Tech
'मेटावर्स' भविष्य की तकनीक : वास्तविक और डिजिटल संसार के मिलन की तैयारी, जानें क्या हैं इसके मायने
सार
जकरबर्ग का यह एलान पिछले सात साल की कवायद का नतीजा है। फेसबुक ने इस दिशा में 2014 में ही कदम बढ़ा दिया था। तब उसने दो अरब डॉलर खर्च कर वीआर हैडसेट कंपनी ‘ओकुलस’ का अधिग्रहण किया था।
ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
दावा: यूजर्स को मिलेगी नई तकनीक और रोजगार
मेटावर्स का एलान करते हुए मार्क जकरबर्ग ने बताया कि यह एक नया ईको-सिस्टम होगा, जिससे कंटेंट तैयार करने वालों के लिए लाखों रोजगार बनेंगे। उनका कहना है कि वह फेसबुक को नया रंग-रूप देते हुए उसे कंप्यूटिंग के भविष्य के रूप में स्थापित करने जा रहे हैं। हालांकि, आलोचक इसे जकरबर्ग का फेसबुक पेपर्स लीक के चलते उपजे विवाद से ध्यान भटकाने का प्रयास और जनसंपर्क भी मान रहे हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में डिजिटल कल्चर्स के वरिष्ठ प्राध्यापक और एसओएआर फेलो मार्कस कार्टर कहते हैं, मोटे तौर पर मेटावर्स को समझें तो इसमें वास्तविक और डिजिटल संसार का निर्बाध एकीकरण होगा, जिसमें वर्चुएल रिएलिटी (वीआर) और संवर्द्धित वास्तविकता (एआर) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। यह यूजर्स के लिए नई तकनीक के साथ-साथ कमाई के रास्ते भी खोलेगा।
हकीकत: भारी-भरकम डाटा जुटाकर विज्ञापन साम्राज्य बढ़ाने का खुलेगा द्वार, पैदा होंगे नए अवसर
बड़ी कंपनियों के लिए मेटावर्स की परिकल्पना उत्साहजनक है क्योंकि इससे नए बाजार, सोशल नेटवर्क, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेटेंट के लिए अवसर पैदा होंगे। कुल मिलाकर यह विज्ञापन के साम्राज्य को और बढ़ाने वाला होगा। हालांकि आप यह जरूर सोच सकते हैं कि इसके लिए हमें क्यों उत्साहित होने की जरूरत है।
सात साल पहले शुरू हुई योजना
जकरबर्ग का यह एलान पिछले सात साल की कवायद का नतीजा है। फेसबुक ने इस दिशा में 2014 में ही कदम बढ़ा दिया था। तब उसने दो अरब डॉलर खर्च कर वीआर हैडसेट कंपनी ‘ओकुलस’ का अधिग्रहण किया था। उसी के साथ ही कॉरपोरेट अधिग्रहण, निवेश और अनुसंधान का सिलसिला भी शुरू हो गया था।
- ओकुलस फेसबुक की रचनात्मक परियोजनाओं के तहत एक आकर्षक अभियान के तौर पर उभरा। फेसबुक के अधीन उसने वीआर बाजार में प्रभुत्व कायम किया और इस बाजार में उसकी हिस्सेदारी 60 फीसदी से भी ज्यादा हो गई।
- इसका श्रेय कंपनी को फेसबुक के विज्ञापन कारोबार से मिलने वाली भारी रियायत और मोबाइल क्वेस्ट वीआर हेडसेट के साथ उसके समन्वय को दिया जाता है।
मेटावर्स शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने 1992 में अपने उपन्यास स्नो क्रेश में किया था। ऐसे ही कई शब्द उपन्यासों से लिए गए हैं। मसलन साइबरस्पेस शब्द 1982 में विलियम गिब्सन की एक किताब से सामने आया। रोबोट शब्द 1920 में कैरेल कापेक के एक नाटक से उभरा। मेटावर्स के साथ भी ऐसा ही है।
नई तकनीकों पर काम कर रहे दस हजार लोग
- ओकुलस के इतर फेसबुक ने वीआर और एआर में भारी निवेश किया। फेसबुक रिएलिटी लैब्स के तहत इन तकनीकों पर करीब दस हजार लोग काम कर रहे हैं।
- कंपनी ने अपने मेटावर्स कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म पर काम करने के लिए यूरोपीय संघ में 10,000 और डेवलपर्स को नियुक्त करने का एलान किया है। यानी यह योजना नई नहीं है। वह इस पर वर्षों से काम कर रही थी।
ठान लें यूजर्स, कंपनी को कब्जा नहीं करने देंगे
बतौर यूजर्स यह चिंताजनक है कि डाटा के जरिए डिजिटल विज्ञापन साम्राज्य खड़ा करने वाली फेसबुक के लिए मेटावर्स कमाई के बड़े दरवाजे खोलेगी। जानकारों का कहना है, यूजर्स को ठान लेना चाहिए कि फेसबुक ने जिस तरह हमारी सोशल मीडिया दुनिया पर कब्जा किया है, वैसा अब करने की छूट नहीं देंगे।
इसलिए मेटावर्स में दबदबा चाहती है फेसबुक
तकनीक विशेषज्ञों का कहना है, मेटावर्स सोशल मीडिया के मौजूदा परिदृश्य से हटकर हमारे काम करने, सोचने और लोगों से जुड़ने (सोशलाइज) को नए सिरे से परिभाषित कर सकता है। इसके तहत वीआर और एआर अपना दायरा बढ़ाते हुए हमारे दिन-प्रतिदिन की तकनीक का हिस्सा बन सकती हैं, जिस पर हम निर्भर हो जाएंगे।
