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सिंगापुर: भारतवंशी शख्स को नशा तस्करी में मिलेगा मृत्युदंड, सजा माफी को चलाया जा रहा हस्ताक्षर अभियान
एजेंसी, सिंगापुर।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sun, 07 Nov 2021 12:34 AM IST
सार
नागेंद्रन के. धर्मलिगंम को 2009 में 42.72 ग्राम हेरोइन तस्करी के मामले में 2010 में दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी।
सांकेतिक तस्वीर….
– फोटो : अमर उजाला
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धर्मलिंगम को सिंगापुर व प्रायद्वीपीय मलयेशिया के ‘बीच कॉजवे लिंक’ पर वुडलैंड्स नाका पर मादक पदार्थ की तस्करी मामले में गिरफ्तार किया था। उसकी जांघ पर मादक पदार्थ का बंडल बंधा था। उसे 2009 में 42.72 ग्राम हेरोइन तस्करी के मामले में 2010 में दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी। यहां 15 ग्राम से ज्यादा तस्करी के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, उच्च न्यायालय ने नागेंद्र द्वारा अपराध के दौरान मामले की गंभीरता को समझ पाने की मानसिक क्षमता पर भी विचार किया। इस मामले में विश्व स्तर पर सवाल उठे हैं और मानवाधिकार समूहों और अन्य ने इंटेलेक्चुअल डिसेब्लिटी के आधार पर फांसी की सजा न देने की मांग की थी।
मंत्रालय ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मनोवैज्ञानिकों के सबूत का आकलन किया था कि दोषी को अच्छी तरह यह समझ थी कि वह क्या कर रहा है।
10 तक परिवार से मिलने की अनुमति
यह मामला गत माह प्रकाश में आया जब सिंगापुर कारागार सेवा ने धर्मलिंगम की मां को 26 अक्तूबर को पत्र लिखकर उनके बेटे को 10 नवंबर को फांसी की सजा देने की जानकारी दी। परिवार को 10 नवंबर तक मिलने की अनुमति दी गई है। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस पत्र को साझा किया।
सजा माफ करने के लिए हस्ताक्षर अभियान
आरोपी ने सजा के खिलाफ अपील की थी लेकिन सितंबर, 2011 में उसकी अपील खारिज कर दी गई। बाद में उसने 2015 में अपनी सजा को उम्र कैद में बदलने के लिए भी अपील की लेकिन उच्च न्यायालय ने 2017 में उसके आवेदन को खारिज कर दिया और बाद में 2019 में अपीली अदालत ने भी खारिज कर दिया। राष्ट्रपति हलीमा याकूब ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी। उसकी मौत की सजा माफ करने के संबंध में 29 अक्तूबर को एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया और शनिवार सुबह तक इस पर 56,134 से ज्यादा लोगों के हस्ताक्षर हो चुके हैं।
विस्तार
धर्मलिंगम को सिंगापुर व प्रायद्वीपीय मलयेशिया के ‘बीच कॉजवे लिंक’ पर वुडलैंड्स नाका पर मादक पदार्थ की तस्करी मामले में गिरफ्तार किया था। उसकी जांघ पर मादक पदार्थ का बंडल बंधा था। उसे 2009 में 42.72 ग्राम हेरोइन तस्करी के मामले में 2010 में दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी। यहां 15 ग्राम से ज्यादा तस्करी के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, उच्च न्यायालय ने नागेंद्र द्वारा अपराध के दौरान मामले की गंभीरता को समझ पाने की मानसिक क्षमता पर भी विचार किया। इस मामले में विश्व स्तर पर सवाल उठे हैं और मानवाधिकार समूहों और अन्य ने इंटेलेक्चुअल डिसेब्लिटी के आधार पर फांसी की सजा न देने की मांग की थी।
मंत्रालय ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मनोवैज्ञानिकों के सबूत का आकलन किया था कि दोषी को अच्छी तरह यह समझ थी कि वह क्या कर रहा है।
10 तक परिवार से मिलने की अनुमति
यह मामला गत माह प्रकाश में आया जब सिंगापुर कारागार सेवा ने धर्मलिंगम की मां को 26 अक्तूबर को पत्र लिखकर उनके बेटे को 10 नवंबर को फांसी की सजा देने की जानकारी दी। परिवार को 10 नवंबर तक मिलने की अनुमति दी गई है। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस पत्र को साझा किया।
सजा माफ करने के लिए हस्ताक्षर अभियान
आरोपी ने सजा के खिलाफ अपील की थी लेकिन सितंबर, 2011 में उसकी अपील खारिज कर दी गई। बाद में उसने 2015 में अपनी सजा को उम्र कैद में बदलने के लिए भी अपील की लेकिन उच्च न्यायालय ने 2017 में उसके आवेदन को खारिज कर दिया और बाद में 2019 में अपीली अदालत ने भी खारिज कर दिया। राष्ट्रपति हलीमा याकूब ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी। उसकी मौत की सजा माफ करने के संबंध में 29 अक्तूबर को एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया और शनिवार सुबह तक इस पर 56,134 से ज्यादा लोगों के हस्ताक्षर हो चुके हैं।