वित्त राज्यमंत्री भगवत कराड़ ने लोकसभा में बताया कि जून 2014 से दिसंबर 2021 के दौरान 5,200 कंपनियों को दिया गया कर्ज बैंकों ने बट्टे खाते (एनपीए) में डाला है। बैंकों ने इन कर्जों की जानकारी आरबीआई के सीआरआईएलसी डाटाबेस में दर्ज कराई है। कराड ने बताया कि जून 2014 से दिसंबर 2021 के दौरान पांच करोड़ से अधिक का कर्ज लेकर भुगतान में चूक करने वाले लोगों व कंपनियों की कुल संख्या 5,231 है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि सार्वजनिक बैंकों ने बकायादारों से 10 हजार करोड़ से ज्यादा की वसूली की है। सीतारमण ने बताया, यूपीए सरकार के समय बैंकों को डूबे कर्ज से एक रुपया वापस नहीं मिला था। डीएमके सांसद टीआर बालू के सवाल पर वित्तमंत्री ने कहा, बकायादारों से वसूली देश में पहली बार हुई है।
वित्तमंत्री ने कहा, यूपीए सरकार के वसूली में नाकाम रहने से एनपीए का बोझ बढ़ा है। जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले और बैंकों से धोखाधड़ी करने वालों पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रतिक्रिया दी, तो वित्तमंत्री ने कहा, कांग्रेस को यह कड़वा सच सुनना होगा, क्योंकि यह कर्ज कांग्रेस के शासन में राजनीतिक प्रभाव से ही दिए गए थे।
वहीं, एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कर्ज को बट्टे खाते में डालने का मतलब माफ करना नहीं होता। सीतारमण ने बताया, वित्तीय समाधान और जमा बीमा विधेयक, 2017 को सरकार ने 2018 में वापस ले लिया था, इसे फिर से पेश करने का कोई इरादा नहीं है। जमाकर्ताओं को सुरक्षा देने का उद्देश्य जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम के जरिये हासिल किया जा रहा है।
आरसीईपी से फिर जुड़ने का विचार नहीं
दो साल पहले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) वार्ता से अलग हो चुके भारत की फिर से इससे जुड़ने की कोई योजना नहीं है। केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि कुछ देशों के व्यापार संबंधी नियम अस्पष्ट होने से भारत ने पीछे हटने का फैसला लिया।
क्या है आरसीईपी
इस क्षेत्रीय संगठन के लिए चीन, जापान, द. कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, और न्यूजीलैंड सहित 15 देशों ने मुक्त व्यापार के लिए समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।
भारत पर कैसे पड़ता असर
गोयल ने कहा, आरसीईपी से जुड़ने के बाद भारत के डेयरी, कृषि और लघु एवं मंझोले उद्योगों पर बहुत बुरा असर पड़ता। देश में कम गुणवत्ता के सस्ते उत्पादों की भरमार के आगे भारत के किसान और उद्यमी टिक नहीं पाते। पीएम मोदी ने काफी समझदारी भरा फैसला लेते हुए आरसीईपी से हटने का फैसला लिया।
5,200 कंपनियों को सात साल में दिया कर्ज बट्टे खाते में गया
वित्त राज्यमंत्री भगवत कराड़ ने लोकसभा में बताया कि जून 2014 से दिसंबर 2021 के दौरान 5,200 कंपनियों को दिया गया कर्ज बैंकों ने बट्टे खाते (एनपीए) में डाला है। बैंकों ने इन कर्जों की जानकारी आरबीआई के सीआरआईएलसी डाटाबेस में दर्ज कराई है। कराड ने बताया कि जून 2014 से दिसंबर 2021 के दौरान पांच करोड़ से अधिक का कर्ज लेकर भुगतान में चूक करने वाले लोगों व कंपनियों की कुल संख्या 5,231 है। मार्च 2021 में इन कंपनियों की संख्या 5,623 थी, जो दिसंबर में कम हुई। कराड ने बताया, केंद्र सरकार ने पांच साल में किसानों का कोई ऋण माफ नहीं किया है। किसानों को ऋण के बोझ से उबारने के लिए किसान सम्मान निधि के तौर पर हर साल सीधे उनके खातों में 6000 रुपये देने सहित कई कदम उठाए।
सरकारी रक्षा कंपनियों को कमजोर नहीं कर रही सरकार : रक्षामंत्री
केंद्र सरकार रक्षा क्षेत्र की सरकारी कंपनियों को कमजोर नहीं कर रही है, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में बताया कि सरकार बड़े ऑर्डर व वित्तीय सहयोग दे रही है और देनदारियां भी चुका रही है। उन्होंने बताया कि देश की सरकारी रक्षा कंपनियां कमजोर नहीं हुई हैं, बल्कि सेना के 80 प्रतिशत ऑर्डर उन्हें दिए जा रहे हैं। वहीं रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने बताया कि आज रक्षा क्षेत्र तकनीक व इनोवेशन से आगे बढ़ रहा है।
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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि सार्वजनिक बैंकों ने बकायादारों से 10 हजार करोड़ से ज्यादा की वसूली की है। सीतारमण ने बताया, यूपीए सरकार के समय बैंकों को डूबे कर्ज से एक रुपया वापस नहीं मिला था। डीएमके सांसद टीआर बालू के सवाल पर वित्तमंत्री ने कहा, बकायादारों से वसूली देश में पहली बार हुई है।
वित्तमंत्री ने कहा, यूपीए सरकार के वसूली में नाकाम रहने से एनपीए का बोझ बढ़ा है। जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले और बैंकों से धोखाधड़ी करने वालों पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रतिक्रिया दी, तो वित्तमंत्री ने कहा, कांग्रेस को यह कड़वा सच सुनना होगा, क्योंकि यह कर्ज कांग्रेस के शासन में राजनीतिक प्रभाव से ही दिए गए थे।
वहीं, एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कर्ज को बट्टे खाते में डालने का मतलब माफ करना नहीं होता। सीतारमण ने बताया, वित्तीय समाधान और जमा बीमा विधेयक, 2017 को सरकार ने 2018 में वापस ले लिया था, इसे फिर से पेश करने का कोई इरादा नहीं है। जमाकर्ताओं को सुरक्षा देने का उद्देश्य जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम के जरिये हासिल किया जा रहा है।