वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, जोहानिसबर्ग
Published by: प्रशांत कुमार झा
Updated Sat, 04 Dec 2021 08:31 AM IST
सार
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से दोबारा संक्रमण का खतरा अन्य वैरिएंट के मुकाबले ज्यादा है। यह वैरिएंट डेल्टा बीटा समेत अन्य वैरिएंट के मुकाबले तीन गुणा अधिक लोगों को पुन: सक्रमित करता है। जो लोग कोविड-19 से पहले संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें भी फिर से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। नए अध्य्यन में इसका खुलासा हुआ है।
कोविड रिसर्च (सांकेतिक)
– फोटो : पीटीआई
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विस्तार
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर पूरी दुनिया एक बार फिर से दहशत में है। वैज्ञानिक भी नए वैरिएंट को लेकर सकते में हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर नए-नए अध्ययन सामने आ रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य संगठनों के एक समूह ने एक स्टडी की है। समूह ने नए अध्ययन में दावा किया गया है कि नए ओमिक्रॉन वैरिएंट से दोबारा संक्रमण (री इंफेक्शन) का खतरा डेल्टा या बीटा वैरिएंट के मुकाबले तीन गुणा अधिक है। यानी कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक हो सकता है।
दक्षिण अफ्रीकी सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजिकल मॉडलिंग एंड एनालिसिस (SACEMA) और नेशनल सेंटर फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (NICD) के अनुसार, यह खोज ओमाइक्रोन की “पूर्व संक्रमण से प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता” का प्रमाण प्रदान करती है। यह परिणाम दक्षिण अफ्रीका की स्वास्थ्य व्यवस्था द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर है। यह ओमिक्रॉन की संक्रमण से बचने की क्षमता के बारे में महामारी विज्ञान का पहला प्रमाण पेश करता है।
नई स्टडी ने मार्च 2020 से 27 नवंबर तक नियमित निगरानी डेटा का इस्तेमाल किया। 27 नवंबर तक पॉजिटिव टेस्ट वाले 28 लाख लोगों में से 35,670 संदिग्ध पुन: संक्रमण थे। किसी शख्स के कोरोना से संक्रमित होने का मामला 90 दिनों के अंदर में आ जाता है तो इसे री इंफेक्शन माना जाता है।
