विपक्षी सांसदों के भारी हंगामे की वजह से लोकसभा की कार्यवाही बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई। इसी के साथ सदन में मानसूत्र सत्र की कार्यवाही तय समय से दो दिन पहले ही खत्म हो गई। इस रिपोर्ट में पढ़िए कि विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ा 17वीं लोकसभा के छठे सत्र के दौरान कितने घंटे काम हुआ, कितना समय बर्बाद हुआ, कौन-कौन से विधेयक पारित किए गए और 17वीं लोकसभा से कामकाज से संबंधित सभी जानकारियां।
17वीं लोकसभा का यह छठा सत्र था। इसकी शुरुआत 19 जुलाई को हुई थी और यह तय तारीख 13 अगस्त से दो दिन पहले ही समाप्त हो गया। इस दौरान कुल 17 बैठकें हुईं। कुल छह सत्रों में सबसे कम बैठकों वाला यह दूसरा सत्र है। पहले सत्र में 37 बैठकें आयोजित हुई थीं। दूसरे सत्र में यह संख्या 20, तीसरे सत्र में 23, चौथे सत्र में 10 और पांचवें सत्र में 24 रही।
इस दौरान कुल 21 घंटे और 14 मिनट ही बैठकें चलीं। यह आंकड़ा अब तक के सभी छह सत्रों में सबसे कम है। बता दें कि लोकसभा के पहले सत्र में बैठकों का कुल समय 280 घंटे था। दूसरे सत्र में यह आंकड़ा 130.45, तीसरे सत्र में 110.15, चौथे सत्र में 60 और पांचवें सत्र में 132 घंटे रहा था।
इस सत्र में बाधाओं और जबरन स्थगन के चलते कुल 74 घंटे 46 मिनट का समय बर्बाद हुआ। यह आंकड़ा भी 17वीं लोकसभा के सभी छह सत्रों में सबसे अधिक है। लोकसभा सचिवालय के आंकड़ों के अनुसार लोकसभा के पहले और पांचवें सत्र में समय की बिल्कुल बर्बादी नहीं हुई थी। दूसरे सत्र में छह घंटे 39 मिनट समय बर्बाद हुआ था। वहीं, तीसरे सत्र में यह समय 30 घंटे तीन मिनट और चौथे सत्र में तीन घंटे 51 मिनट था।
13 विधेयक पेश हुए और 20 पारित हुए
इस सत्र में सरकार ने लोकसभा में कुल 13 विधेयक पेश किए और 20 विधेयक पारित हुए। यानी कि सात विधेयक बिना चर्चा के ही पारिए कर दिए गए। 17वीं लोकसभा के बाकी सत्रों की बात करें तो पहले सत्र में 33 विधेयक पेश हुए थे और 35 पारित हुए थे। दूसरे में 18 पेश हुए थे और 14 पारित हुए थे। तीसरे सत्र में 18 पेश हुए थे और 15 पारित हुए थे। चौथे सत्र में 16 विधेयक पेश हुए थे और 25 पारित हुए थे। पांचवें में 17 पेश हुए थे और 18 विधेयक पारित हुए थे।
नियम 317 के तहत कुल 331 मामले उठाए गए। 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में नियम 317 के तहत सबसे ज्यादा 488 मामले उठाए गए थे। दूसरे सत्र में यह संख्या 364, तीसरे सत्र में 399, चौथे सत्र में 183 और पांचवें सत्र में 405 रही थी।
बता दें कि नियम 377 में प्रावधान है कि यदि कोई सदस्य सदन के ध्यान में कोई ऐसा मामला लाना चाहता है जो व्यवस्था का विषय न हो, तो इसके लिए उसे सचिव को लिखित नोटिस देना होता है। इसमें मामले का स्पष्ट और सटीक रूप से उल्लेख होना चाहिए। सदस्य को इसे उठाने की अनुमति तभी दी जा सकती है जब अध्यक्ष ने सहमति दे दी हो। इसका समय और तारीख अध्यक्ष तय करता है।
छठे सत्र में लोकसभा में शून्य काल के दौरान तत्काल सार्वजनिक महत्व का एक भी मामला नहीं उठाया गया। 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में शून्य काल के दौरान तत्काल सार्वजनिक महत्व के कुल 1066 मामले उठाए गए थे। दूसरे सत्र में यह आंकड़ा 934 रहा था। वहीं, तीसरे सत्र में ऐसे मामलों की संख्या 436, चौथे सत्र में 370 और पांचवें सत्र में 583 रही थी।
