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सावधान: भूलकर भी न करें ये सात काम, वरना हो सकता है आपका बैंक अकाउंट खाली

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : iStock

एक समय था जब लोगों को हर काम के लिए बैंक के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन अब सुविधा घर बैठे मिल रही है। बैंक से जुड़े सारे काम अब लोग इंटरनेट और स्मार्टफोन की मदद से घर बैठे कर लेते हैं। ऐसे में साइबर क्राइम भी आजकल खूब बढ़ रहा है। साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं, जिसमें से एक तरीका फिशिंग भी है। दरअसल, फिशिंग एक वैश्विक समस्या बन चुकी है। दुनियाभर के बैंक इसका सामना कर रहे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें आखिर होता क्या है? तो आपको बता दें कि इसमें बैंकिंग से जुड़ी जानकारियां चुराने की कोशिश की जाती है। फिशिंग एक ईमेल के रूप में आपके सामने आ सकता है, जो किसी बैंक या अन्य लोकप्रिय वेबसाइट से होने का दावा करता है। ऐसे में कई लोग धोखा खा जाते हैं और अपना बैंक अकाउंट खाली करवा बैठते हैं यानी अकाउंट से पैसे गंवा देते हैं। आइए जानते हैं इससे बचने के लिए किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए? 

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अगर बैंक में आपका अकाउंट है और उससे जुड़े काम आप ऑनलाइन करते हैं तो सबसे पहले ये जान लीजिए कि बैंक आपसे ईमेल करके या फोन करके लॉगिन और ट्रांजैक्शन पासवर्ड, ओटीपी (OTP और यूनिक रेफरेंस नंबर (URN) आदि के बारे में कभी नहीं पूछता है। अगर आपसे कोई इन सब चीजों के बारे में पूछता है तो समझ जाइए कि वह कोई साइबर अपराधी है और आपसे ठगी करने की फिराक में है। 

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फिशिंग से बचने के लिए क्या करें? 

  • स्पैम मेल को भूलकर भी कभी न खोलें। खासतौर पर ऐसे ईमेल से तो बचकर ही रहें, जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा भेजा गया हो, जिसे आप जानते ही नहीं हैं। 
  • अगर इंटरनेट पर निजी या वित्तीय जानकारी को कंफर्म करने के लिए आपसे कहा जाए तो सतर्क हो जाएं। यह ठगी करने वाला ईमेल हो सकता है। 
  • अगर किसी अनजान व्यक्ति की ओर से ईमेल आया है तो ईमेल में मौजूद लिंक पर भूलकर भी क्लिक न करें और न ही ईमेल में मौजूद फाइल को डाउनलोड या अटैचमेंट को खोलें। 

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  • ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि वेबसाइट का एड्रेस सही है और वह लेनदेन के लिए सुरक्षित है। 
  • अपने कंप्यूटर और मोबाइल को सुरक्षित रखें। इसके लिए एंटी-वायरस इंस्टॉल कर सकते हैं और उसे नियमित रूप से अपडेट भी करते रहें। 

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  • अपने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और बैंक स्टेटमेंट्स को नियमित रूप से चेक करते रहें, ताकि यह पता चल सके कि कोई ऐसा ट्रांजैक्शन तो नहीं हुआ है, जिसकी आपको जानकारी ही नहीं है। 
  • कभी भी किसी भी व्यक्ति से अपने बैंकिंग डिटेल्स जैसे आईडी-पासवर्ड, डेबिट या क्रेडिट कार्ड नंबर, सीवीवी और ओटीपी आदि शेयर न करें, चाहे वह व्यक्ति खुद को बैंक कर्मचारी ही क्यों न बता रहा हो। 

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