अगर हम लगभग एक दशक पहले की याद करें तो तब फेसबुक आपसी जुड़ाव का एक सरल माध्यम लगता था। लेकिन धीरे-धीरे इसने हमारे डाटा के इस्तेमाल से ताकत, नियंत्रण और निगरानी बढ़ाते हुए अपना विशाल राजस्व खड़ा कर लिया। ऐसे में मेटावर्स की दुनिया में पांव पसारकर फेसबुक अपने उपभोक्ताओं से कमाई का बड़ा जरिया बनाए रखना चाहती है।
इंटरनेट और साइबर स्पेस जैसे शब्द ऐसे स्थानों के लिए हैं, जिन तक हम स्क्रीन के जरिये पहुंचते हैं। लेकिन ये वर्चुअल रियलिटी (थ्रीडी गेम या आभासी शहर) और ऑगमेंटेड रियलिटी (नेविगेशन ओवरले या पोकेमोन गो जैसे मोबाइल गेम) आदि के मेलमिलाप की व्याख्या नहीं कर पाते।
विस्तार
दावा: यूजर्स को मिलेगी नई तकनीक और रोजगार
मेटावर्स का एलान करते हुए मार्क जकरबर्ग ने बताया कि यह एक नया ईको-सिस्टम होगा, जिससे कंटेंट तैयार करने वालों के लिए लाखों रोजगार बनेंगे। उनका कहना है कि वह फेसबुक को नया रंग-रूप देते हुए उसे कंप्यूटिंग के भविष्य के रूप में स्थापित करने जा रहे हैं। हालांकि, आलोचक इसे जकरबर्ग का फेसबुक पेपर्स लीक के चलते उपजे विवाद से ध्यान भटकाने का प्रयास और जनसंपर्क भी मान रहे हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में डिजिटल कल्चर्स के वरिष्ठ प्राध्यापक और एसओएआर फेलो मार्कस कार्टर कहते हैं, मोटे तौर पर मेटावर्स को समझें तो इसमें वास्तविक और डिजिटल संसार का निर्बाध एकीकरण होगा, जिसमें वर्चुएल रिएलिटी (वीआर) और संवर्द्धित वास्तविकता (एआर) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। यह यूजर्स के लिए नई तकनीक के साथ-साथ कमाई के रास्ते भी खोलेगा।
हकीकत: भारी-भरकम डाटा जुटाकर विज्ञापन साम्राज्य बढ़ाने का खुलेगा द्वार, पैदा होंगे नए अवसर
बड़ी कंपनियों के लिए मेटावर्स की परिकल्पना उत्साहजनक है क्योंकि इससे नए बाजार, सोशल नेटवर्क, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेटेंट के लिए अवसर पैदा होंगे। कुल मिलाकर यह विज्ञापन के साम्राज्य को और बढ़ाने वाला होगा। हालांकि आप यह जरूर सोच सकते हैं कि इसके लिए हमें क्यों उत्साहित होने की जरूरत है।
सात साल पहले शुरू हुई योजना
जकरबर्ग का यह एलान पिछले सात साल की कवायद का नतीजा है। फेसबुक ने इस दिशा में 2014 में ही कदम बढ़ा दिया था। तब उसने दो अरब डॉलर खर्च कर वीआर हैडसेट कंपनी ‘ओकुलस’ का अधिग्रहण किया था। उसी के साथ ही कॉरपोरेट अधिग्रहण, निवेश और अनुसंधान का सिलसिला भी शुरू हो गया था।
- ओकुलस फेसबुक की रचनात्मक परियोजनाओं के तहत एक आकर्षक अभियान के तौर पर उभरा। फेसबुक के अधीन उसने वीआर बाजार में प्रभुत्व कायम किया और इस बाजार में उसकी हिस्सेदारी 60 फीसदी से भी ज्यादा हो गई।
- इसका श्रेय कंपनी को फेसबुक के विज्ञापन कारोबार से मिलने वाली भारी रियायत और मोबाइल क्वेस्ट वीआर हेडसेट के साथ उसके समन्वय को दिया जाता है।
मेटावर्स शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने 1992 में अपने उपन्यास स्नो क्रेश में किया था। ऐसे ही कई शब्द उपन्यासों से लिए गए हैं। मसलन साइबरस्पेस शब्द 1982 में विलियम गिब्सन की एक किताब से सामने आया। रोबोट शब्द 1920 में कैरेल कापेक के एक नाटक से उभरा। मेटावर्स के साथ भी ऐसा ही है।
नई तकनीकों पर काम कर रहे दस हजार लोग
- ओकुलस के इतर फेसबुक ने वीआर और एआर में भारी निवेश किया। फेसबुक रिएलिटी लैब्स के तहत इन तकनीकों पर करीब दस हजार लोग काम कर रहे हैं।
- कंपनी ने अपने मेटावर्स कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म पर काम करने के लिए यूरोपीय संघ में 10,000 और डेवलपर्स को नियुक्त करने का एलान किया है। यानी यह योजना नई नहीं है। वह इस पर वर्षों से काम कर रही थी।
ठान लें यूजर्स, कंपनी को कब्जा नहीं करने देंगे
बतौर यूजर्स यह चिंताजनक है कि डाटा के जरिए डिजिटल विज्ञापन साम्राज्य खड़ा करने वाली फेसबुक के लिए मेटावर्स कमाई के बड़े दरवाजे खोलेगी। जानकारों का कहना है, यूजर्स को ठान लेना चाहिए कि फेसबुक ने जिस तरह हमारी सोशल मीडिया दुनिया पर कब्जा किया है, वैसा अब करने की छूट नहीं देंगे।
आगे पढ़ने के लिए लॉगिन या रजिस्टर करें