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सूरज एक खोज: नासा ने खींची सूर्य के सोलर फ्लेयर की तस्वीर, जानें क्या है इसकी खासियत?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Fri, 21 Jan 2022 07:56 PM IST

सार

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि सूर्य ने 20 जनवरी, 2022 को मध्य-स्तर की सौर चमक पैदा की। यह अमेरिकी समयानुसार दोपहर 1:01 बजे चरम पर थी। नासा ने फ्लेयर को एम 5.5 श्रेणी के फ्लेयर के रूप में वर्गीकृत किया है, जो मध्यम गंभीरता का एक्स-रे फ्लेयर है।
 

नासा का पार्कर सोलर प्रोब मिशन।
– फोटो : Twitter/NASA

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विस्तार

सूर्य हमेशा से पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए पहेली बना हुआ है, लेकिन अब इस पहेली की परतें खुलने लगी हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यान ‘पार्कर सोलर प्रोब’ ने कुछ समय पहले सूर्य को ‘छूने’ का अभूतपूर्व कारनामा किया था। अब नासा की सोलर डायनेमिक्स प्रयोगशाला ने सूर्य के मध्य-स्तर की सोलर फ्लेयर की तस्वीर लेने में कामयाबी हासिल की है। ये सोलर फ्लेयर्स विद्युत चुंबकीय विकिरण के शक्तिशाली विस्फोट होते हैं, जिनकी अवधि एक मिनट से कई घंटे तक हो सकती है। 

20 जनवरी को दिखी थी सोलर फ्लेयर

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि सूर्य ने 20 जनवरी, 2022 को मध्य-स्तर की सोलर फ्लेयर दिखी थी। अमेरिकी समयानुसार यह दोपहर 1:01 बजे अपने चरम पर थी। नासा ने फ्लेयर को एम 5.5 श्रेणी के फ्लेयर के रूप में वर्गीकृत किया है, जो मध्यम गंभीरता का एक्स-रे फ्लेयर है।

इंसानों के लिए फायदेमंद

बता दें कि सोलर फ्लेयर के उत्सर्जन से हानिकारक विकिरण मनुष्यों को शारीरिक रूप से प्रभावित नहीं कर पाता है। हालांकि, जब यह काफी तेज होता है तो रेडियो संचार, पावर ग्रिड और समुद्री संकेतों आदि को प्रभावित कर सकता है। ऐसे हालात में इसकी वजह से अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरा हो सकता है। 

रेडियो संकेतों में पहुंचा सकती है बाधा

नासा के अनुसार, एक्स-रे और अत्यधिक पराबैंगनी विकिरण के बढ़े हुए स्तर से पृथ्वी के सूर्य के किनारे पर आयनोस्फीयर की निचली परतों में आयनीकरण होता है। जब सूर्य से पर्याप्त मात्रा में सोलर फ्लेयर निकलती है तो रेडियो तरंगें परतों में इलेक्ट्रॉन्स के साथ संपर्क करती हैं। आयनोस्फीयर की निचली परतों में उच्च घनत्व वाले वातावरण में इनकी लगातार टक्कर होती है, जिससे इनकी ऊर्जा खत्म हो जाती है। इससे एचएफ रेडियो संकेतों में बाधा आ सकती है और उसके कारण रेडियो ब्लैकआउट यानी संचार तंत्र ठप हो सकता है।

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