कलाकार
रणवीर सिंह
,
साकिब सलीम
,
ताहिर राज भसीन
,
जीवा
,
जतिन सरना
,
हार्डी संधू
,
एमी विर्क
,
राजेंद्र काला
,
नीना गुप्ता
,
पंकज त्रिपाठी
और
दीपिका पादुकोण
लेखक
कबीर खान
,
संजय पूरन सिंह चौहान
और
वासन बाला
निर्देशक
कबीर खान
निर्माता
दीपिका पादुकोण
,
साजिद नाडियाडवाला
,
विष्णु इंदुरी
और
कबीर खान
24 दिसंबर 2021
बीते दो साल कोरोना से लड़कर गुजारने वाली तीन पीढ़ियों में से एक पीढ़ी ऐसी भी है जिसने रेडियो के आसपास झुंड बनाकर क्रिकेट की कमेंट्री सुनी है। राह चलते पान की दुकान पर रुककर स्कोर पूछा है। क्रिकेट को दीवानों की तरह देखा है और फिर जब मुंबई के ब्रेबॉर्न स्टेडियम में विश्व विजेता क्रिकेट टीम के स्वागत में हुए कार्यक्रम में लता मंगेशकर ने ‘भारत विश्व विजेता..’ गाया तो उसके कैसेट खरीदकर उसे सालों साल सुना है। ये वह पीढ़ी है जिसने अपनी किशोरावस्था में न मोबाइल देखा, न सोशल मीडिया, न इंटरनेट और न ही न्यूज चैनल। तब समाचार मतलब आकाशवाणी या अखबार, टेलीविजन मतलब दूरदर्शन और एक शहर से दूसरे शहर बात करने के लिए भी ट्रंक कॉल की बुकिंग करानी होती थी। फिल्म ‘83’ उस दौर की कहानी है। तब भारत भी क्रिकेट बस खेलता था। जीतना उसकी आदत में ही शुमार नहीं था। क्रिकेट टीम के तमाम खिलाड़ियों ने 1983 वर्ल्ड कप जाने का प्लान भी इस तरह से बनाया था कि वापसी की टिकटें फाइनल से पहले की ही बुक करा रखी थीं और कुछ तो यहीं से अमेरिका घूमने की तैयारी करने निकले थे। फिल्म ‘83’ क्रिकेट की अनिश्चितताओं की जीत है।