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सर्वे : दफ्तर में सप्ताह के पांचों दिन काम करने के दिन लदे, वर्क फ्रॉम होम को तवज्जो दे रहे कर्मचारी

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Jeet Kumar
Updated Sun, 19 Dec 2021 08:44 AM IST

सार

सर्वेक्षण के आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा कि इसके लिए सरकारों को विश्वसनीय इंटरनेट कवरेज सुनिश्चित करना चाहिए। घर से काम करने को लेकर नियम बनाने चाहिए।

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कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में वर्क फ्रॉम होम का चलन तेजी से बढ़ा है। वहीं कुछ देशों पांच दिन काम करने की भी पॉलिसी चलाने की बात भी उठी थी। ऐसे में 25 देशों के श्रमिकों को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि हफ्ते में पांच दिन दफ्तर जाकर काम करना बीते समय की बात हो गई है। लोग घर से काम करने को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।

ओईसीडी की ओर से किए गए इस सर्वे में पाया गया कि महामारी के दौरान कर्मचारियों और प्रबंधकों के लिए वर्क फ्रॉम होम काफी सकारात्मक परिणाम देने वाला साबित हुआ। दोनों पक्षों का प्रदर्शन पहले से बेहतर रहा। यहां तक कि सप्ताह में कम से कम एक दिन घर से काम करने के इच्छुक कर्मचारियों की संख्या या अनुपात महामारी से पहले की तुलना में बहुत अधिक देखा गया।

ओईसीडी शोधकर्ताओं ने इनडीड वेबसाइट पर नौकरी पोस्टिंग को लेकर किए एक अलग अध्ययन में पाया कि कोविड महामारी के दौरान लागू लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम से जुड़े विज्ञापन में पर्याप्त वृद्धि नजर आई, हालांकि प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद भी इसमें मामूली कमी ही देखी गई। शोधकर्ताओं के अनुसार, इन परिणामों से पता चलता है कि वर्क फ्रॉम होम की यह व्यवस्था अभी और कुछ समय तक रहने वाली है।

खास तौर पर उन देशों में डिजिटल रूप से अधिक सक्षम हैं। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि उत्पादकता से लेकर श्रमिक अधिकारों और चाइल्ड केयर तक वर्क फ्रॉम होम के कल्चर का अर्थव्यवस्थाओं की संरचना पर एक मौलिक और स्थायी बदलाव वाला महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। 

सर्वेक्षण के आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा कि इसके लिए सरकारों को विश्वसनीय इंटरनेट कवरेज सुनिश्चित करना चाहिए। घर से काम करने को लेकर नियम बनाने चाहिए। साथ ही छोटी कंपनियों में कार्यरत महिलाओं, कर्मचारियों और ऐसे लोगों को प्रशिक्षण देना चाहिए जिन्हें लगता है कि वे इस तेज दौड़ती दुनिया में कहीं पीछे छूट जाएंगे।

शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि कर्मचारियों को बहुत अधिक घर से काम करने से भी बचाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी छवि और उत्पादकता को नुकसान पहुंचा सकता है। शोधकर्ताओं ने सप्ताह में दो या तीन दिन घर से काम करने का सुझाव भी दिया।

विस्तार

कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में वर्क फ्रॉम होम का चलन तेजी से बढ़ा है। वहीं कुछ देशों पांच दिन काम करने की भी पॉलिसी चलाने की बात भी उठी थी। ऐसे में 25 देशों के श्रमिकों को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि हफ्ते में पांच दिन दफ्तर जाकर काम करना बीते समय की बात हो गई है। लोग घर से काम करने को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।

ओईसीडी की ओर से किए गए इस सर्वे में पाया गया कि महामारी के दौरान कर्मचारियों और प्रबंधकों के लिए वर्क फ्रॉम होम काफी सकारात्मक परिणाम देने वाला साबित हुआ। दोनों पक्षों का प्रदर्शन पहले से बेहतर रहा। यहां तक कि सप्ताह में कम से कम एक दिन घर से काम करने के इच्छुक कर्मचारियों की संख्या या अनुपात महामारी से पहले की तुलना में बहुत अधिक देखा गया।

ओईसीडी शोधकर्ताओं ने इनडीड वेबसाइट पर नौकरी पोस्टिंग को लेकर किए एक अलग अध्ययन में पाया कि कोविड महामारी के दौरान लागू लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम से जुड़े विज्ञापन में पर्याप्त वृद्धि नजर आई, हालांकि प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद भी इसमें मामूली कमी ही देखी गई। शोधकर्ताओं के अनुसार, इन परिणामों से पता चलता है कि वर्क फ्रॉम होम की यह व्यवस्था अभी और कुछ समय तक रहने वाली है।

खास तौर पर उन देशों में डिजिटल रूप से अधिक सक्षम हैं। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि उत्पादकता से लेकर श्रमिक अधिकारों और चाइल्ड केयर तक वर्क फ्रॉम होम के कल्चर का अर्थव्यवस्थाओं की संरचना पर एक मौलिक और स्थायी बदलाव वाला महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। 

सर्वेक्षण के आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा कि इसके लिए सरकारों को विश्वसनीय इंटरनेट कवरेज सुनिश्चित करना चाहिए। घर से काम करने को लेकर नियम बनाने चाहिए। साथ ही छोटी कंपनियों में कार्यरत महिलाओं, कर्मचारियों और ऐसे लोगों को प्रशिक्षण देना चाहिए जिन्हें लगता है कि वे इस तेज दौड़ती दुनिया में कहीं पीछे छूट जाएंगे।

शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि कर्मचारियों को बहुत अधिक घर से काम करने से भी बचाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी छवि और उत्पादकता को नुकसान पहुंचा सकता है। शोधकर्ताओं ने सप्ताह में दो या तीन दिन घर से काम करने का सुझाव भी दिया।

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