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स्मृति शेष: आगरा में जन्मे फिल्म निर्देशक रवि टंडन माईथान से मुंबई तक… शोहरत का छूते रहे फलक

सार

फिल्म अभिनेत्री रवीना टंडन के पिता रवि टंडन का जन्म आगरा के माईथान में हुआ था। उन्होंने माईथान की गलियों से मुंबई तक शोहरत की ऊंचाई को छुआ। शुक्रवार को उनके निधन की खबर मिलते ही उनके कॉलेज के समय के दोस्तों की आंखें नम हो गईं। उन्होंने रवि टंडन से जुड़ी यादें साझा कीं।  

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आगरा के माइथान से मुंबई तक के छह दशक के सफर के पड़ाव में फिल्म निर्देशक और अभिनेत्री रवीना टंडन के पिता रवि टंडन के निधन की खबर ने ताजनगरी के लोगों की आंखें नम कर दीं। जैसे ही शहर को शुक्रवार की सुबह यह दुखद समाचार मिला, तो उनके दशकों पुराने दोस्त, रिश्तेदार पुराने ख्यालों में खो गए। किसी ने कहा हंसमुख इंसान हमें छोड़कर चला गया, तो किसी ने कहा कि रवि मेरे दिल में हमेशा जिंदा रहेगा। 

1960 से पहले माइथान में रहने वाले फिल्म निर्देशक रवि टंडन की माइथान की गलियों में बल्लेबाजी की याद किसी को रुला गई, तो छात्र जीवन में उनके सखा रहे उनकी बातें कर भावुक हो उठे। इतना ही नहीं। मोहल्ले में घर के पास रहने वाले उनके दोस्त को माइथान की गली में क्रिकेट खेलना याद आ गया। 

आगरा कॉलेज में रंगमंच पर जीतते थे दिल 

फिल्म निदेशक रवि टंडन के साथ आगरा कॉलेज में पढ़ने वाले एसजी टंडन बताते हैं कि रवि काफी मस्त रहता था। टंडन बताते हैं कि आगरा कॉलेज में होने वाले किसी भी कार्यक्रम में रवि टंडन रंगमंच पर प्रस्तुति देकर कई बार छात्र-छात्राओं का दिल जीत चुके थे। 

उनका कहना था कि रवि को गानों का काफी शौक था। खाली समय में मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, मुकेश के गाने गुनगुनाते रहते थे। टंडन बताते हैं कि कॉलेज के समय में हम लोग थोड़ी बहुत शरारत भी करते थे। रवि सीधा था। इसलिए उसे ही उस दौर के प्रोफेसर के गुस्से का भी शिकार होना पड़ता था। 

भल्ला खाकर पूरी कर ली थी सावन की परिक्रमा 

फिल्म निर्देशक रवि टंडन के मकान के पास रहने वाले रक्षा मंत्रालय से सेवानिवृत्त वरिष्ठ लेखाधिकारी विष्णु नारायण टंडन को 1950 में माइथान की गलियों में खेले जाने वाले क्रिकेट मैचों की याद ताजा हो उठी। टंडन ने बताया कि काली टोपी, लाल रुमाल में रवि ने जब अभिनय किया था, तो मेरे पास फोन आया था। उस समय ट्रंक काल चलते थे। मैं उस समय काफी खुश हुआ था। 

घर पास-पास था, इसलिए उनसे भाई जैसा रिश्ता हो गया था। टंडन बताते हैं कि एक बार मेरे बड़े भाई सावन में बल्केश्वर महादेव की परिक्रमाम लगाने गए। रवि टंडन नहीं जा सके। वह खूब रोए। इसके बाद मां के कहने पर मैं उन्हें बसंत टॉकीज पर भल्ला खिलाकर वापस लौटा लाया। मां को बता दिया कि परिक्रमा पूरी हो गई। 

