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ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल रिपोर्ट: 180 देशों की सूची में भारत 85वें स्थान पर, लोकतांत्रिक स्थिति पर चिंता
पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Wed, 26 Jan 2022 04:23 AM IST
सार
विशेषज्ञों और व्यवसायियों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के कथित स्तरों के आधार पर 180 देशों और क्षेत्रों की रैंकिंग की सूची तैयार की जाती है। यह रैंकिंग 0 से 100 अंकों के पैमाने का उपयोग कर तय की जाती है।
भ्रष्टाचार (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
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भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक (सीपीआई) 2021 में 180 देशों की सूची में भारत को 85वां स्थान मिला है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछली बार के मुकाबले भारत की रैंकिंग में एक स्थान का सुधार हुआ है। हालांकि रिपोर्ट में देश की लोकतांत्रिक स्थिति पर चिंता जताई गई है।
ऐसे होती है गणना
विशेषज्ञों और व्यवसायियों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के कथित स्तरों के आधार पर 180 देशों और क्षेत्रों की रैंकिंग की सूची तैयार की जाती है। यह रैंकिंग 0 से 100 अंकों के पैमाने का उपयोग कर तय की जाती है। जहां शून्य अंक प्राप्त करने वाला देश सर्वाधिक भ्रष्ट होता है जबकि 100 अंक प्राप्त करने वाले देश को भ्रष्टाचार की दृष्टि से बेहद अच्छा माना जाता है।
भारत 40 अंकों के साथ 85वें स्थान पर
भ्रष्टाचार विरोधी प्रहरी (एंटी करप्शन वॉचडॉग) की रिपोर्ट में दुनिया के कुछ सबसे अधिक आबादी वाले देशों ने खराब स्कोर हासिल किया है। भारत को इस सूची में 40 अंकों के साथ 85वां स्थान मिला है। वहीं चीन (45), इंडोनेशिया (38), पाकिस्तान (28) और बांग्लादेश (26) अंकों के साथ इस सूची में विभिन्न स्थानों पर हैं। पाकिस्तान को इस सूची में 140वां स्थान दिया गया है।
भारत की रैंक में एक स्थान का सुधार
सूचकांक के अनुसार, भारत की रैंक में एक स्थान का सुधार आया है। भारत 2020 में 86वें स्थान पर था, जो 2021 में एक स्थान बढ़कर 85वें स्थान पर आया है। हमारे साथ ही मालदीव भी है। भूटान और चीन को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देश इससे नीचे हैं। पाकिस्तान सूचकांक में 16 स्थान गिरकर 140वें स्थान पर आ गया है। हमारा एक और पड़ोसी बांग्लादेश 147वें स्थान पर है। हालांकि फिलहाल आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका 102वें स्थान पर है। तालिबान के शासन वाला अफगानिस्तान 174वें स्थान पर है। डेनमार्क, फिनलैंड, न्यूजीलैंड और नॉर्वे उच्चतम स्कोर के साथ सूची में सबसे ऊपर हैं।
भारत के मामले को बताया चिंताजनक
मंगलवार को जारी रिपोर्ट में भारत के मामले को विशेष रूप से चिंताजनक बताते हुए कहा गया है कि पिछले एक दशक में देश का स्कोर स्थिर रहा है, लेकिन कुछ तंत्र जो भ्रष्टाचार रोकने में शासन को मदद कर सकते हैं, कमजोर हो रहे हैं। इससे देश की लोकतांत्रिक स्थिति को लेकर चिंता बढ़ गई हैं, क्योंकि मौलिक स्वतंत्रता और संस्थागत नियंत्रण के बीच संतुलन बिगड़ रहा है।
पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता विशेष रूप से खतरे में
सूचकांक आधारित रिपोर्ट में कहा गया है, “पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता विशेष रूप से खतरे में हैं क्योंकि ये पुलिस, राजनीतिक उग्रवादियों, आपराधिक गिरोहों और भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों के हमलों के शिकार हो रहे हैं।” रिपोर्ट में आगे आरोप लगाया गया है कि सरकार के खिलाफ बोलने वाले नागरिक समाज संगठनों को सुरक्षा, मानहानि, देशद्रोह, नफरत भरे भाषणों, अदालत की अवमानना के आरोपों और विदेशी फंडिंग के नियमों के साथ निशाना बनाया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘सीपीआई के शीर्ष में शामिल पश्चिमी यूरोप और यूरोपीय संघ के देश कोविड-19 के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक दुसरे से लड़ना जारी रखे हुए हैं, जिससे क्षेत्र की स्वच्छ छवि को खतरा है। एशिया प्रशांत के कुछ हिस्सों में, अमेरिका, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में, जवाबदेही उपायों और बुनियादी नागरिक स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंध भ्रष्टाचार को अनियंत्रित होने दे रहे हैं। जिससे ऐतिहासिक रूप से उच्च प्रदर्शन करने वाले देश भी गिरावट के संकेत दे रहे हैं।’
