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स्टार्टअप: यूनिकॉर्न के मामले में भारत दुनिया का तीसरा बड़ा देश, ये पांच कदम और देंगे तेजी

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एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Mon, 31 Jan 2022 06:45 AM IST

सार

देश में कई स्टार्टअप के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है। उद्योग में बने रहने के लिए उन्हें पूंजी की जरूरत है । इसके अलावा, तकनीक के साथ उनके डिजिटल बदलाव में तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता है। 

बजट 2022 स्टार्टअप
– फोटो : अमर उजाला

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पिछला साल घरेलू स्टार्टअप का प्रदर्शन काफी शानदार रहा है। इस दौरान स्टार्टअप ने निवेशकों का भरोसा जीता और एक साल में फंडिंग 3 गुना से ज्यादा बढ़ा ली। यूनिकॉर्न के मामले में भारत दुनिया का तीसरा बड़ा देश बन चुका है। लेकिन, महामारी की वजह से ज्यादातर स्टार्टअप चुनौतियों से जूझ रहे है। ऐसे में उन्हें उबारने और रोजगार पैदा करने के लिए बजट की काफी सहूलियत की उम्मीद है। सरकार पर राहत देती है तो न सिर्फ स्टार्टअप के विस्तार में मदद मिलेगी बल्कि यूनिकॉर्न की संख्या भी बढ़ेगी।

पूंजी की जरूरत 
देश में कई स्टार्टअप के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है। उद्योग में बने रहने के लिए उन्हें पूंजी की जरूरत है । इसके अलावा, तकनीक के साथ उनके डिजिटल बदलाव में तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता है। 

निवेश के लिए बेहतर माहौल 
स्टार्टअप को मजबूत आधार देने के लिए घरेलू पूंजी भागीदारी के साथ टियर -2 और टियर -3 शहरों में अनुकूल निवेश माहौल पर जोर छोटे शहरों के स्टार्टअप में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। 

एफडीआई पर टैक्स छूट
स्टार्टअप इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर जोर के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( एफडीआई ) में टैक्स छूट की जरूरत है। इससे भारतीय स्टार्टअप्स के ग्लोबलाइजेशन के लिए दरवाजे खुलेंगे। एफडीआई नियमों में स्पष्टता और आसानी की उम्मीदें भी हैं ताकि उन्हें वैश्विक खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिल सके।

बुनियादी सुविधाओं के लिए प्रोत्साहन 
ड्रिंकप्राइम के सह-संस्थापक विजेंदर रेड्डी ने कहा, पेयजल जैसी बुनियादी समस्याओं से निपटने के लिए स्टार्टअप को प्रोत्साहन देना चाहिए। पेयजल सेवा प्रदाता पर लगाए गए जीएसटी और अन्य टैक्स पर भी ध्यान देने की जरूरत है। 

आईपीओ पॉलिसी में राहत 
स्टार्टअप को लिबरल आईपीओ पॉलिसी गाइडलाइंस, रिवाइज्ड कम्प्लायंस पॉलिसी और टैक्स में छूट संभव है। अभी गैर-सूचीबद्ध शेयरों पर पूंजीगत लाभ के लिए कर सूचीबद्ध शेयरों के मुकाबले अधिक है। इससे स्टार्टअप संस्थापकों और शुरुआती निवेशकों को उच्च कर देना पड़ता है। समानता लाने के लिए कर सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के बराबर किया जा सकता है।

विस्तार

पिछला साल घरेलू स्टार्टअप का प्रदर्शन काफी शानदार रहा है। इस दौरान स्टार्टअप ने निवेशकों का भरोसा जीता और एक साल में फंडिंग 3 गुना से ज्यादा बढ़ा ली। यूनिकॉर्न के मामले में भारत दुनिया का तीसरा बड़ा देश बन चुका है। लेकिन, महामारी की वजह से ज्यादातर स्टार्टअप चुनौतियों से जूझ रहे है। ऐसे में उन्हें उबारने और रोजगार पैदा करने के लिए बजट की काफी सहूलियत की उम्मीद है। सरकार पर राहत देती है तो न सिर्फ स्टार्टअप के विस्तार में मदद मिलेगी बल्कि यूनिकॉर्न की संख्या भी बढ़ेगी।

पूंजी की जरूरत 

देश में कई स्टार्टअप के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है। उद्योग में बने रहने के लिए उन्हें पूंजी की जरूरत है । इसके अलावा, तकनीक के साथ उनके डिजिटल बदलाव में तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता है। 

निवेश के लिए बेहतर माहौल 

स्टार्टअप को मजबूत आधार देने के लिए घरेलू पूंजी भागीदारी के साथ टियर -2 और टियर -3 शहरों में अनुकूल निवेश माहौल पर जोर छोटे शहरों के स्टार्टअप में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। 

एफडीआई पर टैक्स छूट

स्टार्टअप इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर जोर के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( एफडीआई ) में टैक्स छूट की जरूरत है। इससे भारतीय स्टार्टअप्स के ग्लोबलाइजेशन के लिए दरवाजे खुलेंगे। एफडीआई नियमों में स्पष्टता और आसानी की उम्मीदें भी हैं ताकि उन्हें वैश्विक खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिल सके।

बुनियादी सुविधाओं के लिए प्रोत्साहन 

ड्रिंकप्राइम के सह-संस्थापक विजेंदर रेड्डी ने कहा, पेयजल जैसी बुनियादी समस्याओं से निपटने के लिए स्टार्टअप को प्रोत्साहन देना चाहिए। पेयजल सेवा प्रदाता पर लगाए गए जीएसटी और अन्य टैक्स पर भी ध्यान देने की जरूरत है। 

आईपीओ पॉलिसी में राहत 

स्टार्टअप को लिबरल आईपीओ पॉलिसी गाइडलाइंस, रिवाइज्ड कम्प्लायंस पॉलिसी और टैक्स में छूट संभव है। अभी गैर-सूचीबद्ध शेयरों पर पूंजीगत लाभ के लिए कर सूचीबद्ध शेयरों के मुकाबले अधिक है। इससे स्टार्टअप संस्थापकों और शुरुआती निवेशकों को उच्च कर देना पड़ता है। समानता लाने के लिए कर सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के बराबर किया जा सकता है।

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