नियम 193 के तहत एक भी चर्चा नहीं हुई। मंत्रियों की ओर से कुल 52 बयान दिए गए। इसके अलावा इस सत्र में संसदीय समितियों की ओर से कुल 60 रिपोर्ट पेश की गईं। 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में एक भी रिपोर्ट नहीं पेश की गई थी। दूसरे सत्र में यह संख्या 48, तीसरे सत्र में 58, चौथे सत्र में दो और पांचवें सत्र में 171 रही थी।
लोकसभा के छठे सत्र में 320 चिह्नित प्रश्न स्वीकार किए गए। इनमें से 66 सवालों का मौखिक रूप से उत्तर दिया गया। वहीं, स्वीकार किए गए गैर चिह्नित सवालों की संख्या 3680 रही। चिह्नित प्रश्नों की बात करें तो पहले सत्र में 500 सवाल स्वीकार गए थे और 183 का मौखिक उत्तर दिया गया था। दूसरे सत्र में यह आंकड़ा 380 और 140 का रहा था। तीसरे सत्र में यह संख्या 420 और 98, पांचवें सत्र में 440 और 84 रही थी। चौथे सत्र में दोनों आंकड़े शून्य रहे थे।
छठे सत्र के दौरान कोरोना वायरस महामारी के कारण आगंतुकों को आगंतुक गैलरी में आने की अनुमति नहीं दी गई थी।
17वीं लोकसभा का छठा सत्र पूरी तरह विपक्ष के हंगामे के नाम रहा। पेगासस जासूसी मुद्दा, किसान आंदोलन और महंगाई ऐसे विषय रहे जिनके विरोध में विपक्ष के व्यवहार के चलते कार्यवाही को कई बार स्थगित करना पड़ा। स्पीकर के आसन की ओर कागज के टुकड़े फेंके जाने समेत इस दौरान कई घटनाएं ऐसी हुईं जिन्होंने लोकसभा की गरिमा को ठेस पहुंचाई। विपक्षी दल पेगासस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में सदन में चर्चा की मांग कर रहे थे।
विस्तार
17वीं लोकसभा का यह छठा सत्र था। इसकी शुरुआत 19 जुलाई को हुई थी और यह तय तारीख 13 अगस्त से दो दिन पहले ही समाप्त हो गया। इस दौरान कुल 17 बैठकें हुईं। कुल छह सत्रों में सबसे कम बैठकों वाला यह दूसरा सत्र है। पहले सत्र में 37 बैठकें आयोजित हुई थीं। दूसरे सत्र में यह संख्या 20, तीसरे सत्र में 23, चौथे सत्र में 10 और पांचवें सत्र में 24 रही।
इस दौरान कुल 21 घंटे और 14 मिनट ही बैठकें चलीं। यह आंकड़ा अब तक के सभी छह सत्रों में सबसे कम है। बता दें कि लोकसभा के पहले सत्र में बैठकों का कुल समय 280 घंटे था। दूसरे सत्र में यह आंकड़ा 130.45, तीसरे सत्र में 110.15, चौथे सत्र में 60 और पांचवें सत्र में 132 घंटे रहा था।
74 घंटे 46 मिनट का समय बर्बाद हुआ
इस सत्र में बाधाओं और जबरन स्थगन के चलते कुल 74 घंटे 46 मिनट का समय बर्बाद हुआ। यह आंकड़ा भी 17वीं लोकसभा के सभी छह सत्रों में सबसे अधिक है। लोकसभा सचिवालय के आंकड़ों के अनुसार लोकसभा के पहले और पांचवें सत्र में समय की बिल्कुल बर्बादी नहीं हुई थी। दूसरे सत्र में छह घंटे 39 मिनट समय बर्बाद हुआ था। वहीं, तीसरे सत्र में यह समय 30 घंटे तीन मिनट और चौथे सत्र में तीन घंटे 51 मिनट था।
13 विधेयक पेश हुए और 20 पारित हुए
