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सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं बेटियां : 89 वर्षीया मां से नहीं मिलने दे रहा भाई, दिल्ली और बिहार पुलिस को नोटिस

राजीव सिन्हा, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Sun, 20 Mar 2022 02:36 AM IST

सार

बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली बुजुर्ग महिला को पिछले महीने दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था और 26 फरवरी को बेटे ने अस्पताल से छुट्टी कराई, तब से बुजुर्ग महिला का कोई पता नहीं है।

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अपनी 89 वर्षीय मां से मिलने की मिलने की लगभग हर आस टूटने पर उसकी दो बेटियों को अंतत: सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा है। मां और बेटियों के मिलने में बाधक कोई और नहीं बल्कि कथित तौर पर उसका भाई है।

बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली बुजुर्ग महिला को पिछले महीने दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था और 26 फरवरी को बेटे ने अस्पताल से छुट्टी कराई, तब से बुजुर्ग महिला का कोई पता नहीं है। महिला अल्जाइमर से पीड़ित है।

जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने इस मानवीय पहलू पर बुजुर्ग महिला की दो बेटियों पुष्पा तिवारी और गायत्री कुमार द्वारा हैबियस कॉरपस याचिका पर दिल्ली के पुलिस आयुक्त, दिल्ली सरकार, बिहार सरकार, गंगा राम अस्पताल और दिल्ली के राजेंद्र नगर पुलिस स्टेशन के एसएचओ को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। सभी को बुजुर्ग महिला का ठिकाना पता लगाने के लिए कहा गया है। याचिकाकर्ता महिलाओं का कहना हैं कि वे 26 फरवरी को अस्पताल गई थी, लेकिन उनके भाई ने उन्हें मारा-पीटा और मां से मिलने नहीं दिया।

जिसके बाद दोनों ने राजेन्द्र नगर थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील मनीष कुमार सरन और सत्य प्रकाश शरण ने पीठ से कहा कि अल्जाइमर रोग से पीड़ित बुजुर्ग महिला अपने आप कोई निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। उन्होंने पीठ से कहा, हम तय नहीं कर पा रहे थे कि कौन सी अदालत जाए क्योंकि हमें पता नहीं है कि बुजुर्ग महिला कहां है? पीठ शुरू में नोटिस जारी करने से हिचकिचा रही थी क्योंकि याचिकाकर्ताओं के भाई और मां बिहार के निवासी हैं। पीठ ने कहा कि इस तरह के मामलों को हाईकोर्ट बेहतर ढंग से देख सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस तरह की बारीकियों में पड़ना शुरू कर दे तो इसका कोई अंत नहीं होगा।

जब याचिकाकर्ता के वकील ने आशंका जताई कि बुजुर्ग महिला को उत्तर प्रदेश ले जाया जा सकता था। इस पर पीठ ने पूछा, रोविंग वारंट कैसे जारी किया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें गड़बड़ी का संदेह था क्योंकि अस्पताल में हिंसा की घटनाओं पर दिल्ली पुलिस में शिकायत करने के बाद अस्पताल ने उसी दिन मरीज को छुट्टी देने की अनुमति दे दी थी।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि उनकी चिंता यह है कि भाई और उसका परिवार जानबूझकर बुजुर्ग मां का उचित देखभाल और चिकित्सा उपचार प्रदान नहीं कर रहा है। जिससे उसकी असमय मृत्यु हो जाए और भाई के पास मां की सारी संपत्ति और धन आ जाए। जिसके बाद पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। याचिका में दावा किया गया है कि मां के नाम और उनके नियंत्रण में करोड़ों रुपये की संपत्ति और जेवर हैं, जिस पर भाई की नजर है। उनका दावा है कि भाई और उसके परिवार के सदस्यों ने जबरदस्ती और धोखे से कुछ दस्तावेज को भी अपने पक्ष में करवा लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के भाई को भी नोटिस जारी किया है। संबंधित थाने के माध्यम से नोटिस तामील करने के लिए कहा गया है।

विस्तार

अपनी 89 वर्षीय मां से मिलने की मिलने की लगभग हर आस टूटने पर उसकी दो बेटियों को अंतत: सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा है। मां और बेटियों के मिलने में बाधक कोई और नहीं बल्कि कथित तौर पर उसका भाई है।

बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली बुजुर्ग महिला को पिछले महीने दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था और 26 फरवरी को बेटे ने अस्पताल से छुट्टी कराई, तब से बुजुर्ग महिला का कोई पता नहीं है। महिला अल्जाइमर से पीड़ित है।

जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने इस मानवीय पहलू पर बुजुर्ग महिला की दो बेटियों पुष्पा तिवारी और गायत्री कुमार द्वारा हैबियस कॉरपस याचिका पर दिल्ली के पुलिस आयुक्त, दिल्ली सरकार, बिहार सरकार, गंगा राम अस्पताल और दिल्ली के राजेंद्र नगर पुलिस स्टेशन के एसएचओ को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। सभी को बुजुर्ग महिला का ठिकाना पता लगाने के लिए कहा गया है। याचिकाकर्ता महिलाओं का कहना हैं कि वे 26 फरवरी को अस्पताल गई थी, लेकिन उनके भाई ने उन्हें मारा-पीटा और मां से मिलने नहीं दिया।

जिसके बाद दोनों ने राजेन्द्र नगर थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील मनीष कुमार सरन और सत्य प्रकाश शरण ने पीठ से कहा कि अल्जाइमर रोग से पीड़ित बुजुर्ग महिला अपने आप कोई निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। उन्होंने पीठ से कहा, हम तय नहीं कर पा रहे थे कि कौन सी अदालत जाए क्योंकि हमें पता नहीं है कि बुजुर्ग महिला कहां है? पीठ शुरू में नोटिस जारी करने से हिचकिचा रही थी क्योंकि याचिकाकर्ताओं के भाई और मां बिहार के निवासी हैं। पीठ ने कहा कि इस तरह के मामलों को हाईकोर्ट बेहतर ढंग से देख सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस तरह की बारीकियों में पड़ना शुरू कर दे तो इसका कोई अंत नहीं होगा।

जब याचिकाकर्ता के वकील ने आशंका जताई कि बुजुर्ग महिला को उत्तर प्रदेश ले जाया जा सकता था। इस पर पीठ ने पूछा, रोविंग वारंट कैसे जारी किया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें गड़बड़ी का संदेह था क्योंकि अस्पताल में हिंसा की घटनाओं पर दिल्ली पुलिस में शिकायत करने के बाद अस्पताल ने उसी दिन मरीज को छुट्टी देने की अनुमति दे दी थी।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि उनकी चिंता यह है कि भाई और उसका परिवार जानबूझकर बुजुर्ग मां का उचित देखभाल और चिकित्सा उपचार प्रदान नहीं कर रहा है। जिससे उसकी असमय मृत्यु हो जाए और भाई के पास मां की सारी संपत्ति और धन आ जाए। जिसके बाद पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। याचिका में दावा किया गया है कि मां के नाम और उनके नियंत्रण में करोड़ों रुपये की संपत्ति और जेवर हैं, जिस पर भाई की नजर है। उनका दावा है कि भाई और उसके परिवार के सदस्यों ने जबरदस्ती और धोखे से कुछ दस्तावेज को भी अपने पक्ष में करवा लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के भाई को भी नोटिस जारी किया है। संबंधित थाने के माध्यम से नोटिस तामील करने के लिए कहा गया है।

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