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दावा: मानवाधिकार विशेषज्ञ ने कहा- अमेरिका में सिखों से भेदभाव बढ़ा, अमेरिकी सांसदों से इसे खत्म करने का किया आग्रह
एजेंसी, वाशिंगटन।
Published by: Jeet Kumar
Updated Wed, 09 Mar 2022 12:55 AM IST
सार
अमृत कौर आकरे ने कहा, सरकारी नीतियों और कानूनों की पक्षपातपूर्ण व्याख्या से परिवहन, मनोरंजन, स्वास्थ्य देखभाल, सैन्य और कानून प्रवर्तन व सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की नौकरियों में सिखों को नुकसान होता है।
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आकरे ने हाल में भेदभाव और नागरिक अधिकार पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान संविधान, नागरिक अधिकार तथा नागरिक स्वतंत्रता पर सदन की न्यायिक उपसमिति के सदस्यों को यह जानकारी दी। आकरे सिख वकालत समूह ‘सिख कोएलिशन’ की कानून संबंधी मामलों की निदेशक हैं।
उन्होंने कहा, सरकारी नीतियों और कानूनों की पक्षपातपूर्ण व्याख्या से परिवहन, मनोरंजन, स्वास्थ्य देखभाल, सैन्य और कानून प्रवर्तन व सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की नौकरियों में सिखों को नुकसान होता है। उन्होंने कहा, सिखों को कई बार काम से संबंधित जांच के लिए अपने बाल काटने का आदेश दिया जाता है।
शीला जैक्सन और जयपाल ने भी निंदा की
सांसद शीला जैक्सन ली ने कहा, अमेरिका में पगड़ी पहनने वाले सिख लड़कों को आतंकवादी कहा जाता है और लड़कियों को लंबे बाल रखने के लिए परेशान किया जाता है। ऐसे कई बच्चे हिंसा के शिकार भी होते हैं। हमारे एक अध्ययन में पता चला है कि 50 प्रतिशत से अधिक सिख बच्चों ने स्कूल में दूसरे छात्रों द्वारा उत्पीड़न का सामना किया है। सांसद प्रमिला जयपाल ने ङी इसकी निंदा की है।
विस्तार
आकरे ने हाल में भेदभाव और नागरिक अधिकार पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान संविधान, नागरिक अधिकार तथा नागरिक स्वतंत्रता पर सदन की न्यायिक उपसमिति के सदस्यों को यह जानकारी दी। आकरे सिख वकालत समूह ‘सिख कोएलिशन’ की कानून संबंधी मामलों की निदेशक हैं।
उन्होंने कहा, सरकारी नीतियों और कानूनों की पक्षपातपूर्ण व्याख्या से परिवहन, मनोरंजन, स्वास्थ्य देखभाल, सैन्य और कानून प्रवर्तन व सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की नौकरियों में सिखों को नुकसान होता है। उन्होंने कहा, सिखों को कई बार काम से संबंधित जांच के लिए अपने बाल काटने का आदेश दिया जाता है।
शीला जैक्सन और जयपाल ने भी निंदा की
सांसद शीला जैक्सन ली ने कहा, अमेरिका में पगड़ी पहनने वाले सिख लड़कों को आतंकवादी कहा जाता है और लड़कियों को लंबे बाल रखने के लिए परेशान किया जाता है। ऐसे कई बच्चे हिंसा के शिकार भी होते हैं। हमारे एक अध्ययन में पता चला है कि 50 प्रतिशत से अधिक सिख बच्चों ने स्कूल में दूसरे छात्रों द्वारा उत्पीड़न का सामना किया है। सांसद प्रमिला जयपाल ने ङी इसकी निंदा की है।