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सुपरपावर की रेस: राजनाथ सिंह ने कहा- उन्नत तकनीक हासिल किए बिना भारत महाशक्ति नहीं बन सकता

एजेंसी, पुणे
Published by: देव कश्यप
Updated Sat, 28 Aug 2021 03:48 AM IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
– फोटो : ANI

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि यदि हम उन्नत तकनीक तैयार करने की उपलब्धि हासिल कर लें, तब ही भारत एक सुपरपावर बन सकता है। उन्होंने कहा, इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को शोध और नवाचार में प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

राजनाथ यहां रक्षा उन्नत तकनीक संस्थान (डीआईएटी) में छात्रों और शोधकर्ताओं से बात कर रहे थे। डीआईएटी रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) का डीम्ड विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा, रक्षा मंत्रालय ने सैन्य बलों, उद्योगों व शिक्षाविदें के साझा प्रयास के जरिये अनुसंधान व नवाचार में प्रगति करने की कुछ पहल शुरू की है। यह केवल आपसी समझ और ज्ञान व सर्वोत्तम प्रथाएं साझा करने से ही संभव हो सकता है।

उन्होंने कहा, रक्षा मंत्रालय ने आईडीईएक्स (इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस) नाम का प्लेटफार्म स्थापित किया है ताकि नई प्रतिभाओं को सुरक्षा बलों के जवानों से अनुभव व इनपुट साझा करने में मदद मिल सके। इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इससे इतर सरकार ने एयरोस्पेस व रक्षा के क्षेत्र में नवाचार व शोध के लिए भी 500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिनसे 300 से ज्यादा स्टार्टअप कंपनियों की मदद की जा रही है।

रक्षा मंत्री ने नागपुर की एक निजी कंपनी की तरफ से पांच माह के अंदर भारतीय सेना को एक लाख से ज्यादा हथगोले डिलीवर करने का जिक्र किया और कहा, यह कंपनी वही हथगोले इंडोनेशिया को निर्यात करती थी। लेकिन भारत को लागत 3400 रुपये प्रति हथगोला पड़ रही है, जबकि इंडोनेशिया को 7000 रुपये प्रति हथगोला के हिसाब से निर्यात किया गया है। उन्होंने कहा, मेरा मुद्दा यह है कि तकनीक में उन्नति हासिल करने से भारत एक आर्थिक सुपर पावर बन सकता है।

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि यदि हम उन्नत तकनीक तैयार करने की उपलब्धि हासिल कर लें, तब ही भारत एक सुपरपावर बन सकता है। उन्होंने कहा, इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को शोध और नवाचार में प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

राजनाथ यहां रक्षा उन्नत तकनीक संस्थान (डीआईएटी) में छात्रों और शोधकर्ताओं से बात कर रहे थे। डीआईएटी रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) का डीम्ड विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा, रक्षा मंत्रालय ने सैन्य बलों, उद्योगों व शिक्षाविदें के साझा प्रयास के जरिये अनुसंधान व नवाचार में प्रगति करने की कुछ पहल शुरू की है। यह केवल आपसी समझ और ज्ञान व सर्वोत्तम प्रथाएं साझा करने से ही संभव हो सकता है।

उन्होंने कहा, रक्षा मंत्रालय ने आईडीईएक्स (इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस) नाम का प्लेटफार्म स्थापित किया है ताकि नई प्रतिभाओं को सुरक्षा बलों के जवानों से अनुभव व इनपुट साझा करने में मदद मिल सके। इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इससे इतर सरकार ने एयरोस्पेस व रक्षा के क्षेत्र में नवाचार व शोध के लिए भी 500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिनसे 300 से ज्यादा स्टार्टअप कंपनियों की मदद की जा रही है।

रक्षा मंत्री ने नागपुर की एक निजी कंपनी की तरफ से पांच माह के अंदर भारतीय सेना को एक लाख से ज्यादा हथगोले डिलीवर करने का जिक्र किया और कहा, यह कंपनी वही हथगोले इंडोनेशिया को निर्यात करती थी। लेकिन भारत को लागत 3400 रुपये प्रति हथगोला पड़ रही है, जबकि इंडोनेशिया को 7000 रुपये प्रति हथगोला के हिसाब से निर्यात किया गया है। उन्होंने कहा, मेरा मुद्दा यह है कि तकनीक में उन्नति हासिल करने से भारत एक आर्थिक सुपर पावर बन सकता है।

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