इस सत्र में सरकार ने लोकसभा में कुल 13 विधेयक पेश किए और 20 विधेयक पारित हुए। यानी कि सात विधेयक बिना चर्चा के ही पारिए कर दिए गए। 17वीं लोकसभा के बाकी सत्रों की बात करें तो पहले सत्र में 33 विधेयक पेश हुए थे और 35 पारित हुए थे। दूसरे में 18 पेश हुए थे और 14 पारित हुए थे। तीसरे सत्र में 18 पेश हुए थे और 15 पारित हुए थे। चौथे सत्र में 16 विधेयक पेश हुए थे और 25 पारित हुए थे। पांचवें में 17 पेश हुए थे और 18 विधेयक पारित हुए थे।
नियम 317 के तहत उठाए 331 मामले
नियम 317 के तहत कुल 331 मामले उठाए गए। 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में नियम 317 के तहत सबसे ज्यादा 488 मामले उठाए गए थे। दूसरे सत्र में यह संख्या 364, तीसरे सत्र में 399, चौथे सत्र में 183 और पांचवें सत्र में 405 रही थी।
बता दें कि नियम 377 में प्रावधान है कि यदि कोई सदस्य सदन के ध्यान में कोई ऐसा मामला लाना चाहता है जो व्यवस्था का विषय न हो, तो इसके लिए उसे सचिव को लिखित नोटिस देना होता है। इसमें मामले का स्पष्ट और सटीक रूप से उल्लेख होना चाहिए। सदस्य को इसे उठाने की अनुमति तभी दी जा सकती है जब अध्यक्ष ने सहमति दे दी हो। इसका समय और तारीख अध्यक्ष तय करता है।
शून्य काल के दौरान ऐसी रही स्थिति
छठे सत्र में लोकसभा में शून्य काल के दौरान तत्काल सार्वजनिक महत्व का एक भी मामला नहीं उठाया गया। 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में शून्य काल के दौरान तत्काल सार्वजनिक महत्व के कुल 1066 मामले उठाए गए थे। दूसरे सत्र में यह आंकड़ा 934 रहा था। वहीं, तीसरे सत्र में ऐसे मामलों की संख्या 436, चौथे सत्र में 370 और पांचवें सत्र में 583 रही थी।
नियम 193 के तहत एक भी चर्चा नहीं हुई। मंत्रियों की ओर से कुल 52 बयान दिए गए। इसके अलावा इस सत्र में संसदीय समितियों की ओर से कुल 60 रिपोर्ट पेश की गईं। 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में एक भी रिपोर्ट नहीं पेश की गई थी। दूसरे सत्र में यह संख्या 48, तीसरे सत्र में 58, चौथे सत्र में दो और पांचवें सत्र में 171 रही थी।
सवाल-जवाब की संख्या कुछ ऐसी रही
लोकसभा के छठे सत्र में 320 चिह्नित प्रश्न स्वीकार किए गए। इनमें से 66 सवालों का मौखिक रूप से उत्तर दिया गया। वहीं, स्वीकार किए गए गैर चिह्नित सवालों की संख्या 3680 रही। चिह्नित प्रश्नों की बात करें तो पहले सत्र में 500 सवाल स्वीकार गए थे और 183 का मौखिक उत्तर दिया गया था। दूसरे सत्र में यह आंकड़ा 380 और 140 का रहा था। तीसरे सत्र में यह संख्या 420 और 98, पांचवें सत्र में 440 और 84 रही थी। चौथे सत्र में दोनों आंकड़े शून्य रहे थे।
छठे सत्र के दौरान कोरोना वायरस महामारी के कारण आगंतुकों को आगंतुक गैलरी में आने की अनुमति नहीं दी गई थी।
विपक्षी सांसदों ने जमकर काटा हंगामा
17वीं लोकसभा का छठा सत्र पूरी तरह विपक्ष के हंगामे के नाम रहा। पेगासस जासूसी मुद्दा, किसान आंदोलन और महंगाई ऐसे विषय रहे जिनके विरोध में विपक्ष के व्यवहार के चलते कार्यवाही को कई बार स्थगित करना पड़ा। स्पीकर के आसन की ओर कागज के टुकड़े फेंके जाने समेत इस दौरान कई घटनाएं ऐसी हुईं जिन्होंने लोकसभा की गरिमा को ठेस पहुंचाई। विपक्षी दल पेगासस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में सदन में चर्चा की मांग कर रहे थे।