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रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र: राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ द्वारा विकसित काउंटर ड्रोन तकनीक निजी कंपनियों को सौंपी

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अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 08 Apr 2022 04:49 AM IST

सार

डीआरडीओ के एक समारोह में रक्षा मंत्री और रक्षा राज्यमंत्री ने तकनीक से संबंधित दस्तावेज निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों को सौंपे। अब यह कंपनियां बड़े पैमाने पर काउंटर ड्रोन सिस्टम का उत्पादन शुरू करेंगी।

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद (डीआरडीओ) द्वारा विकसित काउंटर ड्रोन तकनीक (सीडीटी) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अडानी डिफेंस सिस्टम, लारसन एंड टुब्रो, आस्ट्रामाइक्रोवेव, आईसीओएमएम टेली लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को सौंप दी। इसे रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के के लिए बड़ा कदम माना जा रहा  है।

डीआरडीओ के एक समारोह में रक्षा मंत्री और रक्षा राज्यमंत्री ने तकनीक से संबंधित दस्तावेज निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों को सौंपे। अब यह कंपनियां बड़े पैमाने पर काउंटर ड्रोन सिस्टम का उत्पादन शुरू करेंगी। डीआरडीओ के मुताबिक, विभिन्न सेंसरों के जरिये यह तकनीक दुश्मन के ड्रोन को जटिल हालात में भी पहचान लेगी।

दुश्मन के ड्रोन का सभी डाटा अपने सिस्टम में कॉपी करने के बाद उसे आंशिक या पूरी तरह नष्ट किया जा सकेगा। दुश्मन ड्रोन की पहचान के लिए रडार और आरएफ पर आधारित डिटेक्शन सिस्टम काम में लाया जाएगा। उसके डाटा को खंगालने का काम इलेक्ट्रो ऑप्टिक सेंसर और कॉमिन्ट तकनीक से होगा। इस तकनीक से ड्रोन को बेजान करने के लिए आरएफ जैमिंग और एंटी जीएनएसएस का इस्तेमाल होगा। पूरी तरह नष्ट करने के लिए लेजर डायरेक्टेड एनर्जी वेपन विकसित किया गया है। यह तकनीक छोटे हाइब्रिड यूएवी, माइक्रो व मल्टीरोटर यूएवी और नैनो यूएवी सभी तरह के ड्रोन पर असरकारक होगी।

सौ और रक्षा उत्पादों को आयात सूची से हटाने की सूची जारी
रक्षा मंत्रालय ने 100 और रक्षा उपकरणों को आयात श्रेणी से हटाने वाली तीसरी सूची जारी की है। इससे पहले ऐसी दो सूची जारी कर 209 रक्षा उपकरणों को आयात श्रेणी से हटाया जा चुका है। इनमें 155 मिमी हल्की तोपें, हल्के लड़ाकू विमान से लेकर रायफल, पिस्तौल और जटिल तकनीक वाले उपकरण शामिल हैं। इन सभी उपकरणों का उत्पादन अगले पांच साल में देश में ही शुरू करने का लक्ष्य है।

विस्तार

रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद (डीआरडीओ) द्वारा विकसित काउंटर ड्रोन तकनीक (सीडीटी) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अडानी डिफेंस सिस्टम, लारसन एंड टुब्रो, आस्ट्रामाइक्रोवेव, आईसीओएमएम टेली लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को सौंप दी। इसे रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के के लिए बड़ा कदम माना जा रहा  है।

डीआरडीओ के एक समारोह में रक्षा मंत्री और रक्षा राज्यमंत्री ने तकनीक से संबंधित दस्तावेज निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों को सौंपे। अब यह कंपनियां बड़े पैमाने पर काउंटर ड्रोन सिस्टम का उत्पादन शुरू करेंगी। डीआरडीओ के मुताबिक, विभिन्न सेंसरों के जरिये यह तकनीक दुश्मन के ड्रोन को जटिल हालात में भी पहचान लेगी।

दुश्मन के ड्रोन का सभी डाटा अपने सिस्टम में कॉपी करने के बाद उसे आंशिक या पूरी तरह नष्ट किया जा सकेगा। दुश्मन ड्रोन की पहचान के लिए रडार और आरएफ पर आधारित डिटेक्शन सिस्टम काम में लाया जाएगा। उसके डाटा को खंगालने का काम इलेक्ट्रो ऑप्टिक सेंसर और कॉमिन्ट तकनीक से होगा। इस तकनीक से ड्रोन को बेजान करने के लिए आरएफ जैमिंग और एंटी जीएनएसएस का इस्तेमाल होगा। पूरी तरह नष्ट करने के लिए लेजर डायरेक्टेड एनर्जी वेपन विकसित किया गया है। यह तकनीक छोटे हाइब्रिड यूएवी, माइक्रो व मल्टीरोटर यूएवी और नैनो यूएवी सभी तरह के ड्रोन पर असरकारक होगी।

सौ और रक्षा उत्पादों को आयात सूची से हटाने की सूची जारी

रक्षा मंत्रालय ने 100 और रक्षा उपकरणों को आयात श्रेणी से हटाने वाली तीसरी सूची जारी की है। इससे पहले ऐसी दो सूची जारी कर 209 रक्षा उपकरणों को आयात श्रेणी से हटाया जा चुका है। इनमें 155 मिमी हल्की तोपें, हल्के लड़ाकू विमान से लेकर रायफल, पिस्तौल और जटिल तकनीक वाले उपकरण शामिल हैं। इन सभी उपकरणों का उत्पादन अगले पांच साल में देश में ही शुरू करने का लक्ष्य है।

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