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दिव्या राणा पर भारी पड़ी थी मंदाकिनी की बोल्डनेस, अब नाम बदलकर कर रहीं ये काम

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बॉलीवुड में बहुत ही कम ऐसे कलाकार हैं जिन्हें पहली ही फिल्म में लीड अभिनेता या अभिनेत्री का किरदार मिल जाए…कुछ लोगों को यह मौका किसी स्टार की संतान या जान-पहचान होने से आसानी से मिल जाती है तो कुछ को काफी स्ट्रगल के बाद किसी फिल्म में साइड रोल या छोटा-मोटा काम मिलता है. बहुत खुशनसीब होते हैं वो जिन्हें बतौर लीड एक्टर की तौर पर पहली फिल्म मिल जाती है. उन्हीं में से एक थी दिव्या राणा , शायद ही अभी के समय के ज्यादा लोग इस एक्ट्रेस के बारे में जानते होंगे.

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दिव्या राणा पर भारी पड़ी थी मंदाकिनी की बोल्डनेस, अब नाम बदलकर कर रहीं ये काम

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बॉलीवुड में बहुत ही कम ऐसे कलाकार हैं जिन्हें पहली ही फिल्म में लीड अभिनेता या अभिनेत्री का किरदार मिल जाए…कुछ लोगों को यह मौका किसी स्टार की संतान या जान-पहचान होने से आसानी से मिल जाती है तो कुछ को काफी स्ट्रगल के बाद किसी फिल्म में साइड रोल या छोटा-मोटा काम मिलता है. बहुत खुशनसीब होते हैं वो जिन्हें बतौर लीड एक्टर की तौर पर पहली फिल्म मिल जाती है. उन्हीं में से एक थी दिव्या राणा , शायद ही अभी के समय के ज्यादा लोग इस एक्ट्रेस के बारे में जानते होंगे.




दोस्तों बॉलीवुड में कई फिल्में ऐसी हैं जिन्हें आज भी याद किया जाता है और हमेशा किया जाता रहेगा…इन्हीं फिल्मों में से एक है शहंशाह….जी हां अमिताभ बच्चन की शहंशाह…शहंशाह का नाम सुनते ही जुबान पर एक ही संवाद आता है…रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप होते हैं, नाम है शहंशाह”…फिल्म शहंशाह का निर्माण और निर्देशन टीनू आनंद ने किया था। इसकी कहानी अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन ने लिखी थी और पटकथा अनुभवी पटकथा लेखक इंदर राज आनंद ने लिखी थी…हालांकि इंदर राज फिल्म रिलीज होने से पहले ही दुनिया से चल बसे थे । इस फिल्म ने बच्चन की तीन साल के अंतराल के बाद फिल्मों में वापसी की, जिसके दौरान उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया था। यह फिल्म 1988 की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी। फिल्म को अमिताभ बच्चन के कॉमिक पुलिसकर्मी और जुर्म से लड़ने वाले मसीहा के रूप में जबल रोल के लिए भी याद किया जाता है।




राखी सांवत कंगना रणौत से भिड़ीं, दिया चैलेंज।नवाजुद्दीन सिद्दीकी की अपकमिंग कॉमेडी फिल्म की शूटिंग हुई शुरू। राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर स्टार फिल्म ‘बधाई दो’ का बॉक्स आॉफिस कलेक्शन लगातार बढ़ता जा रहा।




आज बात करेंगे मधुबाला की…क्या आप जानते हैं कि हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत अभिनेत्री मानी जाने वाली मधुबाला को भी फिल्म पाने के लिए स्क्रीन टेस्ट देना पड़ा था… यह बात सोच कर भी ताज्जुब होता है। मधुबाला ने बाल कलाकार के रूप में कैरियर शुरू किया था और जब वह हीरोइन बनने को तैयार हुईं तो हर कोई उनका मुरीद नहीं था। वह मात्र 16 साल की थीं और निर्देशक कमाल अमरोही की उन पर नजर पड़ी। कमाल उन दिनों इंडस्ट्री में लेखक के तौर पर स्थापित थे और निर्देशक के रूप में अपनी पहली फिल्म ‘महल’ (1949) बनाने की तैयारी कर रहे थे।




दोस्तों आज हम बात करेंगे अपने जमाने की मोस्ट टैलेंटेड और खूबसूरत अदाकारा मधुबाला की…उनकी जिंदगी में कितने लोग आए और अपने आखिरी दिनों में उनकी हालत कैसी हो गई थी…दिलीप कुमार और मधुबाला की प्रेम कहानी तो जगजाहिर है, लेकिन मधुबाला की पहली मोहब्बत दिलीप कुमार नहीं बल्कि मशहूर फिल्मकार कमाल अमरोही थे..जिन्हें महल और पाकीजा जैसी अमर फिल्मों के लिए जाना जाता है…मीना कुमारी के पति कमाल अमरोही भी मधुबाला से शादी करना चाहते थे….कमाल अमरोही फिल्म महल बना रहे थे और इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान कमाल अमरोही का दिल मधुबाला पर आ गया…




