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शिक्षा का भारतीयकरण जरूरी: उपराष्ट्रपति बोले- प्रौद्योगिकी शिक्षा को समाज के अंतिम छोर तक ले जाने में सक्षम
एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला
Published by: सुभाष कुमार
Updated Sat, 18 Dec 2021 07:24 PM IST
सार
शिक्षा का भारतीयकरण जरूरी: नायडू ने कहा कि अपने गौरवशाली इतिहास को जानते हुए देश की शिक्षा व्यवस्था का भारतीयकरण करना जरूरी है। भारत का अपना एक गौरवशाली शिक्षण इतिहास रहा है। उपनिवेशवादी शिक्षा ने भारत में लोगों के बीच खाई को बढ़ावा दिया है।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू
– फोटो : ANI
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नायडू ने कहा कि अपने गौरवशाली इतिहास को जानते हुए देश की शिक्षा व्यवस्था का भारतीयकरण करना जरूरी है। भारत का अपना एक गौरवशाली शिक्षण इतिहास रहा है। उपनिवेशवादी शिक्षा ने भारत में लोगों के बीच खाई को बढ़ावा दिया है। नायडू ने आगे कहा कि आज देश की शिक्षा व्यवस्था में आदर्श बदलाव की जरूरत है, जैसा कि नई शिक्षा नीति 2020 में बताया गया है। नायडू ने आगे कहा कि तकनीक के माध्यम से शिक्षा के लोकतात्रिक रूप को बढ़ावा दिया जा सकता है। शिक्षा को आखिरी व्यक्ति तक पहुंचा कर, छात्रों के ज्ञान का उपयोग समाज की बेहतरी के लिए किया जा सकता है।
शिक्षा को मिशन बनाना होगा
उपराष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी एक बयान में एम वेंकैया नायडू ने देश को इनोवेशन, ज्ञान और बौद्धिक नेतृत्व का हब बनाने पर भी जोर दिया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में कभी नालंदा, तक्षशिला औक पुष्पागिरी जैसे संस्थान हुआ करते थे, जहां दुनिया के हर कोने से छात्र ज्ञान लेने आते थे। देश एक दिन वापस से अपनी उसी स्थान के ग्रहण करेगा। देश के ऐतेहासिक शिक्षा पद्धति को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने इतिहास की तरह वापस से अपने देश की शिक्षा के गौरव को वापस लाना होगा। इसके लिए नए विश्वविद्यालय और संस्थानों की शुरुआत अग्रणी भूमिका निभा सकती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में बदलाव लाने के लिए शिक्षा को एक मिशन बनाना होगा।
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि शिक्षा व्यवस्था में चौतरफा सुधार की जरूरत है। अनुसंधान की गुणवत्ता, हर स्तर पर शिक्षण, अंतरराष्ट्रीय मानक, स्नातकों को रोजगार और शिक्षा के अन्य सभी पहलूओं पर ध्यान देते हुए शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने की जरूरत है। उन्होंने देश के सभी शिक्षण संस्थानों से नई शिक्षा नीति को लागू करने की अपील की। इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु भी मौजूद रहे।
विस्तार
नायडू ने कहा कि अपने गौरवशाली इतिहास को जानते हुए देश की शिक्षा व्यवस्था का भारतीयकरण करना जरूरी है। भारत का अपना एक गौरवशाली शिक्षण इतिहास रहा है। उपनिवेशवादी शिक्षा ने भारत में लोगों के बीच खाई को बढ़ावा दिया है। नायडू ने आगे कहा कि आज देश की शिक्षा व्यवस्था में आदर्श बदलाव की जरूरत है, जैसा कि नई शिक्षा नीति 2020 में बताया गया है। नायडू ने आगे कहा कि तकनीक के माध्यम से शिक्षा के लोकतात्रिक रूप को बढ़ावा दिया जा सकता है। शिक्षा को आखिरी व्यक्ति तक पहुंचा कर, छात्रों के ज्ञान का उपयोग समाज की बेहतरी के लिए किया जा सकता है।
शिक्षा को मिशन बनाना होगा
उपराष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी एक बयान में एम वेंकैया नायडू ने देश को इनोवेशन, ज्ञान और बौद्धिक नेतृत्व का हब बनाने पर भी जोर दिया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में कभी नालंदा, तक्षशिला औक पुष्पागिरी जैसे संस्थान हुआ करते थे, जहां दुनिया के हर कोने से छात्र ज्ञान लेने आते थे। देश एक दिन वापस से अपनी उसी स्थान के ग्रहण करेगा। देश के ऐतेहासिक शिक्षा पद्धति को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने इतिहास की तरह वापस से अपने देश की शिक्षा के गौरव को वापस लाना होगा। इसके लिए नए विश्वविद्यालय और संस्थानों की शुरुआत अग्रणी भूमिका निभा सकती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में बदलाव लाने के लिए शिक्षा को एक मिशन बनाना होगा।
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि शिक्षा व्यवस्था में चौतरफा सुधार की जरूरत है। अनुसंधान की गुणवत्ता, हर स्तर पर शिक्षण, अंतरराष्ट्रीय मानक, स्नातकों को रोजगार और शिक्षा के अन्य सभी पहलूओं पर ध्यान देते हुए शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने की जरूरत है। उन्होंने देश के सभी शिक्षण संस्थानों से नई शिक्षा नीति को लागू करने की अपील की। इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु भी मौजूद रहे।