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तालिबान का खौफ: उद्योग धंधे और बैंक बंद, 10 से 20 फीसदी महंगे हुए खाद्य पदार्थ व अन्य सामग्रियां

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एजेंसी, काबुल
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 24 Aug 2021 07:53 AM IST

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लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। तालिबान के खौफ से उद्योग धंधे और बैंक बंद पड़े हैं। रोजगार खत्म हो रहे हैं। दैनिक उपभोग से जुड़ी वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों से लोग भूखे रहने को मजबूर हैं। लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं। कई लोग कहीं नहीं जा सकते। ऐसे लोगों को दो वक्त की रोटी और दवा जुटाना मुश्किल हो गया है। लोगों का कहना है कि तालिबान को आए हुए सप्ताहभर हुआ है, लेकिन इतने दिनों में ही हालात बद से बदतर हो गए हैं।

दूध-दवा तक मिलना मुश्किल : तालिबान के डर से छिपे लोग बताते हैं कि दूध और दवा की भारी किल्लत है। छोटे बच्चों को लोग पानी ही पिला रहे हैं। दवा और इलाज नहीं है। अब तो स्थिति ऐसी है कि लोग भुखमरी और बिना इलाज मर जाएंगे।

जेवर बेचना चाहता हूं पर खरीदार नहीं
एक पूर्व पुलिसकर्मी बताते हैं कि दो माह से वेतन नहीं मिला। इसी बीच तालिबान आने से  नौकरी चली गई। तीन महीने से किराया नहीं दिया है। पत्नी की अंगूठी और कान की बाली बेचना चाहता हूं। लेकिन खरीदार तक नहीं मिल रहा है।

परिवार की सुरक्षा और भरण पोषण की चिंता
एक अन्य पूर्व पुलिसकर्मी बताते हैं कि वो जान बचाने के लिए छिपे हैं। 20 हजार रुपये महीने के वेतन की नौकरी भी जा चुकी है। अब  परिवार की सुरक्षा और भरण पोषण की चिंता है लेकिन विकल्प नहीं है। मेरे चार बच्चे कई दिन से भूखे हैं।

लोगों का कहना है कि अचानक खाद्य पदार्थों की कीमतें भी बढ़ गई हैं। आटा, तेल, चावल जैसे खाद्य पदार्थों के साथ दैनिक उपभोग की चीजों की कीमतों में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। बैंक बंद होने से लोग जमा पैसा ही नहीं निकाल पा रहे हैं।

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लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। तालिबान के खौफ से उद्योग धंधे और बैंक बंद पड़े हैं। रोजगार खत्म हो रहे हैं। दैनिक उपभोग से जुड़ी वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों से लोग भूखे रहने को मजबूर हैं। लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं। कई लोग कहीं नहीं जा सकते। ऐसे लोगों को दो वक्त की रोटी और दवा जुटाना मुश्किल हो गया है। लोगों का कहना है कि तालिबान को आए हुए सप्ताहभर हुआ है, लेकिन इतने दिनों में ही हालात बद से बदतर हो गए हैं।

दूध-दवा तक मिलना मुश्किल : तालिबान के डर से छिपे लोग बताते हैं कि दूध और दवा की भारी किल्लत है। छोटे बच्चों को लोग पानी ही पिला रहे हैं। दवा और इलाज नहीं है। अब तो स्थिति ऐसी है कि लोग भुखमरी और बिना इलाज मर जाएंगे।

जेवर बेचना चाहता हूं पर खरीदार नहीं

एक पूर्व पुलिसकर्मी बताते हैं कि दो माह से वेतन नहीं मिला। इसी बीच तालिबान आने से  नौकरी चली गई। तीन महीने से किराया नहीं दिया है। पत्नी की अंगूठी और कान की बाली बेचना चाहता हूं। लेकिन खरीदार तक नहीं मिल रहा है।

परिवार की सुरक्षा और भरण पोषण की चिंता

एक अन्य पूर्व पुलिसकर्मी बताते हैं कि वो जान बचाने के लिए छिपे हैं। 20 हजार रुपये महीने के वेतन की नौकरी भी जा चुकी है। अब  परिवार की सुरक्षा और भरण पोषण की चिंता है लेकिन विकल्प नहीं है। मेरे चार बच्चे कई दिन से भूखे हैं।

लोगों का कहना है कि अचानक खाद्य पदार्थों की कीमतें भी बढ़ गई हैं। आटा, तेल, चावल जैसे खाद्य पदार्थों के साथ दैनिक उपभोग की चीजों की कीमतों में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। बैंक बंद होने से लोग जमा पैसा ही नहीं निकाल पा रहे हैं।

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