सरल और सौम्य व्यवहार रहेगा याद

इप्टा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव दिलीप रघुवंशी बताते हैं कि इप्टा से भी फिल्म निर्देशक रवि टंडन का काफी लगाव रहा। इप्टा के साथ उन्होंने कई बार रंगमंच को साझा किया। रघुवंशी बताते हैं कि उनका व्यवहार काफी सरल और सौम्य था। यहां से जाने के बाद मुंबई की आपाधापी भरी जिंदगी के चलते उनका आगरा आने काफी कम रहा। 1970 के आसपास उनसे मुलाकात हुई थी।

मेरे लिए सबसे खास है ब्रज रत्न अवार्ड 

इन्क्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन की ओर से फिल्म निर्देशक रवि टंडन को सन 2020 में ब्रज रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया था। स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण रवि आगरा नहीं आ सके थे। फाउंडेशन के अध्यक्ष पूरन डाबर ने बताया कि रवि के छोटे भाई रज्जू टंडन ने अवार्ड लिया था। डाबर का कहना था कि ब्रज रत्न अवार्ड मिलने पर रवि टंडन ने कहा था कि मेरे शहर ने मुझे जो अवार्ड दिया है, वह मेरे जीवन के खास अवार्ड में से एक है। मुंबई में रहते हुए भी ब्रज रत्न अवार्ड मुझे मेरे शहर की खुशबू से हमेशा महकाता रहेगा। 

पिता की जन्मस्थली देख खुश हुई थी रवीना 

माइथान में रहने वाले भारतभूषण गप्पी बताते हैं कि काफी कम लोगों को यह मालूम है कि रवीना का जन्म मुंबई में हुआ था। गप्पी बताते हैं चार साल पहले एक कार्यक्रम में आईं रवीना टंडन से जब मैंने पूछा कि माइथान के बारे में कितना जानती हैं। उस पर उन्होंने कहा था कि माइथान मेरे पिता की वो जमीं हैं जहां से उनकी जीवन की सफलता की कहानी शुरू होती है। पापा मुझे माईथान की गलियों के बारे में बताते हैं, तो काफी उत्सुक हो जाती हूं। उन्होंने कहा था कि पिता की जन्मस्थली पर आकर गौरवान्वित महसूस करती हैं।
 

विस्तार

आगरा के माइथान से मुंबई तक के छह दशक के सफर के पड़ाव में फिल्म निर्देशक और अभिनेत्री रवीना टंडन के पिता रवि टंडन के निधन की खबर ने ताजनगरी के लोगों की आंखें नम कर दीं। जैसे ही शहर को शुक्रवार की सुबह यह दुखद समाचार मिला, तो उनके दशकों पुराने दोस्त, रिश्तेदार पुराने ख्यालों में खो गए। किसी ने कहा हंसमुख इंसान हमें छोड़कर चला गया, तो किसी ने कहा कि रवि मेरे दिल में हमेशा जिंदा रहेगा। 

1960 से पहले माइथान में रहने वाले फिल्म निर्देशक रवि टंडन की माइथान की गलियों में बल्लेबाजी की याद किसी को रुला गई, तो छात्र जीवन में उनके सखा रहे उनकी बातें कर भावुक हो उठे। इतना ही नहीं। मोहल्ले में घर के पास रहने वाले उनके दोस्त को माइथान की गली में क्रिकेट खेलना याद आ गया। 

आगरा कॉलेज में रंगमंच पर जीतते थे दिल 

फिल्म निदेशक रवि टंडन के साथ आगरा कॉलेज में पढ़ने वाले एसजी टंडन बताते हैं कि रवि काफी मस्त रहता था। टंडन बताते हैं कि आगरा कॉलेज में होने वाले किसी भी कार्यक्रम में रवि टंडन रंगमंच पर प्रस्तुति देकर कई बार छात्र-छात्राओं का दिल जीत चुके थे। 

उनका कहना था कि रवि को गानों का काफी शौक था। खाली समय में मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, मुकेश के गाने गुनगुनाते रहते थे। टंडन बताते हैं कि कॉलेज के समय में हम लोग थोड़ी बहुत शरारत भी करते थे। रवि सीधा था। इसलिए उसे ही उस दौर के प्रोफेसर के गुस्से का भी शिकार होना पड़ता था। 

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