मुमताज और जीनत अमान अपने जमाने की खूबसूरत और दिग्गज अभिनेत्रियां रही हैं। हालांकि जीनत के फिल्मों में आने से पहले मुमताज स्टार बन चुकी थीं…उनकी कई फिल्में धमाल मचा चुकी थीं और राजेश खन्ना के साथ उनकी जोड़ी दर्शकों को खूब भायी..मुमताज 60 के दशक से फिल्मों में थीं और 70 के दशक तक आते-आते उनका अपना रुतबा और स्टारडम अपनी चरम सीमा पर था। मुमताज को लगने लगा था कि उनका स्टारडम उनसे कोई नहीं छीन पाएगा, लेकिन उनका ये सपना जीनत अमान ने तोड़ दिया। 




दोस्तों आज बात होगी अभिनेता से नेता बने राज बब्बर की…राज बब्बर अपने जमाने के एक दिग्गज कलाकार भी रहे हैं…150 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाले राज बब्बर ने एनएसडी से मेथड एक्टिंग की तालीम ली थी…इसके बाद हीरो बनने के लिए उन्होंने मुंबई का रुख किया…लेकिन जो ख्वाब उन्होंने देखा था वो आसान नहीं था…राज की फिल्मों में शुरुआत नकारात्मक भूमिका से हुई…उन्हें ऐसा रोल मिला, जिसे करने में उनकी हालत खराब हो गई थी….उन्हें डर था कि इसके बाद कभी वह फिल्म के हीरो नहीं बन पाएंगे, लेकिन यहीं भूमिका उनके लिए वरदान भी साबित हुई…किस्सा है फिल्म इंसाफ का तराजू का…जिसमें उनके साथ उस जमाने की नंबर वन हीरोइन जीनत अमान, पद्मिनी कोल्हापुरे और दीपक पराशर  मुख्य भूमिकाओं में थे। फिल्म में राज बब्बर का किरदार एक बलात्कारी का था, इसे राज ने जिस खूबसूरती ने निभाया, उसकी आज भी तारीफ की जाती है।




दोस्तों दिलीप कुमार और सुरैया अपने जमाने के दिग्गज कलाकार रहे हैं। जहां दिलीप कुमार हिंदी सिनेमा के ट्रेजेडी किंग कहलाए तो वहीं सुरैया अपने जमाने की मशहूर और सबसे खूबसूरत हीरोइनों में से एक रहीं। लोग जितना सुरैया की ऐक्टिंग के दीवाने थे, उससे कहीं ज्यादा उनकी खूबसूरती के। 40, 50 और 60 के दशक में हर तरफ सुरैया के ही चर्चे थे। हीरो तो क्या, हर निर्माता-निर्देशक सुरैया को अपनी फिल्म की हीरोइन बनाना चाहता था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिलीप कुमार और सुरैया ने साथ काम क्यों नहीं किया…तो आइए आपको बताते हैं…




दोस्तों जब बात हो हिंदी सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ डांसरों की तो सबसे पहले हेलेन और वैजयन्ती माला जैसी सदाबहार हीरोइनों का नाम आता है, लेकिन उनसे भी पहले एक ऐसी हीरोइन और कैबरे डांसर रहीं जिनके डांस के सभी लोग कायल थे। ये थीं कुकू मोरे। कुकू 50 के दशक की जानी-मानी कैबरे डांसर रहीं। कुकू एक ऐसी हीरोइन थीं जो अपने भड़कीले अंदाज, भड़कीले पहनावे और खर्चीले ढंग के लिए जानी जाती थीं। लेकिन आखिरी वक्त में वो ऐसी फटेहाल हो गईं कि दवाई खरीदने तक के पैसे नहीं बचे।




सुप्रिया पाठक बॉलीवुड की उन चुनींदा एक्ट्रेस में शुमार हैं जो करीब 40 साल से दर्शकों को एंटरटेन कर रही हैं। थिएटर और टीवी में अपने हुनर को दिखाने के बाद सुप्रिया फिल्मों तक पहुंची हैं। सुप्रिया पाठक का टीवी सीरियल ‘खिचड़ी’ आज भी दर्शकों की पहली पसंद है। सुप्रिया ने साल 1981 में अपने करियर की शुरुआत फिल्म ‘कलयुग’ से की थी। बॉलीवुड में आने से पहले सुप्रिया एक थिएटर आर्टिस्ट थीं । साथ ही एक ट्रेंड भरतनाट्यम डांसर भी हैं।

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