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गुजरात सरकार : जाकिया जाफरी के नाम पर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ 2002 दंगे मामलों को रखना चाह रही हैं गरम
एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: Kuldeep Singh
Updated Wed, 08 Dec 2021 03:55 AM IST
सार
2002 दंगे के मामले में दिवंगत कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी और सामाजिक कार्यकर्ता जाकिया जाफरी ने नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को एसआईटी से मिली क्लीनचिट को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। गुजरात सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा, ऐसा करना कानून का मजाक उड़ाने जैसा है और सुप्रीम कोर्ट को ऐसी याचिकाओं को स्वीकार नहीं करना चाहिए।
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़
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गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलील
जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ के समक्ष गुजरात सरकार की ओर से दलील रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, जाफरी की अर्जी में दूसरे नंबर की याचिकाकर्ता के तौर पर सीतलवाड़ का नाम है। यह सीधे तौर पर कार्यवाही का अपमान करने जैसा है। यह कोई मामला ही नहीं है कि 2002 दंगों के दोषियों को सजा नहीं मिली क्योंकि सुनवाई हुई है और मेरिट के आधार पर आरोपियों को या तो दोषी ठहराया गया या बरी किया गया।
अब इस मामले में जाकिया के अलावा तीस्ता सीतलवाड़ के याचिकाकर्ता होने का मतलब साफ है कि वह इस मामले को जीवंत बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं। वह इस मामले में और गुंजाइश व दोबारा जांच के आदेश देने के लिए माहौल बना रही हैं। जो कि सीधे तौर पर न्यायिक प्रक्रिया का उपहास है। मेहता ने पीठ से कहा, मैं आप से अपील करता हूं कि इस तरह की याचिकाओं को स्वीकार न करें।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि इन दंगों के बाद गुजरात सरकार ने कुछ नहीं किया। जबकि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के नेतृत्व में जांच आयोग का गठन किया। इस आयोग ने सभी साक्ष्यों पर गौर करने के बाद रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में हर जिले के विस्तृत तथ्यों को रखा गया। आयोग जांच के बाद इस नतीजे पर पहुंचा कि हर वह चीज की गई जो संभव थी। अधिकारी पूरी तरह सतर्क थे और उन्होंने सभी कदम उठाए।
विस्तार
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलील
जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ के समक्ष गुजरात सरकार की ओर से दलील रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, जाफरी की अर्जी में दूसरे नंबर की याचिकाकर्ता के तौर पर सीतलवाड़ का नाम है। यह सीधे तौर पर कार्यवाही का अपमान करने जैसा है। यह कोई मामला ही नहीं है कि 2002 दंगों के दोषियों को सजा नहीं मिली क्योंकि सुनवाई हुई है और मेरिट के आधार पर आरोपियों को या तो दोषी ठहराया गया या बरी किया गया।
अब इस मामले में जाकिया के अलावा तीस्ता सीतलवाड़ के याचिकाकर्ता होने का मतलब साफ है कि वह इस मामले को जीवंत बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं। वह इस मामले में और गुंजाइश व दोबारा जांच के आदेश देने के लिए माहौल बना रही हैं। जो कि सीधे तौर पर न्यायिक प्रक्रिया का उपहास है। मेहता ने पीठ से कहा, मैं आप से अपील करता हूं कि इस तरह की याचिकाओं को स्वीकार न करें।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि इन दंगों के बाद गुजरात सरकार ने कुछ नहीं किया। जबकि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के नेतृत्व में जांच आयोग का गठन किया। इस आयोग ने सभी साक्ष्यों पर गौर करने के बाद रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में हर जिले के विस्तृत तथ्यों को रखा गया। आयोग जांच के बाद इस नतीजे पर पहुंचा कि हर वह चीज की गई जो संभव थी। अधिकारी पूरी तरह सतर्क थे और उन्होंने सभी कदम उठाए।