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सुप्रीम कोर्ट: बेअंत सिंह के हत्यारे के क्षमादान पर केंद्र 30 अप्रैल तक लें निर्णय, 25 सालों से जेल में बंद है

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sat, 26 Mar 2022 05:52 AM IST

सार

शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि तब तक निर्णय नहीं हुआ तो अगली तारीख (2 मई) को केंद्रीय गृह सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ेगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना को 30 अप्रैल तक क्षमादान को लेकर फैसला लेने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि तब तक निर्णय नहीं हुआ तो अगली तारीख (2 मई) को केंद्रीय गृह सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की याचिका पर यह आदेश दिया है। राजोआना ने दो साल पहले शीर्ष अदालत का रुख करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सितंबर 2019 में मौत की सजा को उम्रकैद करने के निर्णय को लागू करने की मांग की गई थी।

लंबे समय से केंद्र की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने से नाराज जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, इस मामले में कुछ भी नहीं किया गया है। पीठ ने इस मामले को केंद्र सरकार और सीबीआई सहित संबंधित अथॉरिटी को तुरंत देखने को कहा है। राजोआना को 27 जुलाई, 2007 को उसके सहयोगी जगतार सिंह हवारा के साथ अगस्त, 1995 को पंजाब और हरियाणा सिविल सचिवालय में हुए बम विस्फोट मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी।

इस घटना में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की मौत हो गई थी। अक्तूूबर 2010 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्टने उनकी मौत की सजा को बरकरार रखा था। हालांकि राजोआना ने मौत की सजा को चुनौती नहीं दी थी लेकिन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने मार्च 2012 में राजोआना के क्षमादान के लिए अलग-अलग दया याचिकाएं दायर की थीं। बलवंत सिंह पिछले 25 वर्षों से जेल में बंद है।

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना को 30 अप्रैल तक क्षमादान को लेकर फैसला लेने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि तब तक निर्णय नहीं हुआ तो अगली तारीख (2 मई) को केंद्रीय गृह सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की याचिका पर यह आदेश दिया है। राजोआना ने दो साल पहले शीर्ष अदालत का रुख करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सितंबर 2019 में मौत की सजा को उम्रकैद करने के निर्णय को लागू करने की मांग की गई थी।

लंबे समय से केंद्र की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने से नाराज जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, इस मामले में कुछ भी नहीं किया गया है। पीठ ने इस मामले को केंद्र सरकार और सीबीआई सहित संबंधित अथॉरिटी को तुरंत देखने को कहा है। राजोआना को 27 जुलाई, 2007 को उसके सहयोगी जगतार सिंह हवारा के साथ अगस्त, 1995 को पंजाब और हरियाणा सिविल सचिवालय में हुए बम विस्फोट मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी।

इस घटना में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की मौत हो गई थी। अक्तूूबर 2010 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्टने उनकी मौत की सजा को बरकरार रखा था। हालांकि राजोआना ने मौत की सजा को चुनौती नहीं दी थी लेकिन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने मार्च 2012 में राजोआना के क्षमादान के लिए अलग-अलग दया याचिकाएं दायर की थीं। बलवंत सिंह पिछले 25 वर्षों से जेल में बंद है।

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