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गणतंत्र दिवस विशेष: जीवन का सुधारा तंत्र, बीमारियां खत्म कीं…अभी कई मानकों पर सुधार बाकी
इस 73वें गणतंत्र दिवस पर अमर उजाला ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में बीते 73 वर्षों में हुए कामों, हासिल उपलब्धियों और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति का विश्लेषण किया। इसके लिए भारत और विश्व की विभिन्न संस्थाओं व एजेंसियों की रिपोर्टों की मदद ली गई। नतीजे में सामने आई कुछ ऐसी तस्वीर…
बुनियादी चिकित्सा सेवाएं
देशवासियों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है। डॉक्टरों की संख्या आबादी के अनुपात में पांच गुना बेहतर हुई तो मेडिकल कॉलेज भी करीब 20 गुना बढ़ गए। अस्पताल व स्वास्थ्यकर्मियों में अहम योगदानकर्ता यानी नर्सों का आंकड़ा भी कई गुना बढ़ा।
कितने डॉक्टर / प्रति 10,000 की आबादी पर
1950 : 1.7
2021 : 09
वर्ष 1950 आज
मेडिकल कॉलेज 28 542
अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र 9,209 70,000
नर्सें 16,550 12,50,000
नवजात मृत्यु दर को वैश्विक औसत पर लाए…लेकिन अब भी पीछे
पहले गणतंत्र दिवस के समय देश में हर 10 में से दो बच्चों की मौत जन्म के तुरंत बाद हो रही थी। यह वैश्विक औसत से भी अधिक था। इन सवा सात दशकों में हमने इसे सात गुना कम किया। हालांकि अब भी जापान जैसे देशों के मुकाबले यह 14 गुना अधिक है। हमारे यहां आज 1000 बच्चों में से 27 की मौत जन्म के बाद हो रही है, जापान में यह आंकड़ा महज 2 है।
साल विश्व भारत
1950 160 190
2000 65 62
2021 27 27
बीमारियों की जांच और इलाज
हमने कोविड-19 महामारी की वजह से जांच सुविधाओं में सुधार किया है। यहां डाटा की पारदर्शिता व वर्कफोर्स की कमी अब भी बाधा हैं।
हमारी स्थिति विश्व का औसत
प्रयोगशालाओं की व्यवस्था 87.5 44.9
लगातार निगरानी 75 34.6
निगरानी डाटा में पारदर्शिता 23.3 34.7
महामारी के लिए वर्कफोर्स 50 46.5
(100 अंकों के इंडेक्स पर)
क्या 10 साल बढ़ा सकेंगे भारतीयों की औसत उम्र?
भारतीयों की औसत उम्र 72 साल में करीब दोगुनी हुई है। हालांकि यह 80 वर्ष से अधिक औसत उम्र रखने वाले हांगकांग, जापान आदि से अब भी कम है। सवाल है कि क्या हम नागरिकों की औसत उम्र में 10 साल का इजाफा कर पाएंगे?
साल विश्व भारत
1950 48 वर्ष 37 वर्ष
2000 65 वर्ष 61 वर्ष
2021 73 वर्ष 70 वर्ष
आपात स्थिति में उपचार
आपात स्थिति में इलाज मिलने की कमियों को अनदेखा कर रिपोर्ट ने औसत विश्लेषण दिया है। इससे कई मानकों पर भारत वैश्विक औसत से बेहतर दिखा।
हमारी स्थिति विश्व का औसत
तैयारी व प्लानिंग 41.7 30.4
प्लानिंग को लागू करना 25 21.1
आपात स्थिति में कार्यक्षमता 33.3 27
आपात स्थिति में संवाद 70.8 57.9
(100 अंकों के इंडेक्स पर)
स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में दुनिया के टक्कर में है भारत
ग्लोबल हेल्थ इंडेक्स रिपोर्ट से भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की वैश्विक स्तर से तुलना की जा सकती है। इसे 100 अंकों के इंडेक्स पर मापा गया है।
बुनियादी ढांचा
यहां वैश्विक औसत से हमारी स्थिति बेहतर है। लेकिन आम नागरिकों की स्वास्थ्य सेवाओं, चिकित्सकों, नर्सों आदि तक पहुंच के लिहाज से हम वैश्विक औसत से पीछे हैं।
भारत विस्व का औसत
अस्पताल, क्लिनिक व अन्य केंद्र 36.9 30
सप्लाई चेन व स्वास्थ्य कार्यकर्ता 16.7 28.5
स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच 19.2 55.2
आपात स्थिति में मरीजों से संपर्क 100 40.5
कभी बीमारियों से होती थीं लाखों मौतें, अब 100 से कम
n मलेरिया : 1950 के दशक में हर साल मलेरिया से 10 लाख मौतें हुईं। 1958 में शुरू मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम से इसे नियंत्रित किया गया। विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2020 के अनुसार, अब यह संख्या केवल 77 रह गई है।
n स्मॉल पॉक्स : 1950-51 में स्मॉल पॉक्स (चेचक) से 1,05,781 भारतीयाें की जान गई। अगले 15 साल सालाना 1 लाख तक मौतें हुईं। 1963 में शुरू राष्ट्रीय चेचक उन्मूलन कार्यक्रम ने बीमारी 15 साल में मिटा दी।
n पोलियो : नागरिकों को अपाहिज बनाने वाले पोलियो से 1988 में देश के 3.5 लाख बच्चे पीड़ित थे। विश्व के 60% मामले यहीं थे। 1994 में शुरू पल्स पोलियो टीकाकरण ने पोलियो से मुक्ति दिलाई। 2011 में आखिरी पोलियो केस पश्चिम बंगाल के हावड़ा में मिला था।
प्रमुख स्रोत : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, एनएचएम, नीति आयोग, विश्व स्वास्थ्य संगठन, नेशनल फैमिली हेल्थ
सर्वे-5, ग्लोबल हेल्थ इंडेक्स 2021, विश्व बैंक रिपोर्ट्स।