए टीकाकरण की अति-आवश्यकता है। ऐसे में कॉर्बेवैक्स न केवल भारत के लिए बल्कि विश्व स्तर पर सहायक होगा क्योंकि अधिकांश अफ्रीकी महाद्वीप, भारत के आसपास के पड़ोसी देशों में बड़े पैमाने पर लोगों ने टीक नही लगवाया है।
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विस्तार
प्रोफेसर पीटर होटेज ने भारत में कॉर्बेवैक्स के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी मिलने पर न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि “कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट के तेजी से बढ़ते मामले को देखते हुए टीकाकरण की अति-आवश्यकता है। ऐसे में कॉर्बेवैक्स न केवल भारत के लिए बल्कि विश्व स्तर पर सहायक होगा क्योंकि अधिकांश अफ्रीकी महाद्वीप, भारत के आसपास के पड़ोसी देशों में बड़े पैमाने पर लोगों ने टीक नही लगवाया है।”
पीटर होटेज ने कहा कि “भारत में 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्कों के लिए कॉर्बेवैक्स का आपातकालीन उपयोग को मंजूरी मिलना महामारी को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह एक महान बाल चिकित्सा प्रोफाइल साबित होगा क्योंकि माता-पिता दशकों से अपने बच्चों को वही तकनीक (वैक्सीन में) दे रहे हैं… हम आशा करते हैं कि इसे एक बूस्टर डोज के रूप में भी पेश किया जा सकता है।”
होटेज ने कहा कि “हमने इस टीके को यथासंभव व्यापक रूप से उपलब्ध कराने के लिए डब्ल्यूएचओ के साथ चर्चा शुरू कर दी है, खासकर उन लोगों के लिए जो गरीबी में जी रहे हैं। इसे मापना आसान है, इसका सुरक्षा का एक अच्छा रिकॉर्ड है, इसे सरल तरीके से फ्रीज में रखा जा सकता है। इस वैक्सीन की एक आदर्श प्रोफाइल है।”
टेक्सास के बायलर काउंटी में नेशनल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर और डीन और सह-निदेशक डॉ पीटर होटेज ने पहले भी कहा था कि हमारी वैक्सीन तकनीक मानवीय संकट को दूर करने के लिए मार्ग प्रदान करती है, अर्थात निम्न और मध्यम आय वाले देश जो डेल्टा वैरिएंट से जूझ रहे हैं उनके लिए यह वरदान साबित होगा।
3000 से अधिक विषयों के साथ किया गया ट्रायल: टीसीएच
टीसीएच ने कहा कि कॉर्बेवैक्स टीका का क्लीनिकल ट्रायल 3,000 से अधिक विषयों के साथ किया गया है। कंपनी ने कहा है कि यह लोगों के लिए सुरक्षित और अच्छी तरह से सहन करने वाली वैक्सीन है। परीक्षणों ने ऑक्सफेर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविशील्ड की तुलना में अधिक प्रभावी है। टीके की सबसे बड़ी बात यह है कि इसने गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं दिखाई।