अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Updated Wed, 18 Nov 2020 04:45 AM IST
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महामारी अधिनियम की सांविधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि इस मुद्दे पर उन्होंने हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया। कोर्ट ने कहा, हाईकोर्ट के पास महामारी अधिनियम समेत केंद्रीय कानूनों को रद्द करने की शक्तियां हैं, आपको पहले वहां जाना चाहिए था।
शीर्ष अदालत ने महामारी अधिनियम की सांविधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने याचिकाकर्ता एचएन मिराशी से कहा, आपने यह किस तरह की याचिका दायर की है। महामारी अधिनियम को आप बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दे सकते थे? हाईकोर्ट को केंद्रीय अधिनियम रद्द करने का अधिकार है। आप याचिका वापस लेकर हाईकोर्ट में दायर करेें।
इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि चूंकि यह केंद्रीय कानून है, इसलिए मैंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आपको किसने कहा कि हाईकोर्ट नहीं जा सकते। आप पहले लाइब्रेरी जाइए और अनुच्छेद-226 के तहत हाईकोर्ट के अधिकार को पढ़िए। आपकी की यह धारणा पूरी तरह से गलत है कि हाईकोर्ट को केंद्र के अधिनियम को रद्द करने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट को ऐसा करने का पूरा अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महामारी अधिनियम की सांविधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि इस मुद्दे पर उन्होंने हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया। कोर्ट ने कहा, हाईकोर्ट के पास महामारी अधिनियम समेत केंद्रीय कानूनों को रद्द करने की शक्तियां हैं, आपको पहले वहां जाना चाहिए था।
शीर्ष अदालत ने महामारी अधिनियम की सांविधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने याचिकाकर्ता एचएन मिराशी से कहा, आपने यह किस तरह की याचिका दायर की है। महामारी अधिनियम को आप बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दे सकते थे? हाईकोर्ट को केंद्रीय अधिनियम रद्द करने का अधिकार है। आप याचिका वापस लेकर हाईकोर्ट में दायर करेें।
इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि चूंकि यह केंद्रीय कानून है, इसलिए मैंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आपको किसने कहा कि हाईकोर्ट नहीं जा सकते। आप पहले लाइब्रेरी जाइए और अनुच्छेद-226 के तहत हाईकोर्ट के अधिकार को पढ़िए। आपकी की यह धारणा पूरी तरह से गलत है कि हाईकोर्ट को केंद्र के अधिनियम को रद्द करने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट को ऐसा करने का पूरा अधिकार है।
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