सार
पिछले साल सुल्ली डील्स पर महिलाओं की आपत्तिजनक तस्वीरें अपलोड करने जैसा एक वाकया इस बार ‘बुल्ली बाई’ नाम की एक एप पर मिला है।
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव।
– फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
एक एप पर कम से कम सौ प्रभावशाली मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें अपलोड किए जाने पर बवाल मच गया है। दरअसल, पिछले साल सुल्ली डील्स पर महिलाओं की आपत्तिजनक तस्वीरें अपलोड करने जैसा एक वाकया इस बार ‘बुल्ली बाई’ नाम की एक एप पर मिला है। सोशल मीडिया पर कई नामी हस्तियों द्वारा इसकी शिकायत करने पर आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि एप के होस्टिंग प्लेटफॉर्म गिटहब ने उपयोगकर्ता को ब्लाक करने की पुष्टि की है और भारतीय कम्प्यूटर आपदा प्रतिक्रिया दल (CERT) और पुलिस अधिकारी आगे की कार्रवाई के लिए सहयोग कर रहे हैं।
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कार्रवाई की मांग की
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने शनिवार को मुंबई पुलिस और वैष्णव दोनों को बुल्लीबाई एप के बारे में आगाह किया और कार्रवाई की मांग की। इसके बाद वैष्णव ने शनिवार देर रात ट्वीट किया, ‘‘गिटहब ने आज सुबह उपयोगकर्ता को ब्लॉक करने की पुष्टि की। सीईआरटी और पुलिस अधिकारी आगे की कार्रवाई के लिए समन्वय कर रहे हैं।” गौरतलब है कि सीईआरटी साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए नोडल एजेंसी है। मंत्री ने हालांकि इस बात की जानकारी नहीं दी कि क्या कार्रवाई की जा रही है।
शनिवार को चतुर्वेदी ने ट्वीट में कहा था, ‘‘मैंने मुंबई पुलिस आयुक्त और पुलिस उपायुक्त (अपराध) रश्मि करांदिकर जी से बात की है। वे इसकी जांच करेंगे। (मैंने) महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से भी हस्तक्षेप करने के लिए बात की है। उम्मीद है कि इस तरह की गलत साइट के पीछे जो लोग हैं उन्हें पकड़ा जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री माननीय अश्विनी वैष्णव जी से उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का कई बार आग्रह किया जो सुल्लीडील्स जैसे प्लेटफार्म के जरिये महिलाओं को निशाना बना रहे हैं। शर्म की बात है कि इसे नजरअंदाज किया जा रहा है।’’
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया जताते हुए, मुंबई पुलिस ने कहा कि उसने मामले का संज्ञान लिया है और संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। एक अधिकारी ने कहा कि मुंबई साइबर पुलिस ने आपत्तिजनक सामग्री के संबंध में जांच शुरू कर दी है।
बुल्ली बाई एप सुल्ली डील्स की तरह
गौरतलब है कि बुल्ली बाई एप के काम करने का तरीका बिल्कुल सुल्ली डील्स की तरह ही है। एप को खोलने पर एक मुस्लिम महिला की तस्वीर बुली बाई के तौर पर सामने आती है। ट्विटर पर अधिक फॉलोवर वाली मुस्लिम महिलाएं जिनमें पत्रकार भी शामिल है, उन्हें चुन कर उनकी तस्वीरें अपलोड की गई हैं। पिछले साल सुल्ली डील्स में मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों के दुरुपयोग के मामले में दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस ने दो प्राथमिकियां दर्ज की थीं। लेकिन अब तक दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। ‘बुल्ली बाई’ की ही तरह ‘सुल्ली डील्स’ को भी गिटहब प्लेटफार्म पर पेश किया गया था।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखा
बवाल के बीच राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर इस मामले में तेजी से कार्रवाई करने को कहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह के अपराध फिर से नहीं हो। सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं और महिला अधिकार समूहों ने इस विषय पर दुख जताया है।
महिलाओं के अपमान के खिलाफ ‘अब बोलना होगा’: राहुल
वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महिलाओं के अपमान और सांप्रदायिक नफरत के खिलाफ लोगों से आवाज़ बुलंद करने का आग्रह करते हुए कहा कि यह खतरे के खिलाफ बोलने का वक्त है। राहुल ने ‘नो फीयर’ हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किया कि महिलाओं का अपमान और सांप्रदायिक नफरत तभी बंद होंगे जब हम सब एक आवाज में इसके ख़िलाफ खड़े होंगे। साल बदला है, हाल भी बदलो- अब बोलना होगा!
2018 में माइक्रोसॉफ्ट ने 750 करोड़ अमेरिकी डॉलर में गिटहब को खरीदा था। यह इंटरनेट बेस्ड प्लेटफॉर्म है, जहां सॉफ्टवेयर व एप बनाने के लिए तकनीकी मदद दी जाती है। इसके लिए जरूरी तकनीक मुफ्त दी जाती है।
विपक्षी नेताओं के आरोप, पुलिस ने कुछ नहीं किया
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि यह घटना हैरान करने वाली है। ऐसे ही मामले में पिछली बार कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए अपराधियों का दुस्साहस बढ़ गया। एआईएमआईएम के सांसद असददुद्दीन ओवैसी ने भी कहा कि पिछली बार अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की इसलिए अपराधियों के हौसले बढ़े। उन्होंने अश्विनी वैष्णव, राष्ट्रीय महिला आयोग व दिल्ली पुलिस से सख्त कार्रवाई का निवेदन किया। भाकपा नेता कविता कृष्णन ने कहा कि सुल्ली डील्स घटना में एफआईआर के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कब तक मूकदर्शक बने रहेंगे बहुसंख्यक
ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमंस एसोसिएशन ने कहा कि इस अपराध के पीछे ‘हिंदू अतिवादियों’ का हाथ है। महिला अधिकार कार्यकर्ता शबनल हाशमी ने सवाल किया कि बहुसंख्यक कब तक मूकदर्शक बने रहेंगे? क्या सभी धर्मनिरपेक्ष लोग मानसिक और शारीरिक रूप से मृत हो चुके हैं? उन्होंने कहा, आक्रोश कहां है? ट्विटर पर भी कई लोगों ने इस मामले को उठाया है। कई आम लोगों ने भी सोशल मीडिया पर इसे उठाते हुए सरकार और पुलिस पर निशाना साधा है।
परेशान करने वालों को सरकारी छूट: महबूबा मुफ्ती
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि मुस्लिम महिलाओं को ऑनलाइन परेशान करने वालों को सरकारी प्रश्रय मिला हुआ है। उन्होंने कहा, जो अपराधी बुल्ली-बाई जैसे एप बना रहे हैं, उन्हें खुली छूट मिली हुई है।