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Bioscope S3: जब गुरुदत्त ने गुलशन नंदा को ऑफर किए आधा लाख, आशा पारेख को मिला इकलौता फिल्मफेयर पुरस्कार

कटी पतंग
– फोटो : अमर उजाला

फिल्म ‘कटी पतंग’ मशहूर उपन्यास लेखक गुलशन नंदा के उपन्यास पर बनी छठी फिल्म है। इससे पहले उनके उपन्यासों पर बनी फिल्में हैं, ‘फूलों की सेज’, ‘काजल’, ‘सावन की घटा’, ‘पत्थर के सनम’ और ‘नील कमल’। अपने समय की इन चर्चित फिल्मों में से एक फिल्म ऐसी भी रही जिसने बॉक्स ऑफिस पर कमाल तो नहीं किया लेकिन एक लोकप्रिय जनउपन्यास लेखक और एक ऐसे निर्देशक की दोस्ती करा दी, जिसने हिंदी सिनेमा को दिया था पहला पोस्टर ब्वॉय हीरो शम्मी कपूर। ये फिल्म थी ‘सावन की घटा’ और इसके निर्देशक शक्ति सामंत जब राजेश खन्ना के साथ अपनी पहली फिल्म ‘आराधना’ बना रहे थे तो वहीं बैठे बैठ एक दिन गुलशन नंदा और पटकथा लेखक सचिन भौमिक ने ‘कटी पतंग’ का ताना बाना बुन डाला। गुलशन नंदा की लिखी फिल्में ‘कटी पतंग’ और ‘खिलौना’ दोनों 1970 में रिलीज हुईं और दोनों सुपरहिट रहीं। इसके बाद गुलशन नंदा का नाम एक दर्जन से ज्यादा और फिल्मों से भी जुड़ा रहा, इनमें यश चोपड़ा की बतौर निर्माता पहली फिल्म ‘दाग’ भी शामिल है। गुलशन नंदा की ये कहानी भी यश चोपड़ा तक राजेश खन्ना ने ही पहुंचाई थी और यश चोपड़ा ने अपनी कंपनी का नाम यश राज फिल्म्स अपनी और राजेश खन्ना की दोस्ती पर ही रखा था। इससे पहले राजेश खन्ना ने शक्ति सामंत के साथ मिलकर एक फिल्म वितरण कंपनी शक्ति राज फिल्म्स डिस्ट्रीब्यूटर्स भी खोली थी।

कटी पतंग का एक दृश्य
– फोटो : अमर उजाला आर्काइव, मुंबई

कहानी विधवा विवाह की

फिल्म ‘कटी पतंग’ हिंदी सिनेमा की कल्ट फिल्मों में गिनी जाती है। फिल्म का एक एक गाना, राजेश खन्ना की एक एक अदा और आशा पारेख की एक एक बेबसी, बरसों बरस वैसी ही ताजी है। कहानी देखने में एक विधवा विवाह की कहानी जैसी लगती है लेकिन कहानी इतनी आसान नहीं है। नायिका एक बच्चे को लेकर उसकी ससुराल रहने आती है विधवा के तौर पर। उसकी सहेली दुर्घटना में मरने से पहले उससे यही वादा लेती है। नायिका मान भी जाती है क्योंकि वह अपना घर छोड़कर भाई आई है। शादी के मंडप से भागकर जिस प्रेमी के पास पहुंची, उससे धोखा खा चुकी है। रिश्तेदारों को गंवा चुकी है। और, फिर सामने आता है नायक। ये वही है जिससे शादी से इन्कार कर नायिका मंडप से भागी थी। कहानी पूरी फिल्मी है और इसी कहानी पर हॉलीवुड की एक फिल्म इससे पहले ‘नो मैन ऑफ हर ओन’ के नाम से बन चुकी है। ये फिल्म भी एक उपन्यास पर आधारित है जिसका नाम है, ‘आई मैरीड अ डेड मैन’ और जिसके लेखक हैं कॉर्नेल वूलरिच। फिल्म ‘कटी पतंग’ के बाद में तमिल में ‘नेनिजिल ओरू मुल’ और तेलुगू में ‘पुन्नामी चंद्रडुडु’ के नाम से रीमेक भी बने।

