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अमेरिकी विदेशमंत्री दौरे पर: भारत-अमेरिका में पाकिस्तान की आतंकियों को फंडिंग बड़ा एजेंडा

अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन के भारत दौरे में बातचीत के मुख्य एजेंडे में पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को फंडिंग, दहशतगर्दों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनने एवं अमेरिकी फौजों के छोड़ने के बाद अफगानिस्तान में हालात हैं, जिन पर विशेष रूप से चर्चा होगी।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि 27 जुलाई से शुरू हो रहे ब्लिंकन के दो दिवसीय भारत दौरे में चार देशों के समूह क्वाड के ढांचे के तहत मजबूत गठजोड़ बनाने पर प्रमुख रूप से चर्चा होगी। इसी के तहत साल के आखिर तक क्वाड देशों (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान) के विदेश मंत्रियों की संभावित बैठक भी होनी है।

दोनों पक्ष क्वाड टीका पहल को आगे बढ़ाएंगे, ताकि भारत में बनाए जाने वाले टीकों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों को 2022 के शुरुआत में आपूर्ति की जा सके। सूत्रों ने बताया कि ब्लिंकन की इस यात्रा का एजेंडा व्यापक होगा, जिसमें द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने का अवसर होगा और व्यापार और निवेश, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, डिजिटल डोमेन, नवाचार और सुरक्षा पर विशेष रूप से बातचीत की जाएगी।

छात्रों, पेशेवरों की अंतरराष्ट्रीय आवाजाही को आसान बनाने पर भी होगी बात
भारत स्वास्थ्य प्रोटोकॉल को बनाए रखते हुए अंतरराष्ट्रीय यात्रा की सिलसिलेवार बहाली के लिए भी अमेरिकी प्रशासन पर दबाव डालेगा। मानवीय मसलों के अलावा विशेष रूप से छात्रों, पेशेवरों, कारोबारियों की आवाजाही को सुगम बनाने और कोरोना महामारी के चलते अपनों से दूर होने वाले लोगों को परिवारों से मिलाने के मुद्दों पर ब्लिंकन के साथ चर्चा की जाएगी।

हिंद-प्रशांत में कोविड मदद और सुरक्षा परिदृश्य पर होगा ध्यान
एक सूत्र ने कहा, महत्वपूर्ण दवाओं और स्वास्थ्य देखभाल उपकरणों की लचीली आपूर्ति किए जाने का भी मुद्दा भी दोनों पक्षों के एजेंडे में होगा। दोनों पक्ष कोविड सहायता, आर्थिक मंदी और सुरक्षा परिदृश्य पर ध्यान देते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बारे में अपने विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।

मानवाधिकार, लोकतंत्र सार्वभौमिक; राष्ट्र विशेष की सोच से परे: सरकारी सूत्र
ब्लिंकन के नई दिल्ली दौरे में मानवाधिकारों का मुद्दा उठाए जाने की खबरों के एक दिन बाद सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि मानवाधिकार और लोकतंत्र सार्वभौमिक हैं और ये किसी राष्ट्रीय या सांस्कृतिक दृष्टिकोण से परे हैं।

सूत्रों ने कहा, अरसे से चले आ रहे बहुलवादी समाज के रूप में भारत उन लोगों से जुडे़गा जो विविधता के मूल्य को अब पहचानते हैं। सूत्रों ने कहा, भारत को राष्ट्रीय और सांस्कृतिक क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों पर गर्व है और अनुभवों को साझा करने में हमेशा खुशी होती है।

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