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मानसून सत्र: केंद्र सरकार को सता रही अध्यादेशों की चिंता, छह पर संसद की मुहर लगना जरूरी

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मानसून सत्र का पहला हफ्ता हंगामे की बाढ़ में बह जाने और भविष्य में भी विपक्ष के सुर नरम न पड़ने के संकेत से सरकार चिंतित है। सरकार की मुख्य चिंता उन छह अहम अध्यादेशों को लेकर जिसे इस सत्र में कानूनी जामा पहनाने के लिए बतौर बिल पेश किया जाना है।

विपक्ष से नहीं मिल रहा शांति का संदेश
सत्र के दौरान इन अध्यादेशों पर मुहर न लगने से इसकी वैधता खत्म हो जाएगी। बहरहाल, सरकार की कोशिश किसी भी तरह आज से शुरू हो रही दूसरे हफ्ते की सत्र की कार्यवाही में बीच का रास्ता निकालने की है।

इस बार सरकार के एजेंडे में 29 बिल हैं। इनमें सरकार को छह अध्यादेशों को बिल के रूप में पेश करना है। इसके अलावा, सरकार को दो अनुदान मांगों पर भी संसद की मुहर लगवानी है। इनमें से अध्यादेश से जुड़ा महज एक आवश्यक रक्षा सेवा बिल भी महज लोकसभा में पेश हो पाया है।

बाकी के अध्यादेश से जुड़े पांच बिल दिवाला और दिवालियापन संहिता संशोधन बिल, इंडियन मेडिसिन सेंट्रल काउंसिल संशोधन बिल, होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल एमेंडमेंट बिल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग बिल, ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रेशनलाइजेशन एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) बिल के साथ दो अनुदान मांगों को सरकार पेश भी नहीं कर पाई है।

संख्या नहीं हंगामा है चिंता
उच्च सदन में सरकार के पास बहुमत नहीं है, मगर यह चिंता का विषय नहीं है। सरकार की चिंता हंगामा है। राज्यसभा में इस समय 238 सदस्य हैं। भाजपा की अगुवाई वाले राजग को इस समय 114 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। जरूरत पड़ने पर पार्टी को बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस का प्रत्यक्ष या परोक्ष साथ मिल सकता है।

सरकार की दुविधा यह है कि वह हंगामे के बीच विधायी कामकाज नहीं निपटाना चाहती। सरकार की पहली कोशिश विपक्ष को मनाने की है। हालांकि, यूपीए कार्यकाल में 2007 से 2014 तक 13 बिलों को हंगामे के बीच पारित कराया गया था।

सरकार से दूरी बना रहे कई विपक्षी दल
सदन में शांति बहाली के लिए राज्यसभा के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी। हालांकि, इस बैठक से कांग्रेस, तृणमूल, राजद, वामपंथी पार्टियों सहित कई दलों ने दूरी बना ली। मुश्किल यह है कि दोनों ही सदनों की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सभी दल विभिन्न विषयों पर चर्चा और विधायी कार्य में सहयोग देने के लिए राजी हुए थे। हालांकि, सदन में विपक्ष बीते चार बैठकों से हंगामा कर रहा है।

सरकार और विपक्ष में संवादहीनता नहीं, हम हर विषय पर चर्चा को तैयार: नकवी
सरकार और विपक्ष के बीच संवादहीनता की स्थिति नहीं है। विधायी कार्यों के प्रति विपक्ष का भी दायित्व है। हम शुरू से हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार हैं। सरकार भी चाहती है कि सत्र में चर्चा, बहस हो, निर्णय हो। विपक्षी दलों से लगातार संवाद हो रहा है। उम्मीद है अगले हफ्ते में स्थिति में बदलाव आएगा।- मुख्तार अब्बास नकवी, उपनेता, राज्यसभा

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