फिल्म कटी पतंग का पोस्टर
– फोटो : अमर उजाला आर्काइव, मुंबई

शम्मी कपूर के बाद राजेश खन्ना

शक्ति सामंत का नाम हिंदी सिनेमा में बहुत सम्मान के साथ आज भी लिया जाता है। राजेश खन्ना को फिल्म ‘आराधना’ में उनके करियर का सबसे अहम किरदार देने वाले शक्ति सामंत ने उससे पहले शम्मी कपूर के साथ सुपर डुपर हिट फिल्में बनाई थीं। ‘आराधना’ की ये जोड़ी इसके बाद ‘कटी पतंग’ और ‘अमर प्रेम’ में भी बनी। ‘अमर प्रेम’ तक आते आते राजेश खन्ना लाइन से 15 सोलो सुपरहिट फिल्में दे चुके थे। ‘अमर प्रेम’ इस लिस्ट में शामिल इसलिए नहीं है क्योंकि राजेश खन्ना ने तीन साल में ही शोहरत का जो आसमान छू लिया था, उसके तब सिमटने की बारी शुरू हो चुकी थी। ‘आनंद’ में अमिताभ बच्चन की झलक लोगों को भा गई थी। राजेश खन्ना में सुपरस्टारडम के सारे ऐब आ चुके थे। और, ‘जंजीर’ की शूटिंग शुरू हो चुकी थी।

कटी पतंग
– फोटो : अमर उजाला आर्काइव, मुंबई

शर्मिला की मजबूरी से आशा को मिला मौका

फिल्म ‘कटी पतंग’ से पहले फिल्म ‘आराधना’ में राजेश खन्ना के साथ शक्ति सामंत ने उस समय की नंबर वन और अपनी फेवरिट हीरोइन शर्मिला टैगोर को ही लिया था। फिल्म ‘कटी पतंग’ में भी वह शर्मिला को ही लेना चाहते थे, लेकिन उस समय तक सैफ अली खान उनकी कोख में आ चुके थे। वह यह रोल चाहकर भी नहीं कर पाईं। आशा पारेख के साथ राजेश खन्ना इससे पहले फिल्म ‘बहारों के सपने’ में काम कर चुके थे, और फिल्म कब आई, कब गई किसी को पता तक नहीं चला। लेकिन, शक्ति सामंत को आशा पारेख की क्षमता पर पूरा भरोसा था। फिल्म ‘कटी पतंग’ की कहानी दरअसल महिला प्रधान फिल्म की कहानी है। आशा पारेख ने ये रोल सुना तो तपाक से स्वीकार कर लिया।

कटी पतंग
– फोटो : अमर उजाला आर्काइव, मुंबई

आशा पारेख ने साझा की यादें

फिल्म ‘कटी पतंग’ की चर्चा चलने पर आशा पारेख कहती हैं, ‘शक्ति सामंत जी की फेवरिट हीरोइन तब शर्मिला टैगोर हुआ करती थीं। वह शायद विधवा का किरदार नहीं करना चाहती थीं और मैंने परदे पर बिना ग्लैमर के दिखने का ये मौका जाने नहीं दिया। फिल्म विधवा विवाह के एक बहुत ही संवेदनशील विषय पर बनी फिल्म थी। और, राजेश खन्ना तब तक बहुत बड़े सुपरस्टार भी बन चुके थे। लेकिन, उन्होंने एक महिला प्रधान फिल्म में काम करने में जरा भी हिचक नहीं दिखाई। हमने इससे पहले फिल्म ‘बहारों के सपने’ में काम किया था, लेकिन अब मामला अलग था। फिल्म के सारे हिट गाने राजेश पर फिल्माए गए। लेकिन, फिल्म का शीर्षक गीत जिसे लता जी ने गाया है, ‘ना कोई उमंग है, ना कोई तरंग है, मेरी जिंदगी है क्या, एक कटी पतंग है..’ मेरे ऊपर फिल्माया गया। और, आज भी मैं ये गाना सुनती हूं तो मेरे दिल में एक हूक सी उठती है।’

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