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सर्वेक्षण: भारत के शहरी गरीब और ग्रामीण आबादी घरेलू स्तर पर कोविड संक्रमण से निपटने के लिए तैयार नहीं 

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कोविड की दूसरी लहर की मुश्किलों और अफरातफरी से हमने कोई सबक नहीं लिया। सरकार की तमाम कोशिशों और दावों के बावजूद भारत के शहरी गरीब और गांवों में रहने वाली आबादी घरेलू स्तर पर अब भी कोविड से निपटने के लिए तैयार नहीं है।

सर्वेक्षण में चौंकाने वाले तथ्य आए सामने 
यह चौंकाने वाला तथ्य संबोधि नामक संगठन की ओर से किए गए सर्वेक्षण में सामने आया। शहर में रह रहे ज्यादातर गरीब घरों में बुखार मापने के लिए थर्मामीटर नहीं है। यही हाल ग्रामीण घरों में भी है। ऐसे में ऑक्सीमीटर सहित अन्य उपकरणों की बात बेमानी है। 

अध्ययन के मुताबिक महज 9 फीसदी घरों में ही ऑक्सीमीटर थी और .3 फीसदी घरों में ऑक्सीजन सिलिंडर। वहीं, कोरोना संक्रमण होने पर आस-पास उपलब्ध चिकित्सा सुविधा की जानकारी भी महज 40 फीसदी लोगों को ही थी।  

महज बीस फीसदी घरों में ही मिले थर्मामीटर 
देश के दस राज्यों उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, गुजरात, राजस्थान में जुलाई 2021 में किए गए सर्वे में 7,116 घरों में से सिर्फ 20 फीसदी घरों में ही थर्मामीटर और करीब 50 फीसदी घरों में बुखार और सिरदर्द के लिए दवा उपलब्ध थी।

यहां अधिकांश लोगों को कोविड के नए स्वरूप और संक्रमण के लक्षण की जानकारी नहीं थी। उन्हें यह भी नहीं पता था कि मरीज को किस स्थिति में अस्पताल ले जाना चाहिए।  35 फीसदी लोगों ने कहा संक्रमण के लक्षण दिखते ही अस्पताल ले जाना चाहिए। वहीं, 18 फीसदी ने कहा कि संक्रमण होते ही अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। 

88 फीसदी लोगों को पता, कैसे रखें मरीज का घर में ख्याल 
संबोधि के सह संस्थापक स्वप्निल शेखर ने कहा, ऐसा लगता है कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने की जरूरत है। उन्हें कोरोना के नए स्वरूपों के बारे जानकारी दी जानी चाहिए। उन्हें संक्रमण लक्षण और सावधानी के बारे में भी और अधिक बताया जाना चाहिए। सर्वे में 88 फीसदी लोग ऐसे सामने आए जो कोविड मरीज का घर में ख्याल रखने के बारे में जानते थे, वहीं, 70 फीसदी ने बताया कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति को एकांतवास में रहने की व्यवस्था की गई थी। 76 फीसदी ने कहा कि वह खाने का इंतजाम कर सकते हैं। 

तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच 28 फीसदी भारतीयों की अगस्त-सितंबर में यात्रा की योजना
तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच अगस्त-सितंबर महीने में 28 फीसदी भारतीय नागरिक यात्रा करने की योजना बना रहे हैं। लोकल सर्किल नाम की संस्था ने अपने अध्ययन में इसका खुलासा किया। संस्था ने कहा कि 12 अप्रैल को किए गए उनके सर्वे में संक्रमण का खतरा बढ़ने की आशंका जताते हुए सरकार को यात्राओं पर रोक लगाने को कहा गया है। ऑनलाइन सर्वे में 311 जिलों के 18000 लोगों की प्रतिक्रिया दर्ज की गई। इनमें 68 फीसदी पुरुष और शेष महिलाएं थीं।

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