विस्तार
भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक (सीपीआई) 2021 में 180 देशों की सूची में भारत को 85वां स्थान मिला है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछली बार के मुकाबले भारत की रैंकिंग में एक स्थान का सुधार हुआ है। हालांकि रिपोर्ट में देश की लोकतांत्रिक स्थिति पर चिंता जताई गई है।
ऐसे होती है गणना
विशेषज्ञों और व्यवसायियों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के कथित स्तरों के आधार पर 180 देशों और क्षेत्रों की रैंकिंग की सूची तैयार की जाती है। यह रैंकिंग 0 से 100 अंकों के पैमाने का उपयोग कर तय की जाती है। जहां शून्य अंक प्राप्त करने वाला देश सर्वाधिक भ्रष्ट होता है जबकि 100 अंक प्राप्त करने वाले देश को भ्रष्टाचार की दृष्टि से बेहद अच्छा माना जाता है।
भारत 40 अंकों के साथ 85वें स्थान पर
भ्रष्टाचार विरोधी प्रहरी (एंटी करप्शन वॉचडॉग) की रिपोर्ट में दुनिया के कुछ सबसे अधिक आबादी वाले देशों ने खराब स्कोर हासिल किया है। भारत को इस सूची में 40 अंकों के साथ 85वां स्थान मिला है। वहीं चीन (45), इंडोनेशिया (38), पाकिस्तान (28) और बांग्लादेश (26) अंकों के साथ इस सूची में विभिन्न स्थानों पर हैं। पाकिस्तान को इस सूची में 140वां स्थान दिया गया है।
भारत की रैंक में एक स्थान का सुधार
सूचकांक के अनुसार, भारत की रैंक में एक स्थान का सुधार आया है। भारत 2020 में 86वें स्थान पर था, जो 2021 में एक स्थान बढ़कर 85वें स्थान पर आया है। हमारे साथ ही मालदीव भी है। भूटान और चीन को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देश इससे नीचे हैं। पाकिस्तान सूचकांक में 16 स्थान गिरकर 140वें स्थान पर आ गया है। हमारा एक और पड़ोसी बांग्लादेश 147वें स्थान पर है। हालांकि फिलहाल आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका 102वें स्थान पर है। तालिबान के शासन वाला अफगानिस्तान 174वें स्थान पर है। डेनमार्क, फिनलैंड, न्यूजीलैंड और नॉर्वे उच्चतम स्कोर के साथ सूची में सबसे ऊपर हैं।
भारत के मामले को बताया चिंताजनक
मंगलवार को जारी रिपोर्ट में भारत के मामले को विशेष रूप से चिंताजनक बताते हुए कहा गया है कि पिछले एक दशक में देश का स्कोर स्थिर रहा है, लेकिन कुछ तंत्र जो भ्रष्टाचार रोकने में शासन को मदद कर सकते हैं, कमजोर हो रहे हैं। इससे देश की लोकतांत्रिक स्थिति को लेकर चिंता बढ़ गई हैं, क्योंकि मौलिक स्वतंत्रता और संस्थागत नियंत्रण के बीच संतुलन बिगड़ रहा है।
पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता विशेष रूप से खतरे में
सूचकांक आधारित रिपोर्ट में कहा गया है, “पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता विशेष रूप से खतरे में हैं क्योंकि ये पुलिस, राजनीतिक उग्रवादियों, आपराधिक गिरोहों और भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों के हमलों के शिकार हो रहे हैं।” रिपोर्ट में आगे आरोप लगाया गया है कि सरकार के खिलाफ बोलने वाले नागरिक समाज संगठनों को सुरक्षा, मानहानि, देशद्रोह, नफरत भरे भाषणों, अदालत की अवमानना के आरोपों और विदेशी फंडिंग के नियमों के साथ निशाना बनाया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘सीपीआई के शीर्ष में शामिल पश्चिमी यूरोप और यूरोपीय संघ के देश कोविड-19 के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक दुसरे से लड़ना जारी रखे हुए हैं, जिससे क्षेत्र की स्वच्छ छवि को खतरा है। एशिया प्रशांत के कुछ हिस्सों में, अमेरिका, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में, जवाबदेही उपायों और बुनियादी नागरिक स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंध भ्रष्टाचार को अनियंत्रित होने दे रहे हैं। जिससे ऐतिहासिक रूप से उच्च प्रदर्शन करने वाले देश भी गिरावट के संकेत दे रहे हैं।’